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AJ!sHerE!
"कशमकश" हाँ तुमसे मोहब्बत सी हो गयी है हर वक़्त तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ, सोचता हूँ आज तुम्हें कहदूँ पर तुमसे दोस्ती ना खो दूँ इस बात से डर जाता हूँ!! कशमकश #nojotoapp #nojoto #कविता #बात #कशमकश #शायरी #love #poem #khayal #friendship
Raja Saheb
ये कश्मकश है ज़िन्दगी की, ...कि कैसे बसर करें ख्वाहिशें दफ़न करें या चादर बड़ी करें कशमकश कशमकश
U N T O L D TALKS
अजनबी हो रहे है दोनों ही, अलग अलग पते पर निकलती रेलगाड़ी, इस स्टेशन पर कभी लौटेगी नहीं. उसके शहर से लौटते है हर रोज हजारो लोग, लेकिन कभी देखा नहीं लौटती हुई प्रेमिकाओं को, प्रेमिकाओं का जाना हो चुका होता है, उनके अलविदा कहने से कहीं पहले, मैं यहीं रुका रहूँगा इस शहर मे, जबकि मेरी रेलगाड़ी चल चुकी है.. प्रेमी कहाँ जा पाते हैँ., अजनबी होने के क्रम में, उसकी रेलगाड़ी दूसरी पटरी पर विपरित जा रही है., उसकी खिड़की से चिट्ठियां बिखर रही है, मेरी खिड़की पर प्रेम., अजनबी हो रहे हैं दोनों ही, अलग अलग पते पर निकलती रेलगाड़ी, इस स्टेशन पर कभी लौटेगी नहीं... ©U N T O L D TALKS कशमकश..
Vickram
बड़ी कशमकश चल रही है यार आजकल तुम दिल में हो और दिल भी तेरे पास है मेरे पास कुछ भी नहीं है जो अच्छा लगे तुम्हारे हाथों में मेरी जिंदगी का कारोबार है,,, ©Vickram कशमकश,,
Hari Mohan
कभी इसका दिल रखा और कभी उसका दिल रखा, इसी कशमकश में भूल गए खुद का दिल कहाँ रखा। 🙏 कशमकश
Vickram
हर वक्त कोई सवाल था किसी की आंखों में । और कहना भी था बहुत कुछ बातों बातों में । मालूम सब था पर जिद्द थी एक बार सुनने की । प्यार बेशुमार था और दिल में भी रहना था । ना जाने कैसे किसी का ख्याल पढ लेते हैं हम । तुम्हें बिना देखे ना जी सकते ना मर सकते हम । क्या था ये सिर्फ जो हमे आज अकेला कर गया। तेरा ईश्क मेरी जिंदगी में तन्हाईयो के मेले कर गया। फ़िक्र भी थी डर भी था यहां जुदाई का दिल में । ना मिले थे ना बात हुई सिर्फ दिल ही कह गया । अब डरता है दिल फिर से एक बार और ना टूटे । हमारी कहानी का सिलसिला कहां पे आकर रुक गया । ©Vickram कशमकश,,,,,,
GULSHAN KUMAR
बहुत जज्बे से लड़ा पर मुझे पता था मेरा हसर क्या होगा इसलिए मैने हर किसी को नही बताया सब कुछ क्योकि मुझे पता था मेरा असर खत्म कहाँ होगा मेरे दस्तरस मे नही था कुछ भी अगर होता तो मै भी आज दुसरो की मशावात करता खुद्दार हूँ मै मैने दरियाओं से नही पूछना है उनसे कैसे पार पाना है मै तो वो हुँ जो भीड़ मे खड़ा होकर भी खुद के सिवा दुसरो से बात नही करता जद्दोजहद मे लगा रहता हूँ सारा दिन मेरी कशमकश को कोई समझता नही है मेरे तश्मे हमेशा खुले रहते है मेरी तख्ती पर जज्बातो के अलावा कुछ छपता नही है मेरे मतलो की गहराइयों को समझा करो समझने पर ही मेरे मक्तो का रुतबा बढ़ता है तुम लोग ऐसे ही हो कह देते हो गुलशन तु ये क्या लिखता है सूरज रोज सुबह उगता जरूर है पर दिन चढ़ता नही है... ©GULSHAN KUMAR कशमकश..
"Kumar शायर"
किस ग़लती की सज़ा दे रहे हो, क्या वज़ह है, जो इतना आज़्मा रहे हो, दुनिया की परवाह का दायरा जितना बढ़ाओ गे, बाद में दोष ख़ुद को दे या दुनिया को, इसी कश्मकश में एक दिन, ख़ुद को तुम भूल जाओगे...! ©Umesh kumar #कशमकश