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सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
ashish gupta
नया साल का पहला दिन मिले बधाइयां दिन गया खिल नया जोश है नई सी उमंग फिर से उड़ी मेरी कटी पतंग अपनों संग तब हुई बात लगा मैं हू कीमती सौगात जज्बात छलक गए आंखों से ऐसी सुबह की हुई शुरुआत कुछ संकल्प भी हमने लिए वादे भी हमसे खुद से किए कुछ समय बिताया आपने साथ ख्वाहिशों से भी की कुछ बात दोस्ती भी है ऐसा तंत्र हर चिन्ता हो जाए छू मंतर हसी के तब गूजे ठहाके बेअसर हुए उदासी के मंत्र दिन का अंतिम आया छोर रोनक हर तरह था घनघोर यादें प्यारी मीठी दे गया साल का पहला दिन था अनमोल ©ashish gupta नया साल का पहला दिन मिले बधाइयां दिन गया खिल नया जोश है नई सी उमंग फिर से उड़ी मेरी कटी पतंग अपनों संग तब हुई बात लगा मैं हू कीमती सौगात जज
Mysterious Girl
@Krishna Kant Sharma
प्रजा तंत्र की दाल पर कौआ करे किलोल, टैप रिकॉर्डर में भरे चमकदार के बोल नित्य नई योजना बन रही जन-जन के कल्याण की जय बोलो बेईमान की जय बोलो बेईमान खा कर झूठी कसमो को करते अत्याचार, वादे करते बड़े बड़े, रहते खोकले हर बार, तरसी जनता बिजली पानी, दवा को लेकर, इनको झूठे प्रचार की पड़ी दिखा दिलशा जनता को तींगा दिखा या मेरे भैया सब फ्री फ्री के लॉलीपॉप जनता के हाथ में पकड़ा दिया ©KRISHNA KANT SHARMA प्रजा तंत्र की दाल पर कौआ करे किलोल, टैप रिकॉर्डर में भरे चमकदार के बोल.....?
GRHC~TECH~TRICKS
सोच(हद्रय) सोच इस शरीर रूपी भवसागर स्वरूप ह्रदय का ऐसा रत्न है। जो अन्दर तो बहुत ही तरल रहता है , बाहर निकलते ही ठोस रूप हो जाता है , ठोस रूप में तो ये कभी -कभी तो, ये करोड़ों सालो तक नहीं फुटता है। जैसे कि - कण-कण में भगवान होता है ? आप खुद ही देख लीजिए हे परमत्तव अंश। अन्दर स्वरूप कैसा है? बाहर कैसा है ? क्योंकि जिसने बोला इस वाक्य को, यह उनकी सोच ही थी, एक हृदय से निकली। आप इसको फोड़ कर दिखा दीजिए । समस्त पृथ्वी के परमत्तव अंश । प्रमाण से हम जीवित हैं, प्रमाण से ही आप भी जीवित हैं। जन्म है तो मृत्यु भी देना हृदय में बैठा हुऐ का अधिकार है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #Trending #think #Haryanvi #old #Best #Silence
Prem kumar gautam
Anil Ray
झूठ कहूं तो लफ्जों का दम घुटता है सच कहूं तो अपने रूठ जाते है... किरदार बदलते बदलते देखो अनिल कितने क़ाबिल पात्र छूट जाते है... ©Anil Ray 💞 जीवनसाथी 🤝🏻 पुनः प्रकाशित 💞 अक्सर देखता हूँ मैं पुरुष आधिपत्य साम्राज्य में रिश्ते की डोर में बंधे इंसान निजधरा पर मेरी मानव जाति म
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी चारो खाने चित्त लोकतंत्र के खम्बे भयावह तंत्र हो रहा है घुस आये है सियासत में बाहुबली डकैत और गुंडे ताल ठोककर भय बनाते है न्याय और मीडिया का अपहरण कर आवाज जन जन की दबाते है बने बैठे है सांसद विधायक दंगा उन्माद साम्प्रदायिक उत्पात मचाते है हित सबके सूली पर चढ़ा दिये रसूख अपना बनाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho भया भय तंत्र हो रहा है #nojotohindi