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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
जीवन का अर्थ ..........…........... इस पृथ्वी पर मानव आता है, जीता है,चला जाता है। लेकिन जीने का अर्थ कम ही लोग समझ पाते हैं। जिस जीवन में दया,क्षमा,परोपकार न हो उसका कोई अर्थ नहीं होता।त्याग भी जीवन का एक अभिन्न अंग है। लेकिन समय, काल और परिस्थिति के अनुसार कब किसका त्याग करना उचित होगा इसका भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। सुमार्ग पर चलना,कल्याणकारी काम करना ही जीवन का अर्थ होता है। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # जीवन का अर्थ।
# जीवन का अर्थ। #विचार
read moreAman Baranwal
मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें, खाक होना लाजमी है, क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ
जीवन का अर्थ
read moreSujeet Lal
#WorldEnvironmentDay पर्यावरण दिवस पर संकल्पित शुभकामनाएं। एक पौधा रोपन,जीवन संस्थापन हेतु। आईए धरती का कर्ज उतारे बेहतर भविष्य के साथ। " ग्रीन अर्थ मुस्कुराता जीवन।"
" ग्रीन अर्थ मुस्कुराता जीवन।" #विचार #WorldEnvironmentDay
read moreParasram Arora
इस रंग भूमि के खुले मंच पर हर कोई अपने मन भावना को ढूंढ़ने मे लगा है अपनी पीड़ा को छुपाने मे कितने सक्षम है हम इसका आभास हमारी खोखली हंसी मे साफ नज़र आता है हा कभी मिल जाती है सुख की शीतल. छाँव अनजाने मे लेकिन दुख की तीखी धूप तो सदा तपाती रहती है तन को मन को कभी लगता है अमावस जीवन की पीगई है चाँदनी रातो की स्निग्ध रौशनी को शुक्र है परमात्मा ने आयु की सीमाएं निर्धारित कर रखी है वरना पता नहीं क्या होता परिणाम इस अवसादग्रस्त अर्थहीन जीवन का #St एक अर्थ हीन जीवन.........
#ST एक अर्थ हीन जीवन.........
read moreआयुष सिंह
अपने मरने से खुद को स्वर्ग मिलगा.... स्वर्ग का अर्थ जीवन मे....
स्वर्ग का अर्थ जीवन मे....
read moreEk villain
विद्या का अर्थ जानना पर्सन है कि किसको जानना उत्तर है जिससे जीवन समाज धर्म दर्शन और आत्मा परमात्मा को जाना जा सके मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष जैसे हासिल हो वह वेदों में विद्या कहीं गई है शहर विद्या या विमुक्तए यानी विद्या हुए हैं जिससे दुखों से छुटकारा मिल जाए बुद्ध ने कहा है यह संसार दुख लिए है इससे जन्म में यदि सही मायने में विद्या प्राप्त हो जाए तो उससे जीवन को सुखमय शांत मियां और संतुलित बनाए ने में सहायता मिलती है विद्या का अभ्यास बने रहना भी जरूरी है कि तू प्रदेश में कहा गया है अभ्यास ने विषम विद्या यानी बिना अभ्यास के विद्या विष तुल्य हो जाती है जीवन को पूर्ण बनाने के लिए वेदों में पड़ा और अपना दोनों विधाओं को ग्रहण करना आवश्यक है चाणक्य कहते हैं अब इधयम जीवन स्वयं यानी जी विद्या के बिना जीवन व्यर्थ है जिससे विद्या से पूर्णता प्राप्त हो वह जीवन विद्या कही जाती है आमतौर पर शिक्षा को विद्या कहा जाता है लेकिन शिक्षा दुखों से छुटकारा दिलाने का काम नहीं करती बल्कि इससे योग्यता और प्रतिभा का विस्तार होता है इससे भौतिक जीवन को सुखमय हो जाता है लेकिन आप बहुत ही जीवन के लिए इससे कोई लाभ नहीं जीवन को पूर्ण और उपयोगी बनाना है तो विद्या सीखनी पड़ेगी बचपन से लेकर बुढ़ापे तक इंसान कुछ ना कुछ प्राकृतिक परिवार समाज से सीखता है लेकिन उसका सीखना उसके संवेदनशीलता उत्सुकता संकल्प और रूचि पर निर्भर करता है जीवन को यदि उद्देश्य परख और सफल बनाना है तो जीवन में उन सभी चीजों को समय विश करना पड़ेगा जो जीवन को हर तरह से सफल और पूर्णता दिलाने का कार्य कर रही है आमतौर पर हम परंपराओं से इतने बने रहते हैं कि जीवन की वास्तविकता सफलता और उद्देश्य के बारे में शायद ही कभी निष्पक्ष ढंग से सोचते हो इसलिए हमेशा चिंतन करते रहना चाहिए कि किसी जीवन में पूर्णता आए और जीवन का आनंद में हो जाए ©Ek villain # जीवन विद्या का अर्थ #ZulmKabTak
# जीवन विद्या का अर्थ #ZulmKabTak
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