Nojoto: Largest Storytelling Platform

New पश्यन्ति जप Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about पश्यन्ति जप from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पश्यन्ति जप.

    LatestPopularVideo

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जन्मोत्सव हनुमान का , आया मंगलवार । चलो मनाएं हर्ष से , पावन ये त्यौहार ।। कलयुग के भगवान दो ,शानिदेव हनुमान । दोनों का पूजन करें , सभी #शायरी

read more
hanuman jayanti 2024 जन्मोत्सव हनुमान का , आया मंगलवार ।
चलो मनाएं हर्ष से , पावन ये त्यौहार ।।
कलयुग के भगवान दो ,शानिदेव हनुमान ।
दोनों का पूजन करें , सभी लगाकर ध्यान ।।
खुश होकर वर दे यही , जीवन हो उजियार ।
मंगल ही मंगल रहे , सुखी रहे परिवार ।।
राम-नाम प्यारा लगे , भजते हैं दिन रैन ।
बोले प्रभु का दास हूँ , भजकर मिलता चैन ।।
राम-नाम मिश्री यहां , चख ले जो इक बार ।
व्यंजन सब फीके लगे , चाहे चखो हजार ।।
हृदय चीर दिखला दिए , सियाराम का वास ।
ऐसे उनके भक्त थे,  कहते प्रभु का दास ।।
जन्म उसी का है सफल , ले जो प्रभु का नाम ।
राम-राम जप कर यहाँ , मिले सदा आराम ।।
मिट्टी का मानव यहाँ , मिट्टी से ही दूर ।
मिट्टी में मिलना उसे , फिर भी मद में चूर ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जन्मोत्सव हनुमान का , आया मंगलवार ।

चलो मनाएं हर्ष से , पावन ये त्यौहार ।।


कलयुग के भगवान दो ,शानिदेव हनुमान ।

दोनों का पूजन करें , सभी

N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} जिस घर में, जिस देश में, जिस जगह सदैव दान-पुण्य, वेद-शास्त्र, का पठन-पाठन, यजन-याजन, व्रत, जप-तप, सयम #भक्ति

read more

Mansi Rathour

नवरात्रि में इन मंत्रों का जप जरूर ..#@mansi'sway #विचार

read more

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अहर्निश छन्द  आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  । #कविता

read more
अहर्निश छन्द 

आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।।

जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी ।
वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।।
है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी ।
सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।।

१३/०३/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द 


आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली ।

क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।

वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अहर्निश छन्द  आये हैं सजना, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  । अब कैसी दूर #कविता

read more
अहर्निश छन्द 

आये हैं सजना, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।।

जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी ।
वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।।
है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी ।
सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।।

१३/०३/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द 

आये हैं सजना, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूर

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अहर्निश छन्द  आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  । #कविता

read more
अहर्निश छन्द 

आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।।

जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी ।
वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।।
है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी ।
सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।।


१३/०३/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द 


आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली ।

क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।

वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

आओ भोलेनाथ जी , घर नंदी के साथ । मिलकर अब सेवा करे , देखो दोनो हाथ ।। हर हर गंगे जप चले , नभ तक हो आवाज । हे त्रिपुरारी आपका , पूर्ण जगत पे #कविता

read more
आओ भोलेनाथ जी , घर नंदी के साथ ।
मिलकर अब सेवा करे , देखो दोनो हाथ ।।

हर हर गंगे जप चले , नभ तक हो आवाज ।
हे त्रिपुरारी आपका , पूर्ण जगत पे राज ।।

आयी है शिवरात्रि ये , भक्त करे यशगान ।
शिवशंभू ये देख कर , देते हैं वरदान ।।

गौरी-शंकर आज तो , छोड़ दिए कैलास ।
देख रहे करके भ्रमण , भक्तो के आवास ।।

आयी माँ गौरी यहाँ , होकर सिंह सवार ।
देख रही हैं भक्त का , वह अपने घर द्वार ।।

०८/०२/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आओ भोलेनाथ जी , घर नंदी के साथ ।
मिलकर अब सेवा करे , देखो दोनो हाथ ।।

हर हर गंगे जप चले , नभ तक हो आवाज ।
हे त्रिपुरारी आपका , पूर्ण जगत पे

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे #कविता

read more
मनहरण घनाक्षरी :-

राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर ,
दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।।

राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे ,
दोनो की ये प्रीति भली , कभी न बिसारिये ।।

रूप  ये बदल आये , देख निधिवन आये ,
मिले कभी समय तो , उधर निहारिये ।।

कट जाये जीवन यूँ , राधे-राधे जपते यूँ ,
शरण बिहारी के यूँ , जीवन गुजारिये ।।१


पटरी की रेल है ये , जीवन का खेल है ये ,
तेरा मेरा मेल है ये ,  प्रीति ये बढ़ाइये ।

चाँद जैसी सूरत है , अजन्ता की मूरत है ,
सुन चुके आप हैं तो , घुंघट उठाइये ।।

नहीं हूर नूर देखो , पीछे हैं लंगूर देखो ,
जैसे भी हूँ अब मिली , जीवन गुजारिये ।।

आई हूँ तू ब्याह कर , नहीं ज्यादा चाह कर ,
मुझे और नखरे न , आप तो दिखाइये ।।२

२९/०२/२०२४        -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-

राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर ,
दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।।

राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे

N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्री कृष्ण जी के नाम :- के जप से भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है, नाम के जप से सारे पापों का नाश हो जाता है #पौराणिककथा

read more

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कोलाहल :- गीत अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा । घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।। अंतर्मन के कोलाहल को .... #कविता

read more
कोलाहल :- गीत
अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा ।
घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।।
अंतर्मन के कोलाहल को ....

जीवन जीना सरल नहीं है , आती इसमें है बाधा ।
मूर्ख नही बन हे मानव तू , चला शरण जा अब राधा ।।
जप कर उनकी माला तू भी , मुक्ति मार्ग को पायेगा ।
अंतर्मन के कोलाहल को....

तन मानव का जब भी लेकर , तू धरती पे आयेगा ।
फिर खुशियों की खातिर तू ही , अपने नियम बनायेगा ।।
जिसकी माया में ही तू खुद , स्वयं उलझता जायेगा ।
अंतर्मन के कोलाहल को.......

भाग-भाग कर सुख के साधन , दुख देकर जो लाता है ।।
लेकिन पर भर सुख का अनुभव , कभी नहीं कर पाता है ।।
अन्त समय में देख वही फिर , रह रह के पछतायेगा 
अन्तर्मन के कोलाहल को .....

रूप बदल कर मानव ही सुन , इस धरती पे आयेगा ।
लेकिन अपनी ही करनी को , ज्ञात न वह रख पायेगा ।।
माया रूपी इस जीवन का  , चाल नही रुक पायेगा ।
अन्तर्मन के कोलाहल को ...

अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा ।
घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।।

३०/०१/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कोलाहल :- गीत


अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा ।

घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।।

अंतर्मन के कोलाहल को ....
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile