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कमबख्त_कलम

तिलांजलि - नज़रन्दाज़ करना #Love #Life #lesson #experience #Sambhav #Shayar

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मेरे आगे से बड़े अरसे बाद गुज़रा 
 तिलांजलि देकर वो ऐसे गया है ;

किसी ज़मींदोज़ हो चुके शक़्स को
श्रद्धांजलि देकर वो जैसे गया है ।

©कमबख्त_कलम तिलांजलि - नज़रन्दाज़ करना
#Nojoto #Love #Life #lesson #experience #Sambhav #Shayar

Anamika

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय(संत कबीर जी ) #क्षमावाणी #मित्र #यादें #गुरूदक्षिणा परमपिता_पर #भूल #तिलांजलि #क्षमायाचना #परमपिता_परमात्मा

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 अनकही, अनछुई बातें ,यादें ..

चुल्लु भर जल अंजुलि में,
 दे कर आज तिलांजलि..
  ली जो मैंने कुछ भी शिक्षा,
देने को है सिर्फ यही गुरु दक्षिणा..
करना स्वीकार परमपिता ब्रह्मा..
क्षमायाचना की पात्र नहीं मैं,
सूक्ष्म जीव हूं ,नहीं तेरा हिस्सा मैं ..


     
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय(संत कबीर जी )
#क्षमावाणी #मित्र
#यादें
#गुरूदक्षिणा #परमपिता_पर

MANJEET SINGH THAKRAL

अंध राष्ट्रवाद को राजनीतिक वर्ग ने हथियार बना लिया है और उसके ज़रिए लोगों का ध्रुवीकरण करके प्रतिरोध को ख़त्म किया जा रहा है । इस सामूहिक उन #nojotophoto #Life_experience

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 अंध राष्ट्रवाद को राजनीतिक वर्ग ने हथियार बना लिया है और उसके ज़रिए लोगों का ध्रुवीकरण करके प्रतिरोध को ख़त्म किया जा रहा है । इस सामूहिक उन

Bhupendra Rawat

कहना है कुछ लोगों का कमजोर होती है स्त्रियां क्योंकि,धकेल दिया जाता है शुरू से उसे उस गर्त में जहां पहले से ही बेचारी समझकर समझा दिया #SAD

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कहना है कुछ लोगों का 
कमजोर होती है स्त्रियां

क्योंकि,धकेल दिया जाता है 
शुरू से उसे उस गर्त में 
जहां पहले से ही 
बेचारी समझकर 
समझा दिया जाता है, 
पाठ ज़िंदगी का
तुम्हारी जगह है 
घर के भीतर की
चारदीवारी।
कर दी जाती है सीमित 
उसकी आकांक्षाएं।
उन्हीं आकांक्षाओ ने
उसे सीखा दिया जीना
पिंजरे में।

अब उस स्वर्ण जैसे
पिंजरे में उसे देनी पड़ती है
आहुति अपने सपनों की

पराया धन समझकर 
नम आंखों के साथ
कर दी जाती है विदा

अपनी इच्छाओं की 
तिलांजलि दे, पुनः सजाती है,
एक ख़्वाब,फूटते हुए अंकुर में  
समाहित है,दफन हुए ख्वाबों 
के सच होने की ख्वाईश।
 पार्ट -1
भूपेंद्र रॉवत
10।01।2021

©Bhupendra Rawat कहना है कुछ लोगों का 
कमजोर होती है स्त्रियां

क्योंकि,धकेल दिया जाता है 
शुरू से उसे उस गर्त में 
जहां पहले से ही 
बेचारी समझकर 
समझा दिया

Naresh Chandra

प्रेम हो सबके हृदय मे द्वेष क्लेष न रहे मन मे प्रीत की ज्योति बुझी है मन फंसा है लालसा मे प्रेम की ज्योति जलाकर बस यही उपकार कर दो प्रेम की #कविता

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प्रेम हो सबके हृदय मे
द्वेष क्लेष न रहे मन मे
प्रीत की ज्योति बुझी है
मन फंसा है लालसा मे
प्रेम की ज्योति जलाकर
बस यही उपकार कर दो
प्रेम की देवी धरा पर
प्रेय की बरसात कर दो।

कर मे लिए है पुष्प अपने
प्रेम का इजहार करते
वासना के हो वशीभूत 
झूठा ही प्रस्ताव रखते
भर दो हृदय मे स्वच्छता
इतना सा उपकार कर दो
प्रेम की देवी थरा पर
प्रेम की बरसात कर दो।

