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Rakesh Kumar Dogra
"भेड़ जब चरती है तो चारों तरफ फैल जाती है जब मंज़िल की तरफ बढ़ाओ तो झुण्डों में सिकुड़ जाती है।" #NojotoQuote विस्तार के विरोधाभास
Amit Singhal "Aseemit"
संबंधों में आई ग़लतफ़हमियों को न दीजिए विस्तार, आप समय रहते जल्दी ही इनको सुलझा लीजिए। ग़लतफ़हमियाँ ही संबंधों के टूटने का बनतीं आधार, संबंध बिगड़ने से पहले ही विस्तार से बात कीजिए। ©Amit Singhal "Aseemit" #विस्तार
Ek villain
भाजपा ने जिस जोर शोर से अपना 42 वा स्थापना दिवस मनाया उसका महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि वह भारतीय राजनीति का शशक केंद्र बिंदु बन गई है भाजपा ने हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव में उत्तर प्रदेश समेत चार राज्य में शानदार जीत हासिल कर देश को यह संदेश दिया है कि फिलहाल उसके मुकाबले कोई नहीं है आज यदि भाजपा राज्य के दिखा रही है तो उसका बड़ा कारण रीति नीति प्रदेश की जनता का भरोसा एक तरफ का राजनीतिक चमत्कार ही है 1980 में गठबंधन जिस भाजपा ने 1984 में केवल 2 लोकसभा सदस्य थे वह आज 300 से अधिक लोकसभा सदस्य से लैस है उसके प्रमुख भर्ती विद कांग्रेस के पास जितने भी संसद नहीं है वह नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल कर सके भाजपा ने दलों से इसलिए अलग है क्योंकि उसके समय के साथ अपने तौर तरीके से बदले लेकिन अपने मूल विचारधारा से समझौता नहीं किए उस समय भी वही जब अटल आडवाणी के समय केंद्र में सरकार चल रही थी भाजपा ने उनके विस्तार से कर्म में दूसरे दलों के नेताओं को भी साथ लिया और दलों के गठबंधन भी किया अन्य दलों से भाजपा में आए कुछ नेताओं ने तो उनकी विचारधारा को अपना लिया लेकिन कुछ ऐसे भी रहे जो केवल राजनीतिक स्वार्थ के लिए उससे ©Ek villain #भाजपा के विस्तार से सबक सीखे विपक्ष #Love
Ek villain
इतिहास में ऐसे अनेक मामले सामने आते रहे हैं जब कोई महापुरुष के सामाजिक योगदान के इतिहासकारों ने पर्याप्त स्थान नहीं दिया जनसभा कार ने गांधी अंबेडकर से भी पहले बहुजन उत्थान के लिए कार्य किया और समाज सुधार की दिशा में व्यापक प्रयास किया इतिहासकारों ने उन्हें समाज सुधारक महापुरुष की चर्चा में कोई जगह नहीं दी जहां 18 सो 57 के विद्रोह को विदेशी नहीं-नहीं भारतीय इतिहासकार भी सिपाही विद्रोह कहने में लगे थे तब सरकार ने उस देश का प्रथम स्वतंत्र संग्राम बताया अंग्रेज द्वारा दी गई काली पानी की सजा भी काटी इन सब के बावजूद वीर सावरकर को इतिहास में वे स्थान नहीं दिया गया जैसे को एक हकदार थे विचारधारा पोषित इतिहासकारों ने ऐसा पहली बार नहीं किया यह निरंतर ऐसा लिखते रहे हैं किन के द्वारा ऐसे इतिहास लेखन के कारण ही वर्तमान में सेवा कार्य का नाम जब भी सामने आता है तो विचारधाराएं दो विपरीत ग्रुपों में खड़ी हो जाती हैं एक गुट उन्हें पूजनीय मानते हैं तो दूसरा गुड सावर्ती अतिशय समझते हैं विचारों का यह भेद भारत के इतिहास में शायद ही किसी दूसरे स्वतंत्र सेनानी के बारे में दिखाया देता हो इस संदर्भ में विकास संपत्ति माफी मांगने वाले सरकार ने स्वच्छ को बहुत ही विस्तार से अपनी किताब में लिखा है ©Ek villain #तिथियों के साथ समग्र दृष्टि का विस्तार #selflove
Parasram Arora
महिनो की दूरी मिंटो में लांघ कर तुम मेरे पास आये हों सच हैं आदमी ने धरा का विस्तार सिमित कर दीया हैं सगरो की तलहटी में आदमी के चरण पहुंच गए आदमी ने गहराई के रहस्ययों से आवरण हटा दीयाहैं दिशाओं को विस्तार अब सकुचित हुआ हैं लेकिन मन की दूरी प्र अंकुश नही लग सका हैं हमने असाधारण को सहज और सरल बना दीया हैं किन्तु उसे सहेजना हमसे अभी भी नही हों पाया हैं दूर की दूरी तो हम अकेले ही तय कर लेंगे किन्तु निकटता की दूरी को पाटने में विलम्ब हों गया हैं ©Parasram Arora धरा बका विस्तार......
