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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हाथ आते नही निवाले हैं । दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१ आज बाज़ार हो गये मँहगें । रूल सरकार के निराले हैं ।।२ किसलिए आप खोजते इंसा । #शायरी

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White ग़ज़ल :-
हाथ आते नही निवाले हैं ।
दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१
आज बाज़ार हो गये मँहगें ।
रूल सरकार के निराले हैं ।।२
किसलिए आप खोजते इंसा ।
भेड़िये आप हमने पाले हैं ।।३
आप जिनपे किए यकीं बैठे ।
लोग दिल के वो कितने काले हैं ।।४
सच के होते नही नुमाये भी।
इस लिए सब लगाये ताले हैं ।।५
खामियां पा दहेज में अब वह ।
पगडिय़ां देख लो उछाले हैं ।।६
राम के नाम से यहाँ सब ही ।
पा रहे आज सब  उजाले हैं ।।७
राम का नाम ही भजो सारे ।
क्या हुआ जो जुबाँ पे छाले हैं ।।८
चोट खाकर प्रखर वफ़ा में भी ।
दिल को अपने अभी सँभाले हैं ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
हाथ आते नही निवाले हैं ।
दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१
आज बाज़ार हो गये मँहगें ।
रूल सरकार के निराले हैं ।।२
किसलिए आप खोजते इंसा ।

Anu Roy

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- नज़्म हम आपसे उठाते हैं । आपको देख मुस्कराते हैं ।।१ #शायरी

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ग़ज़ल :-
नज़्म हम आपसे उठाते हैं ।
आपको देख मुस्कराते हैं ।।१
आज बरसो हुए लिए फेरे ।
गिफ्ट तुमको चलो दिलाते हैं ।।२
प्यार कब बाँटते यहाँ बच्चे ।
प्यार तो और ये बढाते हैं ।।३
हाथ जब भी लगा तेरे आटा ।
रुख से लट तब हमीं हटाते हैं ।।४
जब भी आयी विवाह तारीखें ।
घर को खुशियों से हम सजाते हैं ।।५
घर के बाहर कभी न थी खुशियाँ ।
सोचकर शाम घर बिताते हैं ।।६
दीप बुझने न दूँ मुहब्बत का ।
नाम का तेरे सुर लगाते हैं ।।७
है खुशी का महौल घर में अब ।
बच्चे किलकारियां लगाते हैं ।।८
हाथ मेरा न छोड देना कल ।
जी न पाये प्रखर बताते हैं ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


नज़्म हम आपसे उठाते हैं ।

आपको देख मुस्कराते हैं ।।१

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं । कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१ लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।। न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२ मन #शायरी

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ग़ज़ल :-
वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं ।
कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१
लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।।
न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२
मनाएं उन्हें हम भला आज कैसे ।
जिन्हें आज अपना खुदा जानते हैं ।।३
मिटेगा नहीं ये कभी रोग दिल का ।
यहाँ लोग करना दगा जानते हैं ।।४
मुझे बस है उम्मीद अपने सनम से ।
कि देना वही इक दुआ जानते हैं ।। ५
न रहता मेरा दिल कभी दूर उनसे ।
मगर लोग सारे  जुदा जानते हैं ।।६
ठहरती नहीं है नज़र उन पे कोई ।
तभी से उन्हें हम बला जानते हैं ।।७
नही प्यार तू उस तरह कर सकेगा ।
वो करना हमेशा जफ़ा जानते हैं ।।८
न पूछो प्रखर तुम हँसी वो है कितना ।
कहूँ सच तो सब अप्सरा जानते हैं ।।९
३०/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं ।
कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१
लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।।
न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२
मन

SONA DEVI

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं । सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१ नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  द #शायरी

