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Mukesh Tyagi
⚘⚘ mera vatan ⚘⚘ अंगारों में कहाँ इतना दम , जो रोक ले हमारे कदम सर कट गयें हमारे ,पर झुके ना हम ना रोके रुकें हम , ना रोके रुकें कदम अंगारों में कहाँ इतना दम, जो रोक ले हमारे कदम मन ने कह दिया सर कटेंगे, तो सर कटेंगे लहू के आखिरी कतरे तक , हम डटे है तो हम डटेगे बढते कदम ना पीछे हटे है ना हटेगे मर मिटेगे नही रखने देगे ,अपनी ज़मी पे कदम अंगारों में कहाँ इतना दम , जो रोक ले हमारे कदम वतन का नमक खाया ,कैसे पीछे हटेगे हम लहू के निशां ज़मी पर रहेंगे , ना मिटे थे ना वो मिटेगे विश्वास कैसे तोड दे वतन का ना कोई फिक्र ना कोई गम मौत से डरते है कायर हम है शेरे वतन,नहीं पीछे हटेगे कदम अंगारों में कहाँ इतना दम , जो रोक ले हमारे कदम ©Mukesh Tyagi अंगारों में कहाँ इतना दम #Delhi_Riots
Kavi Himanshu Pandey
आज़ाद, भगत सिंह, अशफ़ाक़, साँसें थम जाती थीं जिनकी शौर्य गाथाओं से, अंबर, महीधर्,निर्झर,तरुवर, नमन करते थे जिसे, उस जवानी को कैसे लिखूँ! महकते फूलों को, चमकते दियों को छोड़ जब यौवन बीते धधकते अंगारों में, जब हो अर्पण, समर्पण शीशों का, हेमराजों का, तब दिल कहे बस यही लिखूँ और यही लिखूँ!! ....... Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey जब यौवन बीते धधकते अंगारों में
Shashi Bhushan Mishra
दुनिया देख चुकी ताकत सरकारों में, नाम लिखाना पड़ता है सरदारों में, ख़ुद में ढूँढ लिया होता तो मिल जाता, ख़ुशी कहाँ मिलती है अब बाजारों में, कौशल जिनके पास नहीं वो कारीगर, कमियाँ ढूँढ रहे अपने औजारों में, गुज़र रहे दिन-रात भटकने में अब तो, फ़ितरत ख़ुद की पाई है बंजारों में, पैदाइश तो सबकी हुई एक जैसी, इंसानों ने फर्क किया किरदारों में, अच्छाई छुप जाती एक बुराई से, छपती रहती है बातें अखबारों में, खस्ताहाल बयाँ कर पायेगी कैसे, इश्तिहार चिपके हैं जब दीवारों में, राह नहीं आसान यहाँ जीवन पथ की, चलना पड़ता है 'गुंजन' अंगारों में, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #चलना पड़ता है गुंजन अंगारों में#
कवि मनोज कुमार मंजू
ख्वाब सारे जल गये अंगारों पे चल गए कुछ खुशी की आस में हम फिर से छल गए ©कवि मनोज कुमार मंजू #ख्वाब #अंगारों #खुशी #आस #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #humantouch
Komal Upadhyay
चाह प्रबल हो तो फिर राही अंगारों पर भी चल लेता है मैं हूँ साथ तेरे बस यह कह देने से सम्बल मिलता है