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Liladhar Sori Kuldeep singh Gopikishan Baghel Saroj Kumar narendra bhakuni #StoryOfAadiGanesha रिद्धि सिद्धि के दाता गणेश जी को तो सब जानते #न्यूज़
read moreVikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 मानव_शरीर_में_सप्तचक्रों_का_प्रभाव 1. #मूलाधारचक्र : 👇 यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है। मंत्र : लं 🧘चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है- यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना। प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है। 2. #स्वाधिष्ठानचक्र- 👇 यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से 4 अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी 6 पंखुरियां हैं। अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानता रहेगी। यह सब करते हुए ही आपका जीवन कब व्यतीत हो जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा और हाथ फिर भी खाली रह जाएंगे। मंत्र : वं 🧘कैसे जाग्रत करें : जीवन में मनोरंजन जरूरी है, लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं। मनोरंजन भी व्यक्ति की चेतना को बेहोशी में धकेलता है। फिल्म सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़कर आप जो अनुभव करते हैं वह आपके बेहोश जीवन जीने का प्रमाण है। नाटक और मनोरंजन सच नहीं होते। प्रभाव : इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश होता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि उक्त सारे दुर्गुण समाप्त हों तभी सिद्धियां आपका द्वार खटखटाएंगी। 3. #मणिपुरचक्र : 👇 नाभि के मूल में स्थित यह शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र है, जो 10 कमल पंखुरियों से युक्त है। जिस व्यक्ति की चेतना या ऊर्जा यहां एकत्रित है उसे काम करने की धुन-सी रहती है। ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहते हैं। ये लोग दुनिया का हर कार्य करने के लिए तैयार रहते हैं। मंत्र : रं 🧘कैसे जाग्रत करें : आपके कार्य को सकारात्मक आयाम देने के लिए इस चक्र पर ध्यान लगाएंगे। पेट से श्वास लें। प्रभाव : इसके सक्रिय होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि कषाय-कल्मष दूर हो जाते हैं। यह चक्र मूल रूप से आत्मशक्ति प्रदान करता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए आत्मवान होना जरूरी है। आत्मवान होने के लिए यह अनुभव करना जरूरी है कि आप शरीर नहीं, आत्मा हैं। आत्मशक्ति, आत्मबल और आत्मसम्मान के साथ जीवन का कोई भी लक्ष्य दुर्लभ नहीं। 4. #अनाहतचक्र-👇 हृदयस्थल में स्थित द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से युक्त द्वादश स्वर्णाक्षरों से सुशोभित चक्र ही अनाहत चक्र है। अगर आपकी ऊर्जा अनाहत में सक्रिय है तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे। हर क्षण आप कुछ न कुछ नया रचने की सोचते हैं। आप चित्रकार, कवि, कहानीकार, इंजीनियर आदि हो सकते हैं। मंत्र : यं 🧘 कैसे जाग्रत करें : हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जाग्रत होने लगता है और सुषुम्ना इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है। प्रभाव : इसके सक्रिय होने पर लिप्सा, कपट, हिंसा, कुतर्क, चिंता, मोह, दंभ, अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। इस चक्र के जाग्रत होने से व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के समय ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है। व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता है। ऐसा व्यक्ति अत्यंत हितैषी एवं बिना किसी स्वार्थ के मानवता प्रेमी एवं सर्वप्रिय बन जाता है। 5. #विशुद्धचक्र- 👇 कंठ में सरस्वती का स्थान है, जहां विशुद्ध चक्र है और जो 16 पंखुरियों वाला है। सामान्य तौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है तो आप अति शक्तिशाली होंगे। मंत्र : हं 🧘कैसे जाग्रत करें : कंठ में संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। प्रभाव : इसके जाग्रत होने कर 16 कलाओं और 16 विभूतियों का ज्ञान हो जाता है। इसके जाग्रत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता है वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है। 