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Babli BhatiBaisla
मुझे गुमनाम और मामूली मानने वाले मेरी पहचान जान दंग हैं और परेशान से है मेरे बेहतरीन सफ़र का जिक्र सुननें वाले मेरी चुनौतियां के जिक्र पर हैरान से है सीखे हैं सबक किस धैर्य से परेशानियों में मैंने इसी बात के चर्चे हरेक जुबां पर सरेआम से है सखी बहुत ही मजबूत होती हैं संस्कारों की चादर ढंग से ओढने वाले नहीं आएंगे कभी पछताते नजर बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla चादर
Mohan Somalkar
अभंग ३ ( चादर) आपुल्या इच्छेला॥ मर्यादा असावी॥ भरारी मारावी॥ सांभाळून ॥१॥ पाय पसरावे ॥ पाहुन चादर ॥ मोठ्यांचा आदर ॥ सदा असो॥२॥ नको उतमाज ॥ स्थितीचा अंदाज ॥ मनाचा आवाज ॥ ओळखावा॥३॥ मोहमयी जग॥ दुरच रहावे॥ विचार करावे॥ जीवनात ॥४॥ साधुसंत सांगे ॥ जगण्याची रित ॥ छोटेशे गणित ॥ आयुष्याचे ॥५॥ बोले माझा साई ॥ खुप होती शक्ती॥ लोक करे भक्ती॥ ऐकोप्याने॥६॥ पाण्यातुन दिवे॥ साईने लाविले ॥ अमृत पाजिले॥ ज्ञानाचेच॥७॥ मर्यादित इच्छा ॥ साई म्हणे ऐसा॥ मंत्र ऐका तैसा ॥ जगण्याचा ॥८॥ इच्छेची चादर ॥ मर्यादित ठेवा ॥ समजुन घ्यावा ॥ महामंत्र ॥९॥ मोहन सोमलकर नागपुर ©Mohan Somalkar # चादर
Rupam Rajbhar
रैना दीवानी अदा लिए रात आ रही है, तारो के साथ वो चांद मुस्कुरा रहा है। ठंड के इस मौसम में पूरा आसमान, धरती को चादर बनकर सुला रहा है। #चादर
CK JOHNY
तू है मेरा इसी ख्याल ने लिया रख मुझे मैं तो कबका सर्द हो गया होता मेरे साईं तेरे सिमरन की चादर ने लिया ढ़क मुझे। तेरी रहमतों का करुँ क्या बखान मैं अब जिसने पहुँचा दिया मुकाम-ए-हक मुझे। खुदा है या नहीं था अहम और वहम यही तुझे देखने के बाद रहा न कोई शक मुझे। तू है मेरा इसी ख्याल ने लिया रख मुझे बी डी शर्मा चण्डीगढ़ चादर
Shahab
हम इंसान आखिर किस बात का घमंड करते हैं , हमारी औकात तो अंत में एक सफेद चादर की रहेगी जिसे खुद ओढ़ने कि हमारी ताकत भी नहीं रहेगी ... ©Shahab #चादर
Kuldeep Shrivastava
जो चादर से ज्यादा पांव पसारते हैं वे एक दिन हाथ भी पसारते हैं ..! ©Kuldeep Shrivastava #चादर
Neophyte
हर किसी ने चाँद को ही रौशनी का सौदागर समझा है तारे टिमटिमा कर थक गए सबने उन्हें निरादर समझा है हमे रोशनी दिखाकर जो अंधा कर रहा हमने उसी को अक्सर रहबर समझा है हर किसी को मख़मली रजाइयां नही मिलती किसी ने ओस को भी सर्द रात में चादर समझा है यहाँ हमे हर अनहोनी का अंदेशा लगाना है वहाँ किसी ने बस भूख को ही ख़बर समझा है कोई भी शख्स जुदा नही इन आदतों से सभी ने उजालों को ही जफ़र समझा है -क्षत्रियंकेश चादर!