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sneha raj
बचपन का क्या जमाना था, सब अपना ना कोई पराया था। झूम झूम कर गाते थे, घूम घूम कर खाते थे। मस्ती में दिन-रात था, मां की गोद में सर और हाथ में किताब था। पापा की डांट में भी प्यार था, और रोने पर हाथों में चॉकलेट का अंबार था। मिल बांट कर हम खाते थे, दौड़ दौड़ कर ललचाते थे। ना किसी से ईर्ष्या थी ना किसी से दोएस था, परिवार का आना जाना था। हमें तो बस मिठाई का दोना खाना था। पास पड़ोस में भी प्यार था, ना किसी से झगड़ा न किसी का अलग विचार था। सब करते थे एक दूसरे की मदद हर दिन प्रेम का त्यौहार था। दादी नानी बच्चों को कहानियां सुनाती थी, दादा नाना के कंधों पर बचपन गुजरती जाती थी। वह दिन खेल खिलौने के थे, सबका सोच बड़ा ही प्यारा था। तेरा मेरा का किस्सा ना था, कोई किसी का हिस्सा ना था। रिश्तो में प्यार,इज्जत ,मान सम्मान था , वह पल भी क्या खूब निराले थे। जो लौट के कभी ना आने वाले थे। जो लौट के कभी ना आने वाले थे। ©sneha raj बीते हुए पल बचपन के #ChildrensDay
Manful Satankar
बीता कल हर पल हर दम खुबसुरत होता, है। ©Manful Satankar यादे बीते हुए कल की।
Sunilkumar Sp
बीते हुए पल दर्द इतना है कि कहूं कैसे, आपकी याद मुझे आती है। जब से दूर हुए हो तुम मुझसे, रात भर नींद नहीं आती है। भूल जाऊं मैं अब तुम्हें कैसे, बीती हुई शाम याद आती है। कमी क्या है मेरी बता दो तुम, ऐसे क्यों छोड़ के तुम जाती हो। फोन पर बात मैं यू करूं कैसे, काल मेरा तुम काट देती हो । एक नजर आज मैं तुम्हें देखा, तुम नजर मुझसे ना मिलाती हो। प्यार मैंने ही तो किया तुमसे, फिर भी तुम क्यों मुझे रुलाती हो। ।।सुनील कुमार।। #NojotoQuote बीते हुए पल की यादें
Raj Kanhaiya Raj
जिंदगी में बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहे छत पर सोये या जमीन पर सोये आँख तो बिस्तर पर ही खुलती हे। ©Raj Kanhaiya Raj #angrygirl बचपन की शायरी