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तुषार"आदित्य"
नव दिन की नवरात्र,तीस दिन का रमज़ान प्रतिदिन का भजन हो या रोज़ की अज़ान। ना कोई पुराण की बाते,ना आयत-ए-कुरान बस उतना ही समझो,जिससे बन पाओ इंसान। नव दिन की नवरात्र,तीस दिन का रमज़ान प्रतिदिन का भजन हो या रोज़ की अज़ान। ना कोई पुराण की बाते,ना आयत-ए-कुरान बस उतना ही समझो,जिससे बन पाओ इंसान
नव दिन की नवरात्र,तीस दिन का रमज़ान प्रतिदिन का भजन हो या रोज़ की अज़ान। ना कोई पुराण की बाते,ना आयत-ए-कुरान बस उतना ही समझो,जिससे बन पाओ इंसान
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{Bolo Ji Radhey Radhey} भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार देवता और दैत्यों (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी नहीं हुए। इंद्र हार के भय से दु:खी होकर देवगुरु बृहस्पति के पास विमर्श हेतु गए। गुरु बृहस्पति के सुझाव पर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से व्रत करके रक्षासूत्र तैयार किए और स्वास्तिवाचन के साथ ब्राह्मण की उपस्थिति में इंद्राणी ने वह सूत्र इंद्र की दाहिनी कलाई में बांधा जिसके फलस्वरुप इन्द्र सहित समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई। रक्षा विधान के समय निम्न लिखित मंत्रोच्चार किया गया था जिसका आज भी विधिवत पालन किया जाता है: "येन बद्धोबली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। दानवेन्द्रो मा चल मा चल।।" इस मंत्र का भावार्थ है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूँ। हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। यह रक्षा विधान श्रवण मास की पूर्णिमा को प्रातः काल संपन्न किया गया यथा रक्षा-बंधन अस्तित्व में आया और श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने लगा। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार देवता और दैत्यों (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी
{Bolo Ji Radhey Radhey} भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार देवता और दैत्यों (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी #पौराणिककथा
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{Bolo Ji Radhey Radhey} अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि पुराण में 12 हजार श्लोक, 383 अध्याय उपलब्ध हैं। स्वयं भगवान अग्नि ने महर्षि वशिष्ठ जी को यह पुराण सुनाया था। इसलिये इस पुराण का नाम अग्नि पुराण प्रसिद्ध है। विषयगत एवं लोकोपयोगी अनेकों विद्याओं का समावेश अग्नि पुराण में है। आग्नेये हि पुराणेस्मिन् सर्वा विद्याः प्रदर्शिताः (अग्नि पुराण) पद्म पुराण में पुराणों को भगवान बिष्णु का मूर्त रूप बताया गया है। उनके विभिन्न अंग ही पुराण कहे गये हैं। इस दष्ष्टि से अग्नि पुराण को श्री हरि का बाँया चरण कहा गया है। अग्नि पुराण में अनेकों विद्याओं का समन्वय है जिसके अन्तर्गत दीक्षा विधि, सन्ध्या पूजन विधि, भगवान कष्ष्ण के वंश का वर्णन, प्राण-प्रतिष्ठा विधि, वास्तु पूजा विधि, सम्वत् सरों के नाम, सष्ष्टि वर्णन, अभिषेक विधि, देवालय निर्माण फल, दीपदान व्रत, तिथि व्रत, वार व्रत, दिवस व्रत, मास व्रत, दान महात्म्य, राजधर्म, विविध स्वप्न, शकुन-अपशकुन, स्त्री-पुरूष के शुभाशुभ लक्षण, उत्पात शान्त विधि, रत्न परीक्षा, लिंग का लक्षण, नागों