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लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं ।
सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१
नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  दो अर्ज़  मेरी भी।
सुना हमने उसी दर  से  सभी  पाते  निवाले  हैं ।।२
यही    हमको    निकालेंगे   कभी   बेटे  बडे़  होकर ।
अभी  जिनके  लिए  हमने  यहाँ  छोडे़  निवाले  हैं ।।३
नहीं रोने दिया  उनको  पिया  खुद आँख का पानी ।
दिखाते आँख अब  वो हैं कि हम  उनके हवाले हैं ।।४
किसी को क्या ख़बर पाला है मैंने कैसे बच्चों को 
वहीं बच्चे मेरी पगड़ी पे अब कीचड़ उछाले हैं।।५
यहाँ तुमसे  भला  सुंदर  बताओ और क्या जग में ।
तुम्हारे नाम पर सजते यहाँ सारे   शिवाले  हैं ।।६
डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की ।
तेरे नज़दीक आते दिख रहे मुझको उजाले हैं । ७
प्रखर भाता  नहीं बर्गर  उन्हें भाता  नहीं पिज्जा ।
घरों  में  रोटियों   के  जिनके  पड़ते रोज़  लाले  हैं ।।९

                       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं ।

सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१


नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  द

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ #शायरी

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White ग़ज़ल :-
वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी ।
पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१
छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं ।
करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२
हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से ।
जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३
न था अपना कोई उसका मगर फिर भी ।
उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४
सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता ।
तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५
बताती हार है अब उन महाशय की ।
उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६
नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों ।
जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७
सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली ।
जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८
लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे ।
न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९
किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे ।
खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी ।
पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१
छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं ।
करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल:- तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं । क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१ थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला । प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं । #शायरी

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White ग़ज़ल:-
तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं ।
क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१
थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला ।
प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।।२
साथ चलना तुम्हारे अलग बात है ।
साथ पर अजनबी का निभाती नहीं ।।३
जिनसे रिश्ता जुड़ा है यहाँ प्यार का ।
देख उनको कभी मैं रुलाती नहीं ।।४
प्रेम उनका करें कैसे जाहिर यहाँ ।
माँग सिंदूर क्या मैं सजाती नहीं ।।५
दौड़ आयेगा वो  एक आवाज़ में ।
पर उसे भी कभी मैं बुलाती नहीं ।।६
प्यार का सोचकर आज अंज़ाम मैं ।
कोई रिश्ता भी देखो बनाती नहीं ।।७
है सड़क पर बहुत आज मजनूं पड़े ।
मैं नज़र यार उनसे मिलाती नहीं ।।८
भूल तुमसे हुई है जताकर वफ़ा ।
जा प्रखर केश तुझ पर लगाती नहीं ।।९


०६/०४/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:-
तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं ।
क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१
थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला ।
प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।

GoluBabu

वेदों में प्रमाण है, कबीर साहेब भगवान हैं। पवित्र कुरान प्रमाणित करती है अल्लाह कबीर साहेब ही हैं। सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 52 कबीर ही पूर् #Bhakti #SaintRampalJi #santrampaljimaharaj

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह  छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-क #शायरी

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ग़ज़ल :-
आज बैठा मुँह  छुपाकर कौन है ।
दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।।
जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ ।
इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२
देख कण-कण में बसे प्रभु राम जी ।
पूछता फिर क्यों कि अंदर कौन है ।।३
और कुछ पल धीर धर ले तू यहाँ ।
वक़्त बोलेगा धुरंधर कौन है ।।४
एक तेरे  सिर्फ़ कहने से नहीं ।
है खबर सबको सिकंदर कौन है ।।५
दौड़ आयेगा हमारे पास तू  ।
गर पता तुझको हो रहबर कौन है ।।६
तुम कहो तो मान भी लें बात हम ।
बस बता दो तुम विशंभर कौन है ।।७
बंद हो जायेगी तेरी बोलती
जानेगा जब तू कलंदर कौन है ।।८
हम सभी इंसान हैं तेरी तरह ।
खोजता फिर क्यों तू बंदर कौन है ।।९
इस कदर मत कर गुमाँ खुद पर बशर 
जान ले लिखता मुकद्दर कौन है ।।१०
आज दिल की बात मैं पूछूँ प्रखर ।
तू प्रखर है तो महेन्दर कौन है ।।११
१९/०३/२०२४    -महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
आज बैठा मुँह  छुपाकर कौन है ।
दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।।
जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ ।
इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२
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