MANPREET SINGH (साहिर-ए-मन)❤
विस्तार हूँ मैं। हर छण छणिक हूँ मैं। हर छण बढ रहा हूँ। मैं वायु सा हूँ हर छण बह रहा हूँ। रुकता नहीं रुक जाऊँ तो फिर रहता नहीं। सीमाओं से परे आसमान सा हूँ मैं। अनियंत्रित विस्फोट हूँ। हर पल हूँ बहता दरिया, हर छण में विस्फोटित हूँ, सीमाओं से परे ब्रह्माण्ड से भी बडा हूँ। अनियंत्रित ऊर्जा हूँ, मैं विस्तार हूँ। आदि-अनादि, वर्तमान और भविष्य से परे, असीमित हूँ, मैं विस्तार हूँ । विस्तार हूँ मैं
Shashi Bhushan Mishra
रखो कदम अपना संभालकर क्षमता का विस्तार करो, सीखो नव तकनीक नित्य ही समय नहीं बेकार करो, कृपा प्राप्त करनी है तो अनुशासन रक्खो जीवन में, विकसित करो स्वयं का जीवन औरों का उद्धार करो, भरो नई ऊर्जा नित मन में संपोषित हो ज्ञान सृजन, कालरात्रि में दीप जलाकर दूर सकल अंधियार करो, आशाओं का विटप सदा परिपोषित हो हृदयांगन में, प्रेम प्यार से सिंचित कर भौतिक सुख का श्रृंगार करो, नियति नियम का अवलंबन संरक्षित करती है हरपल, अनुपम सुख, आनंद हृदय में, आशा का संचार करो, मिटे तिमिर,भ्रम छँटे जगत से,हो ऐसा प्रयास सबका, शंकाओं का असुर खदेड़ो, तृष्णा का प्रतिकार करो, धरती,चाँद,गगन,सूरज है एक मिला सबको 'गुंजन', रहे कामना सुखद भुवन की, दुर्जन का संहार करो, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #क्षमता का विस्तार करो#
Parasram Arora
वो नदी जानती है सागर से मिलन क़े लिए अनंत है प्रतीक्षा लेकिन वो क्याकरे उसे तो सागर का विस्तार पाना ही है लम्बी दौड़ क़े बाद वो काफी थक भी चुकी है लेकिन सागर अब भी उससे काफी दूर खड़ा बाहें पसारे तैयार. उस नदी को अपनी बाहों मे पनाह देने क़े किये.. और सागर भी शायद ये जान चुका है उसका प्रेम और कुछ नहीं प्रतीक्षा का अनंत विस्तार ही है नदी और सागर उस संभावित मिलन क़े लिए और एक दुसरे मे स्फूर्ति क़े लिए अपने अपने मूक संदेश आये दिन भेजते रहते है. और वो नदी पूरी तरह आश्वस्त है क़ि सागर एक दिन जरूर उसे अपने मे समेट कर ही दम लेगा ©Parasram Arora #प्रतीक्षा का अनंत विस्तार.....