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somnath gawade
पोटाचा वाढणारा 'घेर' हा तुमच्या जीवाला 'घोर' लावत असेल तर तुम्ही अजूनही तरुण आहात. 🤣😂 #घोर
Prashant Mishra
मैं गर 'मैसेज' नहीं भेजूँ, या 'Status' नहीं डालूँ तो कोई बात की 'शुरूआत' भी करता नहीं मुझसे --प्रशान्त मिश्रा "घोर परायापन"
"घोर परायापन"
read moreराजेश कुमार बी.जी
"घोर आस्था " मंदिर बनाए थे एहसास के लिए और तुमने घोर आस्था लगा ली पत्थर को तोड़ा, तराशा और एक मूर्ति बना दी दानी सजनो ने धन दिया वो मन्दिर सजा दी पत्थर की तकदीर ही बदल दी मजदूर ने पत्थर बन बैठा माँ काली और तुमने घोर आस्था लगा ली बस मंदिर जाने से कहाँ ज्ञान मिलता है बहुत मुश्किल से यहां इंसान मिलता है मेहनत से पत्थर बदला मूर्त में जो भी है तन के अंदर है तू उलझ गया है सूरत में नित जेब तेरी हो रही है खाली और तुमने घोर आस्था लगा ली पेट बच्चों का पलता नही है तू प्रसाद कबूले बिन चलता नही है पाखंड में बचत खो रहा है और सोचता धंधा फलता नही है सिंचता है आपने हाथों से पौधों को तो बगिया हरी बरी है कब बादलों को ताकत है माली और तुमने घोर आस्था लगा ली ....राजेश बडगुज्जर घोर आस्था
घोर आस्था
read moreRahul Nirbhay
#घोर_कलयुग_है_भाई, अब वक्त ऐसा आ गया है कि गलत को गलत बताना भी गलत है.! ✍️ घोर कलयुग
घोर कलयुग #घोर_कलयुग_है_भाई
read moreKavita Bhardwaj
घोर कलियुग ये कैसा छाया हर घर बिक रहे जहां इंसान, मोल रिश्तों का समझ में ना आया। माटी के पुतले सा हो गया जीवन सब आदर्शों को रद्दी के भाव जलाया, पग पग चले सब अपनी शर्तों पर बुरे मंसूबों ने है गहरा जाल बिछाया। समय की है ये बेबस डोर चार दिन की जिंदगानी फिर भी कैसा.. ये बेहिसाब चाहतों का शोर । ना करे कोई भरोसा किसी पर ना ही दुख बंटे घर - द्वार, चहुं ओर छलावे का परचम अपनों पर नहीं किसी को ऐतबार। घोर कलियुग ये कैसा छाया एक-दूजे से ज्यादा, प्यारी सबको माया, बज रहा सब तरफ लोभ का डंका जो अब ना संभले तो समझो, लग गई इंसानियत की लंका। ©Kavita Bhardwaj #घोर #कलियुग
नशीली कलम
आज का ज्ञान सुनो तुम 2019 में भी घंटा नही उखाड़ पाओगे 😂😂😂😂 #NojotoQuote घोर बेज़्ज़ति Kalakaksh
घोर बेज़्ज़ति Kalakaksh
read moreRS Sumit Sipper
आज भी गला काट दिया जाता है प्यासे का। हम हाथ में तिरंगा लिए आजादी मना रहे हैं। इंतजार आज भी है हर सख्स एक जैसे का। तो फिर हम आजादी या बर्बादी मना रहे हैं। बेच दिया तिरंगें को क्या ये भी कोई सम्मान है। किमत लगाकर किमत जानी ये तो मनमानी है। हर सांस में आजादी झूठी है ये तो अपमान है। ये तो बस जनता की आड़ में घोर बईमानी है। ©RS Sumit Sipper घोर कलयुग #AWritersStory
घोर कलयुग #AWritersStory
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