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Lokesh Mishra
चाइनीज मांझे ना बनो, जो किसी निरीह निर्दोष का खून बहाए, बनना ही है तो, ऐसे धागे बनो,जो पतंग कटने पर भी, किसी की खुशी की वजह बन जाए, ©2022 चाइनीज मांझे ना बनो, जो किसी निरीह निर्दोष का खून बहाए,✍️✍️
Ritesh Rawat
संगीत कुमार
(दुल्हन कोरोना) चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तू भाग अब तू मैके जा तू कर दी दुर्दशा जग हुआ परेशान ऐसी दुल्हन की न जरूरत यहाँ तू जा अब वहीं टहल चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तेरा माँ-बाप क्यों पैदा किया क्यों भटक रही तू इधर-उधर तू रह अब अपने नगर प्यार से तू बरसा वहीं कहर माँ-बाप का जा गर्दन पकड़ चाइनीज़ दुल्हन कोरोना दुल्हन न चाहिए तुम जैसा तू जा अब आंधी बन अपने डगर जा मिल-जूल अब वहीं रहना न है यहाँ तेरा घर-द्वार अपने बाप के घर जल्दी तू जा चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तू अदृश्य बन खूब कहर मचायी तेरा रूप न दिख रहा क्यों बदसूरत तू भटक रही तेरा माँ-बाप अब बुला रहा जा जा अब अपने बाप के घर चाइनीज़ दुल्हन कोरोना कैसी हट्टी तू निर्लज प्राणी शर्म नहीं तुझे जो आती वेशर्मी की हद कर डाली प्राणघातनी बन तू आई रक्तपिपासु मानव हंती चाइनीज़ दुल्हन कोरोना संगीत कुमार /जबलपुर ✍🏽स्व-रचित 🙏🙏🌹 दुल्हन कोरोना चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तू भाग अब तू मैके जा तू कर दी दुर्दशा जग हुआ परेशान ऐसी दुल्हन की न जरूरत यहाँ तू जा अब वहीं टहल चाइ
संगीत कुमार
(दुल्हन कोरोना ) चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तू भाग अब तू मैके जा तू कर दी दुर्दशा जग हुआ परेशान ऐसी दुल्हन की न जरूरत यहाँ तू जा अब वहीं टहल चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तेरे माँ-बाप ने क्यों पैदा किया क्यों भटक रही तू इधर-उधर तू रह अब वहीं अपने नगर प्यार से तू बरसा वहीं कहर माँ-बाप का जा तू गर्दन पकड़ चाइनीज़ दुल्हन कोरोना दुल्हन न चाहिए तुम जैसा तू जा अब आंधी बन अपने डगर जा मिल-जुल अब वहीं रहना न है यहाँ तेरा घर-द्वार अपना अपने बाप के घर तू जल्दी जा चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तू अदृश्य बन खूब कहर मचायी तेरा रूप न दिख रहा क्यों बदसूरत बन तू भटक रही सब का आह क्यों समेट रही जा जा अब अपने बाप के घर चाइनीज़ दुल्हन कोरोना कैसी हठी तू निर्लज्ज प्राणी शर्म नहीं तुझे जो आती बेशर्मी की हद पार कर डाली प्राणघातनी तू बन आई रक्तपिपासु मानव हन्ति चाइनीज़ दुल्हन कोरोना संगीत कुमार /जबलपुर ✍🏽स्व-रचित 🙏🙏🌹 (दुल्हन कोरोना) चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तू भाग अब तू मैके जा तू कर दी दुर्दशा जग हुआ परेशान ऐसी दुल्हन की न जरूरत यहाँ तू जा अब वहीं टहल चा
संगीत कुमार
चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तू भाग अब तू मैके जा तू कर दी दुर्दशा जग हुआ परेशान ऐसी दुल्हन की न जरूरत यहाँ तू जा अब वहीं टहल चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तेरे माँ-बाप ने क्यों पैदा किया क्यों भटक रही तू इधर-उधर तू रह अब वहीं अपने नगर प्यार से तू बरसा वहीं कहर माँ-बाप का जा तू गर्दन पकड़ चाइनीज़ दुल्हन कोरोना दुल्हन न चाहिए तुम जैसा तू जा अब आंधी बन अपने डगर जा मिल-जुल अब वहीं रहना न है यहाँ तेरा घर-द्वार अपना अपने बाप के घर तू जल्दी जा चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तू अदृश्य बन खूब कहर मचायी तेरा रूप न दिख रहा क्यों बदसूरत बन तू भटक रही सब का आह क्यों समेट रही जा जा अब अपने बाप के घर चाइनीज़ दुल्हन कोरोना कैसी हठी तू निर्लज्ज प्राणी शर्म नहीं तुझे जो आती बेशर्मी की हद पार कर डाली प्राणघातनी तू बन आई रक्तपिपासु मानव हन्ति चाइनीज़ दुल्हन कोरोना संगीत कुमार /जबलपुर ✍🏽स्व-रचित 🙏🙏🌹 #चाइनीज़ दुल्हन कोरोना तू भाग अब तू मैके जा तू कर दी दुर्दशा जग हुआ परेशान ऐसी दुल्हन की न जरूरत यहाँ तू जा अब वहीं टहल चाइनीज़ दुल्हन कोर
Ganesha Poetry
चाइनीज मांझे का प्रयोग बंद करें इंसान के पंख में होते हुए भी उड़ने की सोचता है जिन परिंदों के पंख होते हैं उन्हें काट दिया जाता है चाइनीज मांझे का प्रयोग बंद करें..... #quote #thoughts #writingprompts #inspiration #story #book #nanowrimo #writingtips #authorsofinstagram
~Dear Dinni
Girl quotes in Hindi ये तुम लड़कियों ने जो नकली चेहरे पर भी नकली चेहरा लगाया है, एक रात में ही पता चल जाता है किस चाइनीज क्रीम की माया है। #NojotoQuote ये तुम लड़कियों ने जो नकली चेहरे पर भी नकली चेहरा लगाया है, एक रात में ही पता चल जाता है किस चाइनीज क्रीम की माया है।
Dheeraj Pandey
जग चाइनीज रंग तब भी रंगा था अब भी अनिच्छित सा रंगा मन कोना होगा । फर्क इतना है तब रंग भरी पिचकारिया थी अब सिरिंज भरा कोरोना होगा ।। ~धीरज पांडेय जग चाइनीज रंग तब भी रंगा था अब फिर अनिच्छित सा रंगना होगा । फर्क इतना है तब रंग भरी पिचकारिया थी अब सिरिंज भरा कोरोना होगा ।।
कवि रत्नेश राज अनुराग
इस तरह से हम दीवाली मनाते रहे चाइना की लाइटो से घर सजाते रहे वो गरीब मर गया जब दिए न बिकें भूखे बच्चे थे उसके बिलबिलाते रहे चाइना की लाइटो से घर सजाते रहे इस तरह से हम दीवाली मनाते रहे चाइना की लाइटो से घर सजाते रहे लाल नीलें वो बल्फ़ जगमगाते रहे वो गरीब मर गया जब दिए न बिकें भूखे बच्चे थे
गगन राज मिश्रा
राष्ट्रीय हित का गला घोटकर छेद न करना थाली में मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दिवाली में देश के धन को देश में रखना नहीं बहाना नाली में मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दिवाली में बने जो अपनी मिट्टी से वो दीये बीके बाजारों में छुपी है वैज्ञानिकता अपनी सभी तीज त्योहारों में चाइनीज झालर से आकर्षित सभी कीट पतंगे आते हैं जबकि दिए में जलकर सब बरसाती कीड़े मर जाते हैं कार्तिक दीपदान से बदले मित्र दोस्त खुशहीली में मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दिवाली में राष्ट्रीय हित का गला घोटकर छेद न करना थाली में मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दिवाली में देश के धन को देश में रखना नहीं बहाना नाली में मिट्ट