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Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya
White मतलब की ईस दूनया में कोई भी अपना नहीं है ©Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya चांदनी चांद से होती सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती हजारों से नहीं
चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
जितने लोग मशहूर हुए हैं ,पहले लोगों ने उनके अंदर कमियांँ निकाली। लोगों की सुनकर यह लोग बैठ जाते तो शायद, आज इनको अपनी पहचान नहीं मिल पाती। चेतना कहती है प्रकाश से-- हम संघर्ष करेंगे , आखिरी सांँस तक लड़ेंगे, मेरे जीने का यही तरीका है , "स्वयं से लड़ो दूसरों से नहीं ।"__ चेतना प्रकाश चितेरी, प्रयागराज ५/४/२०२४ , ६:२६ अपराह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # स्वयं से लड़ो , दूसरों से नहीं #
Nilu Kumari
कितना दुख है इस जीवन में, सब कुछ तो अब देख लिया, नाराज हुआ था मैं दुनिया से, अब खुद से ही मैं रूठ गया! जीवन में दुख तो खूब हैं लेकिन इससे आगे निकलना है खुद से ही रूठ नहीं जाना है। ©Nilu Kumari #oddone कितना दुख है इस जीवन में, सब कुछ तो अब देख लिया, नाराज हुआ था मैं दुनिया से, अब खुद से ही मैं रूठ गया! जीवन में दुख तो खूब हैं लेकि
Mukesh Poonia
न औरों से कम न औरों से श्रेष्ठ बस खुद से बेहतर और खुद से सर्वश्रेष्ठ . ©Mukesh Poonia #skylining न #औरों से #कम न औरों से #श्रेष्ठ बस #खुद से #बेहतर और खुद से #सर्वश्रेष्ठ
gaTTubaba
कहीं से निकलना नामुमकिन कहीं पर पहुंचना नामुमकिन कहने को सबकुछ मुमकिन लेकिन कहना ही नामुमकिन ©gaTTubaba #lakeview कहीं से निकलना नामुमकिन कहीं पर पहुंचना नामुमकिन कहने को सबकुछ मुमकिन लेकिन कहना ही नामुमकिन
Sangeeta Kalbhor
पर ना जाने.. मैं लिखा करती थी मुझे अब ना जाने कहाँ गुम हो गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ रुठ गई है कलम मुझसे दवा कोई कराओ ना दिल नही मानता आसानी से आकर कोई मनाओ ना जिद कर बैठा है मन करके मन्नते मैं हार गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ जानती हूँ ये ठिक नही है हो जो रहा है मुझसे कौन मेरा यहाँ अपना है जो बताऊं सब उससे आता नही कोई थामने पुकार कर मैं थम गई हूँ... निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Preying पर ना जाने.. मैं लिखा करती थी मुझे अब ना जाने कहाँ गुम हो गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ रुठ गई है