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sunny pal
वक़्त के इस खाली पन्ने पर मेरा ही नाम लिखा है sunny###pal जो समझता था खुद को सोने जैसा आज कोडी के भाव बिका है ©sunny pal कोडी के भाव
Ek villain
संस्कार शब्द का सामान्य अर्थ है पूर्ण करना पुणे निर्माण करना या संशोधन करना इत्यादि अर्थ दोष को दूर कर के गुणों को बढ़ाने में जिस क्रियाविधि अथवा पद्धति का प्रयोग किया जाता है वह संस्कार है आचार्य चरक ने कहा है कि 200 को नष्ट और गुणों का सर्वर धनकर कर नए गुणों को विकसित करना ही संस्कार है निर्गुण और सगुण बनाना विकृतियां एवं सुखदेव का निवारण करना एवं मूल्यवान गुणों को संचित करना ही संस्कार का कार्य है जैसे सोना चांदी और तामा आदि धातुओं खदान से निकले जाने के तुरंत बाद उपयोग में नहीं आती ©Ek villain #Lohri संस्कार का शाब्दिक अर्थ है सेंड करना
Vijay Kumar Sharma
शब्दों के भी अलग अलग ज़ायके होते है दुसरो को परोसने से पहले जरा ख़ुद भी चख लिया करें , कहीं कोई तीखे अथवा फीके तो नहीं। शाब्दिक ज़ायका Satyaprem Nojoto Nojoto News Neha Mittal NOJOTO EVENT JAIPUR
deepak Jadhav
दो कोडी का इश्क, और मतलब का याराना साहब..... जिस्को भी देखो साला पैसे का दिवाना...... दो कोडी का इश्क, और मतलब का याराना साहाब..... जिस्को भी देखो साला पैसे का दिवाना
OMG INDIA WORLD
#5LinePoetry माटी चुन चुन महल बनाया लोग कहे घर मेरा है। ना घर तेरा ना घर मेरा चिडिया रैन बसेरा । कोडी कोडी माया जोडी, जोड़ भरेला थैला । कहत कबीर सुनो भाई साधु, संग चले ना थैला II उड़ जाएगा हंस अकेला । जग दो दिन का मेला । ©OMG INDIA WORLD माटी चुन चुन महल बनाया लोग कहे घर मेरा है। ना घर तेरा ना घर मेरा चिडिया रैन बसेरा । कोडी कोडी माया जोडी, जोड़ भरेला थैला । कहत कबीर सुनो भाई
muntashir__absek
हिंदी शाब्दिक अर्थ 1.कमोबेश का अर्थ थोड़ा बहुत 2.परवर्ती का अर्थ खास समय के बाद का 3.पद्धति का अर्थ प्रणाली (सिस्टम) 4.विधेयवाद का अर्थ है संदेह के परे, अथार्त किसी भी विवाद के परे जो ज्ञान है। 5.इतिवृत्तात्मकता का अर्थ है वस्तु वर्णन। ©muntashir__absek शाब्दिक मजबूती मतलब बेजोड़ रचना #lovetaj Abha Singh Sobhya Gupta Anju Kumari Nilima Majumder Rinky Rao
जीत की नादान कलम से...
gaurav
ना अशी बघु तु चंद्रावळी गालाला पडली तुझ्या खळी..... काळोखात डुंबुनी बघुन डोळ्यात तुझ्या लिहतोय ओळी... ओठावरची साय जशी गालावर विरघळली डोळ्यांत तुझ्या चव गोडीची चाखली.... तरंगुन स्वप्नांत तुझ्या मी बेधुंदी दाराशी ऊभा..... डवचाळुनी नजर डोळ्यांची करी काना डोळा.... मखमली चादर स्वप्नांना आमंत्रण धाडियेले झोपलो रंगात रंग चंद्राला बिचकुनी..... वेगळेच हाताचे ते नखरे चंद्रात सामावुनी चांदण्याना छेडी... अंधक ती ईश्काची बेधुंदीची कहाणी सांगेल कानात ओळी.... नाही शब्दांची चाहुल अंगणात माझ्या लुकलुकती सावली.. थरथरले अंग सारे कोड्यात पडुन डाव सावरला..... मनाच्या ओझ्यात मी पणा बुडाला..... प्रितिची ईच्छा मुखी एकवटली सांगण्या जरा घाबरीशी.... जणु युद्ध विचारांची मैफिल जमली...... शहारले अंग सारे ते रात्रीचे शब्द चाळे.... मोडण्या सोडले मनाचे खिळे...... हात हातात जुंपुनी चाहुल काय ते पुढचे वेडे मन ऐकण्या थांबले..... डिवचुनी ऊठवले त्या अंधुक चालीने सुगंधाची कस्तुरी जणु माझ्यावर सांडली.... वेड्या मनाने ती शिक्षा मागितली ..... गंध त्या कोड्याचा काही ऊलगडेना सांगुनी टाक तु कोणत्या काळाची अजब वेडी चांदणी..... गटकन झोपेची व्यथा काय ती मागितली..... ठेवली जशी अत्तराची झाकणी...... उलगडेनाच ते काही कोडे ह्या प्रेमाच्या की भांडणाच्या मऊ जाळीदार गुंतलेल्या सुगंधी ओळी....... #marathiquotes #yqtaai #मराठीलेखणी #चंद्रावती #स्वरचितकाव्य #yqquotes #yqmarathikavita