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Internet Jockey
तुम्हीं मेरे माथे की बिंदिया की झिल-मिल तुम्हीं मेरे हाथों के गजरों की मंज़िल... -रजिंदर कृष्णन ©Internet Jockey तुम्हीं मेरे माथे की बिंदिया की झिल-मिल तुम्हीं मेरे हाथों के गजरों की मंज़िल...
Shivkumar
" तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ वैसी ही रखी हैँ ,, वह चाय का कप और हिसाब की किताब, बिस्तर के सरआने पर बिलकुल वैसी ही अधूरी रखी हैँ ,, जहाँ बिताए थे कुछ पल बैठकर साथ अब वहां धूल चढ़ी है, जहाँ चलते थे दो कदम साथ वहां अब दूब बढ़ गयी है ,, तेरे जाने के बाद से वह हमारी तस्वीर अब अधूरी रह गयी है, रंग सब सूख गए हैँ और तस्वीर में रंग की जगह खाली रह गयी है ,, तेरे गिटार के तार अब टूट गए हैँ तेरी आधी पढ़ी कहानी की किताब अभी वहीँ पड़ी है, उन गीतों का क्या होगा जिसकी धुन अभी आधी बनी है ,, घर की चाबी अभी भी उस दराज़ में तेरे छल्ले के साथ मैंने रखी है, वह पर्दे जो जो लगाए थे कमरों में रंग भरने उन पर अभी कुछ धूल चढ़ी है ,, वह कमरा जहाँ बिताए थे पल यादगार, वीरान हो गया है, वह कंघा, वह आइना, अभी भी तेरे टूटे बाल, तेरी बिंदिया के निशान खोज रहा है ,, वह कमरे की खिड़की अभी भी आधी खुली है, कुछ छनी धूप वहां से झाँक रही है ,, वह खुश्क़ चादर अपनी अब भी कोने में पड़ी है, तेरी टूटी हुईं चूड़ियाँ भी मैंने वहीँ सहेज कर रखी है ,, ~शिवकुमार बर्मन ✍🥀 ©Shivkumar #aaina #आइना #दर्पण #Nojoto #nojotohindi #कविता " तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ
Anjali Singhal
Vivek
उसके माथे की बिंदिया को कई बार अपने माथे पर भी सजा लेता हूँ मैं ख़ुद को उसके जैसा भी बना लेता हूँ मैं... !!! ©Vivek #बिंदिया
Neena Jha
मैं लब हूँ वो शब्द है, मैं ग़ज़ल तो वो मुक्तक है, हर आखर का नुक्ता है वो, हर वाक़या का पूरक है, मैं अल्पविराम वो लोप चिह्न है, मैं बिंदिया हिन्दी की, वो साहित्य मेरा, मैं बारह कड़ी, मात्रा का आबद्ध है वो .... नीना झा #संजोगिनी ©Neena Jha #Hindidiwas #Neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी जय माँ ज्ञानदात्री 🙏 मैं लब हूँ वो शब्द है, मैं ग़ज़ल तो वो मुक्तक
Nisheeth pandey
राम जी का जीवन भी क्या जीवन रहा होगा राजा होकर भी रंक का जीवन जिया होगा राजशाही ठाठ हो कर भी ठाठ न लगी होगी कभी कभी शिक्षा के लिये वन कभी वनवास के लिये वन कभी राज गद्दी पर होकर भी सिया बिन मन रहा वनवास में ... राज धर्म के हेतु त्यागना पड़ा सिया को सारे साम्राज्य की भीड़ में राम मन सिया बिन कितना व्याकुल रहा होगा राम भी तो अकेले में सिया स्वप्न में भटक जाते होंगे ... कल्पना में जब सिया से मिलते होगें सिया से कहते होंगें ...... पीताम्बरी सी तुम , तुमपर कितना चम चम करती है ये - पीली साड़ी ....देह पर तुम्हारी ..... तुम्हारी यौवन देख ! दूर कहीं पीली सरसों खेतों में सारे लहलहा जाएगी ……. जब राम ने सिया को पहनाए होंगे हरी चूड़ियां कलाइयों में..... सजा देख कलाइयां सिया की! राम ने कहा होगा तुम्हारी कलाइयों में हरी चूड़ियाँ देख - सावन दौड़ा आएगा और ...... शर्माकर पेड़ सारे ...... ओढ़ लेंगे हरी चादर ! जब राम ने सिया के माथे की दमकती हुई लाल बिंदिया चूमा होगा ! झूमता हुआ बसंत चला आया होगा और .....चारों ओर फूल रंग-बिरंगे खिल उठे होंगे ..... ! मगर ........ वास्तव में ऐसा कुछ नहीं वंचित रहें प्रेम की मधुरता से राम सिया से सिया राम से सिया और राम के बिछरण से हृदय में गहरा रंज रहा होगा सरसों को ....... फूलों को...... बसंत और सावन को और पेड़ों को भी! और ...... मैं भी उन्हीं की तरह नियति के सिलौटी पर पीस गया हूँ मैं तो तुच्छ मानव हूँ शायद इन सब से कहीं गहरा रंज है मुझे... #निशीथ ©Nisheeth pandey #ramsita राम जी का जीवन भी क्या जीवन रहा होगा राजा होकर भी रंक का जीवन जिया होगा राजशाही ठाठ हो कर भी ठाठ न लगी होगी कभी कभी शिक्षा के
Himanshu Shukla
Vivek
माथे की बिंदिया सौंदर्य है अधरों पे लाली भी वही है काला है काजल तो क्या हुआ आँखों में तो फ़ब्ता वही है तू साथ होकर भी कई बार क्यों लगती साथ नहीं है जब तू साथ नहीं होती तो लगता है तू साथ ही यहीं-कहीं है...!!! ©Vivek # माथे की बिंदिया
Author kunal
रातों में चहकती चमकती जुगनू जैसी वो लड़की तमस को जीती हुई नायाब तुलु जैसी वो लड़की या'नी उसके इक दीद पे हि निसार हो जाए कोई भी यानी कह रहा परिजाद में गुल रु जैसी वो लड़की उसके आते हर फ़िजा हर मंजर गुलजार में तब्दील महकी महकी गुलाब की ख़ुशबू जैसी वो लड़की पल में हँसती पल में रो देती जज्बातों से लबरेज़ थोड़ी अल्हड़ थोड़ी पागल मजनूँ जैसी वो लड़की पांँव में पायल माथे पे चाँद की बिंदियाँ आए - हाए छन छन करती बहिशत की घुँघरू जैसी वो लड़की जबसे उसको लिखना चाहा तब से हि मुकम्मल हुँ मैं गोया के हसीन मआनी में उर्दू उर्दू जैसी वो लड़की ©Author kunal #Love #poet #chand #bond #gajal #kunu #viral #kunal
Deepti Garg
❤🌹🌹❤सिंदूर ❤🌹🌹❤ ©Deepti Garg Theme post- sindoor🌹 यह दो चुटकी सिंदूर भी ना अजीब कमाल दिखाता है। मांग में पड़ जाए तो सारे सुख सुविधाओं से पूर्ण कर देता है। एक सौभाग्यवत