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Devesh Dixit
White सूनी सड़क सूनी सड़क है पर चले जा रहा हूं राही खुद ही बने जा रहा हूं मंजिल की ओर देखता बढ़े जा रहा हूं पैर के छालों को अपने देखता जा रहा हूं राही मिला नहीं दूसरा विचलित हुए जा रहा हूं कैसे कहूं मैं डरे जा रहा हूं मंजिल मिलेगी मुझे ये सोचे जा रहा हूं इरादों को अपने बुलंद किए जा रहा हूं ................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #सूनी_सड़क #nojotohindi #nojotohindipoetry सूनी सड़क सूनी सड़क है, पर चले जा रहा हूँ। राही खुद ही,
Devesh Dixit
क्रूर (दोहे) किसी बात का हल नहीं, हो स्वभाव ये क्रूर। अपने ही सब हों खफा, बाकी भी सब दूर।। देख क्रूर को मन बड़ा, होता है बैचेन। हर क्षण उसका खौफ हो, हो चाहे दिन-रैन।। कहते हैं सज्जन सभी, दुख भोगे है क्रूर। कुछ पल का आनंद है, मिटता वही जरूर।। बने क्रूर वो ही सुनो, जिसको है अभिमान। अन्धकार में है वही, जिसे नहीं है ज्ञान।। मत पालो ये क्रूरता, होते सब हैरान। जीवन को ही कोसते, कहते सभी सुजान।। जो बनते हैं क्रूर वो, उन्हें कहाँ सम्मान। हर क्षण ही सब कोसते, पाता वह अपमान। ............................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #क्रूर #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry क्रूर (दोहे) किसी बात का हल नहीं, हो स्वभाव ये क्रूर। अपने ही सब हों खफा, बाकी भी सब दूर।।
Devesh Dixit
काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा ईश ने जब इसे, मकसद है कुछ खास। सदुपयोग इसका करें, उनको भी है आस।। काल चक्र के देवता, देते हैं परिणाम। जिसका जैसा कर्म है, वैसा उसको दाम।। काल चक्र बलवान है, कहते सभी सुजान। विमुुख न होना तुम कभी, बनकर के अनजान।। काल चक्र से बच सका, जरा बताओ कौन। मूल्य नहीं क्यों जानते, अभी रहो तुम मौन।। .......................................................... देवेश दीक्षित. ©Devesh Dixit #काल_चक्र #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा
Ravendra
Devesh Dixit
कलम (दोहे) कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम। पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।। दुर्जन इससे काँपते, होती सम तलवार। एक बार की चोट में, घायल कई हजार।। उत्तम लेखन भी करे, सबको होती आस। यही कलम की जिंदगी, है सबकी यह खास।। बिना कलम के जिंदगी, है बिलकुल वीरान। इससे ही रचना बने, और करे ऐलान।। शब्दों से मन मोहती, यह इसकी पहचान। अकसर देती है खुशी, करती भी हैरान।। यही कलम औजार भी, और पुष्प की माल। कहती है सद्भावना, करती बड़ा कमाल।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कलम #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry कलम (दोहे) कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम। पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।। दुर्जन इ
Devesh Dixit
युवा शक्ति (दोहे) युवा शक्ति अनमोल है, चलें उचित रफ़्तार। कर सुकर्म जो बढ़ रहे, हो उनका विस्तार।। मात पिता का फर्ज़ है, उनको दें संस्कार। गलत दिशा भटकें नहीं, दोष करें स्वीकार।। युवा शक्ति को है परख, हो कैसा व्यवहार। सही बात पर हों अटल, गलत बात पर वार।। भटक गए कुछ हैं अभी, देते हैं आघात। युवा शक्ति पर चोट है, मुश्किल हैं हालात।। युवा शक्ति अब मोहती, फैंक प्रेम के जाल। जो भी इसमें है फँसी, होती बाद हलाल।। संस्कारों को छोड़ कर, नित्य करें ये काम। मात पिता को कर दुखी, खूब डुबाते नाम।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #युवा_शक्ति #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi युवा शक्ति (दोहे) युवा शक्ति अनमोल है, चलें उचित रफ़्तार। कर सुकर्म जो बढ़ रहे, हो उनका
Devesh Dixit
नहीं चाहिए ऐसा जीवन नहीं चाहिए ऐसा जीवन, जिसमें दर्द बेशुमार हो। आतंकों से भरा ये जीवन, जहाँ तड़पा इन्साफ हो। दुष्कर्मों की लगी झड़ी है, कहाँ रहा विश्वास है? संकट की जो ये घड़ी है, नहीं बचा ऐहसास है। चेहरे पर सब मुखौटा पहनें, कैसे अब पहचान हो? खून की लगी नदियाँ बहनें, क्यों बने अनजान हो? दौलत की खातिर देखो, बिकता जो ईमान है। कैसे मजबूत होगा देखो? ये जो हिन्दुस्तान है। नहीं चाहिए ऐसा जीवन, जिसमें रक्त शृंगार हो। हैवानियत में डूबा जीवन, पाप का ये आधार हो। .................................... देवेश दीक्षित स्वरचित एवं मौलिक ©Devesh Dixit #नहीं_चाहिए_ऐसा_जीवन #nojotohindi #nojotohindipoetry नहीं चाहिए ऐसा जीवन नहीं चाहिए ऐसा जीवन, जिसमें दर्द बेशुमार हो। आतंकों से भरा ये जी
Devesh Dixit
पश्चाताप (दोहे) गलती हो यदि आपसे, करना पश्चाताप। अहंकार को भूल कर, सभी मिटाना पाप।। कहते हैं सज्जन सभी, जब हो पश्चाताप। धुल जाते सब पाप हैं, नहीं भटकते आप।। जान बूझ कर जो करे, गलती बारम्बार। फिर क्यों पश्चाताप हो, करें नहीं स्वीकार।। दुर्जन मानव ही करे, सत्कर्मों का नाश। जीवन उससे रूठता, बन जाता वह लाश।। जीवन पश्चाताप से, सुंदर और महान। खुद को नहीं सुधारता, वो कैसा इंसान ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #पश्चाताप #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi पश्चाताप (दोहे) गलती हो यदि आपसे, करना पश्चाताप। अहंकार को भूल कर, सभी मिटाना पाप।। कहते
अदनासा-