अंधकार मे फंसा, मानव 
 सदा दुर्व्यवहार करता
प्यार की देकर तिलांजलि
नित नये, नये जाल बुनता
भाव मन के स्वच्छ हो
ऐसा ही तुम वरदान दे दो
प्रेम की देवी धरा पर
प्रेम की बरसात कर दो।

©Naresh Chandra प्रेम हो सबके हृदय मे
द्वेष क्लेष न रहे मन मे
प्रीत की ज्योति बुझी है
मन फंसा है लालसा मे
प्रेम की ज्योति जलाकर
बस यही उपकार कर दो
प्रेम की

#maxicandragon

वाह रे औलादें साली वाह रे औलादें श्राध चल रहे है बाबूजी बस देखो आगे आगे आधे घंटे में मेरा कुत्ता न उठता अपने द्वारे से #Sadharanmanushya #औलादें_ऐसी_भी

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वाह रे औलादें
साली
वाह रे औलादें
श्राध चल रहे है बाबूजी
बस देखो आगे आगे

आधे घंटे में मेरा कुत्ता
न उठता अपने द्वारे से 
प्यार से उठाओ धीरे से 
तब आता वो खाने पे

तब भी जब तक न मनाओ
मूँह फेरता है  निवाले से 
वो सबको अच्छे से जानता 
बडे मुश्किल से कहीं मानता है 

अब ये औलादें आई है 
मुश्किल से समय निकालके
आधे घंटे में जैसे तैसे 
श्राध में तुम्हें बुलानखै

लग गई झाडू,बन गौ खाना
आने है तो आ जाओ 
घर के अंदर से आवाज लगारैह
कागा रूप में आ जाओ 

आओ आओ आओ आओ

ना चोक पुरा न आमंत्रण 
न तिलांजलि न पडे चरण 
कैसे आग्रह माने चिटी कुत्ता 
कागा गाय और देवतागण


शाम हो गई जाना भी है 
तुम जल्दी से आ जाओ 
वरना दरवाजे हो गए बंद तो 
सीधे अगले साल आओ

#औलादें_ऐसी_भी
#Sadharanmanushya

©#maxicandragon वाह रे औलादें
साली
वाह रे औलादें
श्राध चल रहे है बाबूजी
बस देखो आगे आगे

आधे घंटे में मेरा कुत्ता
न उठता अपने द्वारे से

Jai Singh

कैसा लगता है जब सारी मेहनत पर पानी गिर जाता है कैसा लगता है जब सारे सपने यूँ ही ढह जाते हैं कैसा लगता है जब सर्वस्व लगाया जिसके लिए वो यूँ #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #कैसालगताहै

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कैसा लगता है जब
सारी मेहनत पर पानी गिर जाता है
कैसा लगता है जब
सारे सपने यूँ ही ढह जाते हैं
कैसा लगता है जब
सर्वस्व लगाया जिसके लिए
वो यूँ ही खत्म हो जाता है
कैसा लगता है जब
प्रेम के बदले ज़हर मिलता है
कैसा लगता है जब
नेक नीयत के बदले सज़ा ही मिले

 शेष अनुशीर्षक मे पढ़ें 
कैसा लगता है जब
सारी मेहनत पर पानी गिर जाता है
कैसा लगता है जब
सारे सपने यूँ ही ढह जाते हैं
कैसा लगता है जब
सर्वस्व लगाया जिसके लिए
वो यूँ

Pnkj Dixit

शीर्षक ----- चौथा बंदर भूतकाल में बंदर तीन चौथा वर्तमान में आया आभा-सी जगत को दे तिलांजलि आभासी जगत को अपनाया रिश्ते यहां बहुत से हैं किस