6. #आज्ञाचक्र :👇 भ्रूमध्य (दोनों आंखों के बीच भृकुटी में) में आज्ञा चक्र है। सामान्यतौर पर जिस व्यक्ति की ऊर्जा यहां ज्यादा सक्रिय है तो ऐसा व्यक्ति बौद्धिक रूप से संपन्न, संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है लेकिन वह सब कुछ जानने के बावजूद मौन रहता है। इसे बौद्धिक सिद्धि कहते हैं। मंत्र : उ 🧘कैसे जाग्रत करें : भृकुटी के मध्य ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। प्रभाव : यहां अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं। इस आज्ञा चक्र का जागरण होने से ये सभी शक्तियां जाग पड़ती हैं और व्यक्ति सिद्धपुरुष बन जाता है। 7. #सहस्रारचक्र :👇 सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है अर्थात जहां चोटी रखते हैं। यदि व्यक्ति यम, नियम का पालन करते हुए यहां तक पहुंच गया है तो वह आनंदमय शरीर में स्थित हो गया है। ऐसे व्यक्ति को संसार, संन्यास और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं रहता है। मंत्र : ॐ 🧘कैसे जाग्रत करें : मूलाधार से होते हुए ही सहस्रार तक पहुंचा जा सकता है। लगातार ध्यान करते रहने से यह चक्र जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति परमहंस के पद को प्राप्त कर लेता है। प्रभाव : शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण विद्युतीय और जैवीय विद्युत का संग्रह है। यही मोक्ष का द्वार है..!! बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 मानव_शरीर_में_सप्तचक्रों_का_प्रभाव 1. #मूलाधारचक्र : 👇 यह शरीर
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 मानव_शरीर_में_सप्तचक्रों_का_प्रभाव 1. #मूलाधारचक्र : 👇 यह शरीर #जानकारी #स्वाधिष्ठानचक्र #मणिपुरचक्र #अनाहतचक्र #विशुद्धचक्र #आज्ञाचक्र #सहस्रारचक्र
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" सिद्धिदात्रि " वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्। कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥ दुर्गा माता के सिद्धि और मोक्ष देने वाले स्वरूप को सिद्धिदात्री कहते हैं। नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। धार्मिक
दुर्गा माता के सिद्धि और मोक्ष देने वाले स्वरूप को सिद्धिदात्री कहते हैं। नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। धार्मिक
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समस्त पृथ्वी के गुरुओं की भक्षण शिक्षा ******************************** समस्त पृथ्वी के किसी भी धर्म गुरुओं के पास 8 सिद्धियां और 9 निधियां नहीं है। समस्त पृथ्वी के समस्त धर्म गुरु , किसी ने किसी पाखण्ड /चार वचन में लिप्त है। इस पृथ्वी पर कलयुग काल में, आठ सिद्धियां केवल ही केवल । श्री गीता जी के गुप्त रहस्य 700 श्लोक के , मुल अर्थ के निरंतर अभ्यास से ही मिलेगी। और माता और पिता जी को ही भगवान /गुरु स्वरूप मानने पर ही मिलेगी। निधि तो आपको केवल ही केवल इस संसार में। समस्त प्रकति के 28 गुणों को अपनाकर ही मिलेगा। इसलिए तो ही श्री हनुमानभक्त जी नाम नहीं निकला था । हमारी वाणी श्री गीता जी में कहीं पर भी। हे पृथ्वी वासियों जो वास्तविक रुप में आयें हुएं पृथ्वी पर। वे अपनी पहचान उजागर नहीं कर रहें इस पृथ्वी पर और उनके योग्य अंश मात्र भी नहीं है। समस्त पृथ्वी आज का समस्त ज्ञान-विज्ञान। ये तुच्छ ज्ञान वाले अपुर्ण गुरु प्रकति का पहला गुण अच्छी तरह ग्रहण नहीं कर पायें । जो पहला गुण निस्वार्थ भाव है और अन्तिम गुण । श्री (लक्ष्मी/आदि) का रुप है इस कारण से समस्त गुरु जी इस पृथ्वी पर श्री/रुपए के चक्रव्यूह में फंस गयें। ये 28 गुण केवल ही केवल शिव और विष्णु /नारायण के पास है। समस्त पृथ्वी पर हे तुच्छ ज्ञान वालों गुरुओं तुम खुद ही समस्त पृथ्वी के भक्षक क्यों बन गयें हो वर्तमान में। यह श्री गीता जी का दुसरा श्लोक शिक्षा देता है समस्त पृथ्वी पर । हे परमत्तव अंश जी ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks समस्त पृथ्वी के गुरुओं की भक्षण शिक्षा ******************************** समस्त पृथ्वी के किसी भी धर्म गुरुओं के पास 8 सि
