आओ करें एक कोशिश Khushi yadav Anita Sahani साहित्य सरगम Pallavi Srivastava Ambika Jha #विचार
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बादल सिंह 'कलमगार'
आओ हाथ बढ़ाओ
प्रेम ऊँगली अँगूठी से भर जाने दो
नज़र मिलाओ मत सरमाओ मुश्काओ
सुबह शाम अभी हो जाने दो
अभी विचरण भ्रमण मे भवर सा
तुम खुशबू हो महक #shayri#Prem#New#शायरी#badalsinghkalamgar