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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग । आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।। रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल । अब बचकर चलना सखी , छुपे नन्द के लाल ।। हो जाओगी अप्सरा , अगर रंग दूँ डाल । गोरे-काले गाल ये , हो जायेंगे लाल ।। भर पिचकारी मार दूँ , जब मैं प्रीत फुहार । आकर दोगी बोल तुम , हमको तुमसे प्यार ।। आज प्रीत के रंग का , चढ़ा सभी को रंग । जीजा साली झूमते , देखो पीकर भंग ।। १५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लेकर हाथ गुलाल में , चला लगाने रंग । आ जायें जो सामने , लगा उन्हें लें अंग ।। रंग छुपाये हैं सभी , देख हाथ में ग्वाल ।
Himanshu Prajapati
किस्मत भी क्या कुत्ती चीज है साला वह गोरे कागज सी मैं ठहरा कलम काला..! ©Himanshu Prajapati #Tulips किस्मत भी क्या कुत्ती चीज है साला वह गोरे कागज सी मैं ठहरा कलम काला..!
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समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । सुभाष चंद्र बोस जी के नाम पर एक सुभाष चालिसा का प्रयास: दोहा अष्ट शताब्दी वर्ष तक , यह भारत रहा गुलाम । कभी मुगल कभी गोरे , रहे शासन ये अविराम ।। चौपाई जय सुभाष तेरा अभिनंदन । चरण तुम्हारे कोटिशः वंदन ।। जय जय हे वीर भारत नंदन । चीख पुकार सुने तुम क्रंदन ।। मुगल शासन निरंतर कीन्हा । ब्रिटेन पुर्तगाल शासन लीन्हा ।। अठारह शताब्दी औ सत्तावन । गोरे बने थे कंस बालि रावण ।। READ IN CAPTION........ ©Instagram id @kavi_neetesh विषय: सुभाष चन्द्र बोस जयंती या पराक्रम दिवस समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । सुभाष चंद्र
Edu.nr
UPSC Interview Q. लड़का या लड़की गोरे हों या काले पर उनकी एक चीज हमेशा काली होती है। दम है तो बताओ वो क्या है ? ©Edu.nr #NightRoad UPSC Interview Q. लड़का या लड़की गोरे हों या काले पर उनकी एक चीज हमेशा काली होती है। दम है तो
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get the same for me 5555555555 ©KP EDUCATION HD भाद्रपद चातुर्मास के चार पवित्र महीनों का दूसरा मास है. चातुर्मास श्रावण मास से शुरू होकर कार्तिक मास में खत्म होता है. यह मास एक सितंबर से
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सार छन्द गीत:- पावस की बूँदों में गोरी , कैसे झूम रही है । गोरे-गोरे तन को देखो , केशें चूम रही है ।। पावस की बूँदो में गोरी ... बोल रहे हैं दादुर भी तो , गोरी की अब बोली । मेघो ने अम्बर है घेरा , मन्द पवन फिर डोली । खनक रही हाथों की चूड़ी , भीग गई वह चोली । इस सावन साजन को पाकर , देखो चहक रही है । पावस की बूँदों में गोरी ...... चारो ओर लताए देखो , नव शृंगार किए हैं । महका-महका उपवन सारा , शीतल छाँव किए हैं।। आज प्रकृति के रंगों में , गोरी रमी हुई है । जैसे जल की गगरी यारों , भरकर छलक रही है पावस की बूँदों में गोरी....। नागिन जैसी जुल्फ़े जिसकी , डसना भूल गई है । जैसे कली अधूरी कोई , खिलना भूल गई है ।। आज उसी के अधरो पर तो , कोमल कमल खिले है । पाकर इतनी खुशियों को , झूला झूल रही है ।। पावस की बूँदों में गोरी..... पावस की बूँदों में गोरी , कैसे झूम रही है । गोरे-गोरे तन को देखो , केशें चूम रही है ।। २८/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सार छन्द गीत:- पावस की बूँदों में गोरी , कैसे झूम रही है । गोरे-गोरे तन को देखो , केशें चूम रही है ।। पावस की बूँदो में गोरी ... बोल रहे ह
Dharamveer Kumar
जिक्र जो तिल का चला:::: जो गुड पे लगा वो गजब हो गया।:::: जो गाल पे लगा तो गजब हो गया ।:::: ©Dharamveer Kumar #Kundan काला तिल तेरे गोरे गाल पे