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शीर्षक ----- चौथा बंदर

भूतकाल में बंदर तीन 
चौथा वर्तमान में आया
आभा-सी जगत को दे तिलांजलि
आभासी जगत को अपनाया
रिश्ते यहां बहुत से हैं 
किस किस का नाम बताऊं मैं 
तीनों बंदरों को कोने में रखो 
चौथे की बात बताऊं मैं 
मंद मंद तुम मुस्काओगे 
जब राज की बात सुनाऊं मैं 
सुबह शाम कोई समय न देखे 
हरपल इसमें डूबा रहता 
मां बापू आवाज लगाते 
काम छोड़ खाने को बुलाते 
आया अम्मा , आया बापू 
झल्लाकर चिल्लाता है
प्रेमिकाओं से जब तब बतियाता है 
दीदी अम्मा रिश्ते नये आधार बने हैं 
संबोधन में एक दूजे के #यार बने हैं
खाना पीना मेला चोना बाबू  सब होता है
सुबह सवेरे आंख खोलकर ये सोता है 
हास्य नहीं  , कटू व्यंग भी नहीं 
ये नवपीढ़ी की दारूण कहानी है 
बढ़ते विज्ञान प्रभाव के कारण 
बर्बाद हो रही जवानी है 
सुन लो गुन लो इस जीवन का सार 
चौथा बंदर नहीं बचेगा "बेधड़क"
चाहे कर लो जितना उपचार ।
🌷👰💓💝२१/०६/२०१८
...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क'
..... मुजफ्फरनगर , उत्तर प्रदेश । शीर्षक ----- चौथा बंदर

भूतकाल में बंदर तीन 
चौथा वर्तमान में आया
आभा-सी जगत को दे तिलांजलि
आभासी जगत को अपनाया
रिश्ते यहां बहुत से हैं 
किस

parineeta

प्रिय रामचरितमानस जरूर पढ़ना।।... जीवन के अनुबंधों की, तिलांजलि संबंधों की, टूटे मन के तारो की, फिर से नई कड़ी गढ़ना, प्रिय रामचरितमानस पढ़ #YourQuoteAndMine #सनातनी

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सीता राम चरित अति पावन।
मधुर सरस अरु अति मन भावन।।

पुनि पुनि कितनेहू सुने सुनाये।
हिय की प्यास भुजत न भुजाये।।


 प्रिय रामचरितमानस जरूर पढ़ना।।...

जीवन के अनुबंधों की,
तिलांजलि संबंधों की,
टूटे मन के तारो की,
फिर से नई कड़ी गढ़ना,
प्रिय रामचरितमानस पढ़

Dr Upama Singh

कल एक झलक जिंदगी को करीब से देखा वो राहों पर मेरे देख मुझे थोड़ा नाराज़ हो रही थी अपनी हालत का खुद ही एहसान नहीं है मुझको मैंने औरों से सुना #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #similethougths #rzलेखकसमूह #rztask63 #rzwriteshindi

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         “खुद से खुद बावस्ता”
          (अनुशीर्षक में)
               पढ़िए।   

कल एक झलक जिंदगी को करीब से देखा
वो राहों पर मेरे देख मुझे थोड़ा नाराज़ हो रही थी
अपनी हालत का खुद ही एहसान नहीं है मुझको
मैंने औरों से सुना कि परेशां हूं मैं
मैंने भी सोचा सब सही तो कह रहे मैं भी कितनों दिनों से खुद को ही भूल रहीं हूं
सबका ख्याल रखने के चक्कर में
आज जिंदगी खुद ही सवाल कर बैठी है
दूसरों के परवाह में हम खुद को भूल बैठे
जीवन में कितनी बार अपनी इच्छाओं की तिलांजलि दे दी मैंने
सबने मेरी भावनाओं का शोषण किया
कितनी बार रोने पर सबने मजबूर किया
जब देखा खुद को आईने में 
मन यही सोचे कहां गई वो हंसी और मासूमियत चेहरे की
जब तक बचपन था तब तक जीवन अच्छा था
क्योंकि बचपना था कोई जिमेदारी नहीं थी
बड़े होते ही जिमेदारियां का बोझ 
उसको पूरा करते करते खुद को ही भूल बैठे
लड़कपन से ही हर बार दूसरों की सुनी उनकी मन की
आज खड़ी खुद से मैंने माफी मांग ली है सबसे ज्यादा मन दुखाया है खुद का दूसरों की खुशी के लिए
आज खुद को खुश रखने के लिए लूंगी फैसला
जीवन मिला है बस चार दिन का अब जीना है थोड़ा अपने लिए प्यार करना खुद से है।
 कल एक झलक जिंदगी को करीब से देखा
वो राहों पर मेरे देख मुझे थोड़ा नाराज़ हो रही थी
अपनी हालत का खुद ही एहसान नहीं है मुझको
मैंने औरों से सुना
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