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कनक लता " ज़ज्बात "
सखी , पिया व्यौपार ऐसो करे हमीं से प्रेम हमीं से बैर करे कभी सखी कभी सौत बन आये बहुरूप धर हमें जलाये मन - ही - मन भावें मोको बनवारी फिर सामने क्यों हिय और से लगाये पहले हम सोचे , बचपना हमारा हमें समझावत हैं झट उसे गलत साबित किये फिर हम सोचे , पढ़ाई हमारी पढ़ावत हैं उसको भी अधूरा सच बताये दियो अब कइसे पूछें का हमें चाहत हो जब कहे नाहिं अपने मुख कभी उसपर खुद ही मुख फुलाये नजर फेर लिये #love सखी पिया अबूझ पहेली री कभी अरि कभी सहेली री
Shayar Santosh Uikey
Champa Rautela
वो अक्सर बारिशों का पक्ष लेते है, लेते है कलम और कागज़ कुछ ख़ास लिखते है, जो ख़ुशबू रह जाती है मिट्टी में, उसी ख़ुशबू का अंश रखते अपने लेख में, जैसे जैसे हवा को मोह लगता है फूलों से, मानो ख़ुशबू फूलों में अहसास हो यादों से, दूर कहीं पहाड़ो में घर एक हुआ करता है, यादों का बसेरा और दुआ का सवेरा साझा करता है, देखा है प्यार भरा बोल गाओ में कहा शहर जैसा घोल, ना गालियां गहरी ना बातो में झोल, मस्वारा भी स्नेह भरा, स्नेह भरा है वचन सारा, आज भी देखा अपनों जैसा रंग सभी में, रंग में डूबे गीत यहां पहाड़ो में, जाने को रहने को यही एक प्रदेश लगता, अब नहीं लगता शहर घर तो बस गाओ लगता, #गाओ
Yogini Kajol Pathak
सखी री श्याम बड़ो निर्मोहीं बिरह पीर नहीं जाने रे,! बहुरि कबहुँ वृन्दावन नहीं देखो जबसे मथुरा पधारे रे,,। जाके दरश बिन पल नहीं बिते वा को चित से कैसे बिषारे रे,! सखी री श्याम की मोहनी सूरतिया बिन छलिया के जीवन कैसे गुजारे रे,! कहो श्याम मोहें दर्शन दे नहिं प्राण आज हम हारे रे,,! अन्तर वेदन की व्याकुलता बिरह कौन मेरो जाने रे,,! बिलोकत जाको कल पड़ते थे मोहे, निहारे बिन जिया अब कैसे माने रे सखी रे श्याम बड़ो निर्मोहीं बिरह पीर नहीं जाने रे,,,! #Krishnaवृन्दावन#नगरीया#कमाल#रे,सखी देख भई मोरी अँखिया निहाल री सखी#NijotoEnglish#Nojotohindi Varsha Singh Baghel(शिल्पी) Saurav Tiwari आशुत