#grhctechtricks समस्त पृथ्वी के गुरुओं की भक्षण शिक्षा ******************************** समस्त पृथ्वी के किसी भी धर्म गुरुओं के पास 8 सि #New #विचार #viral #walkalone #treanding
read moreबेजुबान शायर shivkumar
नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां ब्रह्मचारिणी का l मां दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारिणी का ll तपस्विनी माता , सात्विक रुप धारण करती है l पूजा करने से भक्तों के , सारे कष्ट को वो हरती है l श्वेत वस्त्र मां धारण करती , तपस्या सदा ही वो करती है l तपस्या करने से , सारी सिद्धियां भक्तों को वो देती है ll दूध चावल से बना भोग , मां बड़ा प्रिय वो लगता है l खीर,पतासे, पान, सुपारी , मां को बहुत चढ़ाते हैं ll स्वच्छ आसन पर बैठकर , मां का करें ध्यान l मंत्र जाप करने से , माता कल्याण करती है ll राजा हिमाचल के यहां , माता उत्पन्न हुई थी l विधाता उनके लिए , शिव-संबंध रच रखे थे ll वह पति रुप में , भगवान शिव को चाहती थी l घोर तपस्या करने , वह फिर जंगल में चली गई ll भोलेशंकर , मां के तपस्या जब प्रसन्न हुए मनवांछित वर देने के लिए हो गए तत्पर ll तपस्विनी रुप में , मां को देखकर बोले शिवशंकर l ब्रह्मचारिणी नाम से , विख्यात होने का दिए वर ll ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि
#navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि #वस्त्र #भक्ति #कष्ट #विख्यात #तपस्या
read moreVikas Sharma Shivaaya'
गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ को अत्यंत प्रभावी मंत्रों में से एक माना गया है। इस मंत्र का अर्थ होता है कि 'सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें। गायत्री मंत्र का दूसरा नाम 'तारक मन्त्र' भी है , तारक अर्थात् तैराकर🏊 पार निकाल देने वाली शक्ति... मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था, इसके बाद ब्रह्मा जी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या देवी गायत्री की कृपा से अपने चारों मुखों से चार वेदों के रुप में की- प्रारंभ में गायत्री मंत्र सिर्फ देवताओं के लिए ही था। गायत्री मंत्र : 24 अक्षरों की 24 शक्तियां, 24 सिद्धियां, 24 देवता:- तत्: देवता -गणेश, सफलता शक्ति। ... स: देवता-नरसिंह, पराक्रम शक्ति। ... वि: देवता-विष्णु, पालन शक्ति। ... तु: देवता-शिव, कल्याण शक्ति। ... व: देवता-श्रीकृष्ण, योग शक्ति। ... रे: देवता- राधा, प्रेम शक्ति। ... णि: देवता- लक्ष्मी, धन शक्ति। ... यं: देवता- अग्नि, तेज शक्ति। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 244 से 254 नाम 244 जह्नुः अज्ञानियों को त्यागते और भक्तो को परमपद पर ले जाने वाले 245 नारायणः नर से उत्पन्न हुए तत्व नार हैं जो भगवान् के अयन (घर) थे 246 नरः नयन कर्ता है इसलिए सनातन परमात्मा नर कहलाता है 247 असंख्येयः जिनमे संख्या अर्थात नाम रूप भेदादि नहीं हो 248 अप्रमेयात्मा जिनका आत्मा अर्थात स्वरुप अप्रमेय है 249 विशिष्टः जो सबसे अतिशय (बढे चढ़े) हैं 250 शिष्टकृत् जो शासन करते हैं 251 शुचिः जो मलहीन है 252 सिद्धार्थः जिनका अर्थ सिद्ध हो 253 सिद्धसंकल्पः जिनका संकल्प सिद्ध हो 254 सिद्धिदः कर्ताओं को अधिकारानुसार फल देने वाले 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ को अत्यंत प्रभावी मंत्रों में से एक माना गया है।
गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ को अत्यंत प्रभावी मंत्रों में से एक माना गया है। #समाज
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।। शांति संदेश।। गोविन्द माधव मुकुन्द हरे मुरारे, शम्भो शिवेश शशिशेखर शूलपाणे। दामोदराच्युत जनार्दन वासुदेव, त्याज्या भटा य इति संततमामनन्ति #लव
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