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Ashok Verma "Hamdard"
White ग़ज़ल सुना है कि नफ़रत करते हैं हम से, नफ़रत से उनके सुकून मिलता है। हमारी मोहब्बत जो गुनाह ठहरी, तभी तो हर दर्द का जूनून मिलता है। चलो दूर होकर दुआ हम करेंगे, लगता है उन्हें भी सुकून मिलता है। वफ़ा की सज़ा जब से मुक़र्रर हुई है, तभी तो हर जुर्म में कानून मिलता है। हमारे ही लहू से जलते चराग, मगर नाम उनका फ़लून मिलता है। — अशोक वर्मा हमदर्द ©Ashok Verma "Hamdard" गजल
गजल
read moreYashpal singh gusain badal'
White जज्बात मुझसे दिल के संभाले नहीं गए, आँखों में भरे अश्क थे निकाले नहीं गए, खुशियां थी अमन था चैन था मुहब्बत थी, सब था मगर वक़्त पर उछाले नहीं गए । तू गैर था मगर फिर भी अपना सा लगा था, अपनों के दिए जिगर से छाले नहीं गए। इक साया सा रहा बनके सालों यूं हमसफ़र, बस इस स्याह रूह के इतर उजाले नहीं गए। जीने का हुनर आता जो होती उम्मीद भी, थे मौके बहुत मुझसे मगर खंगाले नहीं गए। यशपाल सिंह ,"बादल" ©Yashpal singh gusain badal' #गजल
MSA RAMZANI
मेरी सांसों को हवाओं में बिखर जाना है, जिस्म को खाक के तूदो में उतर जाना है उसका सिद्दत से मुझे चाहना बतलाता है, चढते दरिया को बहुत जल्द उतर जाना है, दूर रहने का इरादा कभी मिलने की तडप यह समझ में नहीं आता कि किधर जाना है छत पे फैली हुई इस धूप को मालूम नहीं दिन के ढलते ही दीवारों में उतर जाना है प्यार करना कोई आसां नहीं है, रमजानी गहरे पानी के समन्दर में उतर जाना है, 28/10/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
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तेरे ही रूप को आखों में भर रहे है हम तू ही बता कि कोई भूल कर रहे है हम। सफर तमाम हुआ जब तो यह ख्याल आया कि एक उम्र न जाने किधर रहे है हम। बड़े अदब से जो झुक कर सलाम करता है उस शख्स से क्यूं आज डर रहे है हम। जिधर भी देखे कही आदमी नहीं मिलता ये कैसा शहर है जिससे गुजर रहे है हम। करो न रंज तुम्हारा जो साथ न दे सके खुद अपने आप के कब हमसफर रहे है हम। खुद अपने आप से गाफिल रहे मगर रमजानी तुम्हारी याद में कब बेखबर रहे है हम। 4/10/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
read moreBheem Bheemshankar
White अगर मैं हद से गुज़र जाऊं तो मुझे माफ़ करना तेरे दिल में उतर जाऊं तो मुझे माफ़ करना रात में तुझे तेरे दीदार की खातिर अगर मैं सब कुछ भूल जाऊं तो मुझे माफ़ करना। 😭😭 ©Bheem Bheemshankar #love_shayari अगर मैं हद से गुज़र जाऊं तो मुझे माफ़ करना तेरे दिल में उतर जाऊं तो मुझे माफ़ करना रात में तुझे तेरे दीदार की खातिर अगर मैं सब
#love_shayari अगर मैं हद से गुज़र जाऊं तो मुझे माफ़ करना तेरे दिल में उतर जाऊं तो मुझे माफ़ करना रात में तुझे तेरे दीदार की खातिर अगर मैं सब
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पल में दूर हो जाती है जात अधूरी हो जाती है आखों में नींद नहीं आती रात पूरी हो जाती है पहले तो होती है चाहत फिर मजबूरी हो जाती है कुछ लोगों की पल भर मे ख्वाहिशे पूरी हो जाती है हद से प्यार गुजर जाये तो अक्सर दूरी हो जाती है 8/10/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
read moreMSA RAMZANI
White मुन्तजिर सब मेरे जवाल के है मेरे अपने भी क्या कमाल के है दोस्तो को समझ नहीं पाया ये सबब ही मेरे मलाल के है एक दिन में चमन नही खिलता जख्म ये जाने कितने साल के है खुश्बु एक चारसू है बिखरी हुई गालिबन दिन यही विसाल के है इश्क बदनाम मुफ्त में ही हुआ जलवे सब हुस्न और जमाल के है रंग तहजीब और जबान अलग पंछी लेकिन सब एक ही डाल के है तेरी यादो का शुक्रिया ऐ दोस्त हिज्र में भी मजे विसाल के है बरकते तो है लाजमी रमजानी मेरे पैसे भी तो हलाल के है 6/8/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
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White जमाने वालो से मुझे सदा बचा के रखो। किसी ग्लाफ के नीचे मुझे छुपा के रखो।। इसी तरफ से कोई आज आने वाला है। इसी मुंडेर पे दीपक कोई जला के रखो।। तुम्हारी शर्म ही हुस्न व अदा का जेवर है। हया भी कहती है, आंखो को हो तुम छुपा के रखो।। तुम्हारा घर ही तुम्हारे लिए वो जन्नत है। बड़े सलीके से इस घर को तुम सजा के रखो।। बडे बडे भी तो रहते है आजिजि से यहां। अना को तुम भी रमजानी इक तरफ हटा के रखो।। 24/10/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
read moreamansingh6295
White मैं जानते हुए भी हर बात, हर बार एक ही भूल करता गया..., परेशानियाँ मुझे सताती रही, मैं उतना उसे कुबुल करता गया...! ©amansingh6295 मैं जानते हुए भी हर बात, हर बार एक ही भूल करता गया..., परेशानियाँ मुझे सताती रही, मैं उतना उसे कुबुल करता गया...!
मैं जानते हुए भी हर बात, हर बार एक ही भूल करता गया..., परेशानियाँ मुझे सताती रही, मैं उतना उसे कुबुल करता गया...!
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