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BROKENBOY
White एक छुपी हुई पहचान रखता हूँ, बाहर शांत हूँ, अंदर तूफान. रखता हूँ, रख के तराजू में अपने दोस्त की खुशियाँ, दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ। मुर्दों की बस्ती में ज़मीर को ज़िंदा रख कर, ए जिंदगी मैं तेरे उसूलों का मान रखता हूँ। ©BROKENBOY #Night एक छुपी हुई पहचान रखता हूँ, बाहर शांत हूँ, अंदर तूफान. रखता हूँ, रख के तराजू में अपने दोस्त की खुशियाँ, दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान
Arora PR
White हमें बसने के लिए इस जगत में ऐसी बस्ती चाहिए जहा सुकून की सदाबहार शीतल हवाएं बहती हो हमें इस जगत में बसने के लिए ऐसी बस्ती चाहिए जहा अपना पन हो भाईचारा हो और जहा सभी लोग एक दूसरे पर भरोसा करते हो ©Arora PR हमें ऐसी बस्ती चाहिए
Divyanshu kumar singh
White जिसके दिल में, बस्ती मेरी जान है, वह मेरी माँ है। पल-पल आती मुझको जिसकी याद है, वह मेरी माँ की ममता और प्यार है। माँ और माँ की ममता, एक ही इंसान के दो गुण है, कोई नहीं है एक-दूसरे से छोटा, सब अपने जगह महान हैं। माँ और माँ की ममता दोनों ही, मेरे लिए भगवान हैं। ~दिव्यांशु कुमार सिंह✍️ ©Divyanshu kumar singh #mothers_day जिसके दिल में, बस्ती मेरी जान है, वह मेरी माँ है। पल-पल आती मुझको जिसकी याद है,
Ashutosh Mishra
White कुछ पाया,, सब कुछ खो करके चला दिवाना अपनी नगरी रस्ता-रस्ता बस्ती-बस्ती कहता जाता प्यार ना करना दुनिया वालों,,,,,मिट जाती है हस्ती अलफ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #sad_shayari #सब_कुछ #खोया_पाया #दीवाना #बस्ती #हस्ती
Mahadev Son
ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी माँ का डेरा वैसे तो रोज भटकाता है आज मेरा भी ज़ी करता तुझे भटकाने को बस अब ले चल सपनों में सही बस तू ले चल अब उस बस्ती में जहाँ माँ का डेरा है ©Mahadev Son ये चंचल मन ले चल तू आज मुझे उस बस्ती में जहाँ जगदम्बे माँ का डेरा है आज दिल बेताब मेरा मिलने को तड़पता है बस ले चल तू ये चंचल मन जहाँ मेरी म
Himanshu Prajapati
आप की बातें दिल पर लगतीं हैं, आपकी बातें दिल में बस्ती हैं, दोनों में नफ़रत और प्यार का अन्तर है..! ©Himanshu Prajapati #quotation आप की बातें दिल पर लगतीं हैं, आपकी बातें दिल में बस्ती हैं, दोनों में नफ़रत और प्यार का अन्तर है..!
Arora PR
Men walking on dark street ज़ुबा खामोश है और ख़ौफ़ खिर सर पर मंडरा रहा कातिलों क़ी इस बस्ती मे गुनाहो का बिगुल अब बजने मे है ©Arora PR कातिलो क़ी बस्ती
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
दर्द उगते रहे मैं गुनगुनाता रहा चोट खाकर भी,मुस्कुराता रहा हादसों की कितनी सूरत लिए वक्त आता रहा और'जाता रहा देवता मानने की, भूल हो गई पत्थरों पर सिर, टकराता रहा बस्ती के अंधेरे से घबरा गया रात भर उम्मीदें, जलाता रहा खुरच दी लकीरें हथेलियों से नसीब इस तरह मिटाता रहा मुर्दा एहसास की वो कहानी बेवज़ह सभीको सुनाता रहा तमाम उम्र गफ़लत में गुजरी हकीकत की मार खाता रहा ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS #दर्द #उगते #रहे #मैं #गुनगुनाता रहा चोट खाकर भी,मुस्कुराता रहा हादसों की कितनी सूरत लिए वक्त आता रहा और'जाता रहा देवता मानने की, भूल हो