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Himanshu Prajapati

#quotation सात फेरे ले लेता हूं !गाइस! बस कोई तैयार हो जाए..! #विचार

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सात फेरे ले लेता हूं !गाइस!
बस कोई तैयार हो जाए..!

©Himanshu Prajapati #quotation सात फेरे ले लेता हूं !गाइस!
बस कोई तैयार हो जाए..!

K R SHAYER

#Morning गुलाब देकर नही सीधा फेरे लेकर उठा लूंगा तूझे,love shayari of Writer KR shayer Kshitija sana naaz Anshu writer muskan Kumari pramod #लव

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Anjali Singhal

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🔱🚩 #mahashivratri harharmahadev🙏 #shivratri #AnjaliSinghal nojoto रची संसार की पहली प्रेम कहानी सती #Videos

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BIKASH SINGH

#कोई फर्क नहीं पड़ता.... कोई फर्क नहीं पड़ता अब कोई बात करें या ना करें संग चले या ना चले अपना बनाए या छोड़ दे मुंह फेरे या मुंह मोड़ ल

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कोई फर्क नहीं पड़ता अब 
कोई बात करें या ना करें 
संग चले या ना चले 
अपना बनाए या छोड़ दे 
मुंह फेरे या मुंह मोड़ ले 
मैं डरता नहीं अपनी तन्हाई से 
रहा ना खैफ किसी रुसवाई से 
तो वेहसत भी होती नहीं 
कि अब किसी से क्या मिले 
किसी से दिल ही ना मिले 
तो क्या फर्क पड़ता है 
फिर उससे क्या मिले 
गम मिले या सोक मिले 
ले जाए यह दिल 
बेसिक इसे तोड़ दे 
अगर किसी को सुकून मिले....

©BIKASH SINGH #कोई फर्क नहीं पड़ता....

कोई फर्क नहीं पड़ता अब 
कोई बात करें या ना करें 
संग चले या ना चले 
अपना बनाए या छोड़ दे 
मुंह फेरे या मुंह मोड़ ल

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २ #कविता

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चौपई /जयकारी छन्द
१
मातु-पिता को करूँ प्रणाम ।
वो ही रघुवर है घनश्याम ।।
थाम चले वह मेरा हाथ ।
और न देता जग में साथ ।।
२
जीवन की बस इतनी चाह ।
पिता दिखाए हमको राह ।।
पाकर गुरुवर से मैं ज्ञान ।
बन जाऊँ मैं भी इंसान ।।
३
जीवन साथी है अनमोल ।
मीठे प्यारे उसके बोल ।।
घर उसके ले गया बरात ।
पूर्ण किया फिर फेरे सात ।।
४
मानूँ उसकी सारी बात ।
कभी न मिलता मुझको घात ।।
कहती दुनिया मुझे गुलाम ।
लेकिन जग में होता नाम ।।

०३/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपई /जयकारी छन्द

१
मातु-पिता को करूँ प्रणाम ।
वो ही रघुवर है घनश्याम ।।
थाम चले वह मेरा हाथ ।
और न देता जग में साथ ।।
२

ਸੀਰਿਯਸ jatt

औरते जितनी सती सावित्री बनने का नाटक करती है हराम की बच्ची को खुद पता होता है, हम अपने पति यानी जिसके साथ साथ फेरे लिए उसकी पीठ में खंजर गो #Videos

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- नज़्म हम आपसे उठाते हैं । आपको देख मुस्कराते हैं ।।१ #शायरी

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ग़ज़ल :-
नज़्म हम आपसे उठाते हैं ।
आपको देख मुस्कराते हैं ।।१
आज बरसो हुए लिए फेरे ।
गिफ्ट तुमको चलो दिलाते हैं ।।२
प्यार कब बाँटते यहाँ बच्चे ।
प्यार तो और ये बढाते हैं ।।३
हाथ जब भी लगा तेरे आटा ।
रुख से लट तब हमीं हटाते हैं ।।४
जब भी आयी विवाह तारीखें ।
घर को खुशियों से हम सजाते हैं ।।५
घर के बाहर कभी न थी खुशियाँ ।
सोचकर शाम घर बिताते हैं ।।६
दीप बुझने न दूँ मुहब्बत का ।
नाम का तेरे सुर लगाते हैं ।।७
है खुशी का महौल घर में अब ।
बच्चे किलकारियां लगाते हैं ।।८
हाथ मेरा न छोड देना कल ।
जी न पाये प्रखर बताते हैं ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


नज़्म हम आपसे उठाते हैं ।

आपको देख मुस्कराते हैं ।।१

Devesh Dixit

#दर्पण #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry दर्पण (दोहे) दूजों को दर्पण दिखा, आती है मुस्कान। खुद की बारी में वही, मुंँह फेरे इंसान।। ख #Poetry #sandiprohila

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से ,  दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो #कविता

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मनहरण घनाक्षरी :-
लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो ।
त्यागो अभी हृदय से ,  दुष्ट अभिमान को ।
नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो ,
चलो सब मिलकर, करो मतदान को ।
ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं
पहचानते  है हम , छुपे शैतान को ।
मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे,
रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१
वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , 
पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से ।
मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे,
आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से ।
घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय,
देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से।
घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया ,
पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२
टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती ,
रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे ।
नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई ,
पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे ।
मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान ,
कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे ।
और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई,
जब तेरी याद आई ,  सुन लो बीमार थे ।।३
२८/०३/२०२४      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-
लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो ।
त्यागो अभी हृदय से ,  दुष्ट अभिमान को ।
नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो ,
चलो
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