का लक्षण, सर्पदंश की चिकित्सा, गया यात्रा विधि, श्राद्ध कल्प, तत्व दीक्षा, देवता स्थापन विधि, मन्वन्तरों का परिगणन, बलि वैश्वदेव, ग्रह यंत्र, त्र्लोक्य मोहनमंत्र, स्वर्ग-नरक वर्णन, सिद्धि मंत्र, व्याकरण, छन्द शास्त्र, काव्य लक्षण, नाट्यशास्त्र, अलंकार, शब्दकोष, योगांग, भगवद्गीता, रामायण, रूद्र शान्ति, रस, मत्स्य, कूर्म अवतारों की बहुत सी कथायें और विद्याओं से परिपूर्ण इस पुराण का भारतीय संस्कष्त साहित्य में बहुत बड़ा महत्व है। अग्नि पुराण का फल:-अग्नि पुराण को साक्षात् अग्नि देवता ने अपने मुख से कहा हे। इस पुराण के श्रवण करने से मनुष्य अनेकों विद्याओं का स्वामी बन जाता है। जो ब्रह्मस्वरूप अग्नि पुराण का श्रवण करते हैं, उन्हें भूत-प्रेत, पिशाच आदि का भय नहीं सताता। इस पुराण के श्रवण करने से ब्राह्मण ब्रह्मवेत्ता, क्षत्रिय राजसत्ता का स्वामी, वैश्य धन का स्वामी, शूद्र निरोगी हो जाता है तथा उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं जिस घर में अग्नि पुराण की पुस्तक भी हो, वहाँ विघ्न बाधा, अनर्थ, अपशकुन, चोरी आदि का बिल्कुल भी भय नहीं रहता। इसलिये अग्नि पुराण की कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिये। अग्नि पुराण करवाने का मुहुर्त:-अग्नि पुराण कथा करवाने के लिये सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मणों से उत्तम मुहुर्त निकलवाना चाहिये। अग्नि पुराण के लिये श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास विशेष शुभ हैं। लेकिन विद्वानों के अनुसार जिस दिन अग्नि पुराण कथा प्रारम्भ कर दें, वही शुभ मुहुर्त है। अग्नि पुराण करने के नियम:-अग्नि पुराण का वक्ता विद्वान ब्राह्मण होना चाहिये। उसे शास्त्रों एवं वेदों का सम्यक् ज्ञान होना चाहिये। अग्नि पुराण में सभी ब्राह्मण सदाचारी हों और सुन्दर आचरण वाले हों। वो सन्ध्या बन्धन एवं प्रतिदिन गायत्री जाप करते हों। ब्राह्मण एवं यजमान दोनों ही सात दिनों तक उपवास रखें। केवल एक समय ही भोजन करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिये। स्वास्थ्य ठीक न हो तो भोजन कर सकते हैं। ©N S Yadav GoldMine #SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प
#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प #पौराणिककथा
read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
My dear panditayin मैं चाहता हूँ की जब प्रेम लिखा जाए तो.. तुम्हें सबसे ऊपर लिखा जाए वो जो कहीं बैठ विधान लिख रहा है, मेरे हिस्से में तुम्हें लिख दे.. फिर जब विधि का विधान लिखा जाए तो उस हिस्से में सदैव तुम ही रहो.. मैं चाहता हूँ की जब मेरी मृत्यु का फ़रमान लिखा जाए तो ..गरुड़ पुराण की जगह तुम्हारे वो शब्द सुनाए जाएँ जो तुमने मुझे कहे हैं.. साथ ही तुम्हारे काँधे पर टिकाए हुए उन क्षणों को फिर से पिरोया जाए.. रुदन ना हो.. हँस के विदा किया जाए.. लोहबन ना जलाया जाए.. उन चिट्ठियों को जो तुमने मुझे लिखी थीं.. बस उन्हें मेरे साथ ही जला दिया जाए..मैं चाहता हूँ की जब भी मेरा ज़िक्र आए तो.. उससे पहले तुम्हारा ज़िक्र किया जाए नाम तो नहीं दे सका किंतु, तुम्हें अनाम भी ना रहने दिया जाए.. सवाल ना हों कोई भी बस.. तुम्हें मेरे साथ ही जोड़ दिया जाए..लांछन ना लगाया जाए कुछ भी, तुम्हारा मस्तक ऊँचा रहे और तुम्हें मेरा व सदैव मुझे तुम्हारा होना ही लिखा जाए.. वक़्त की ड्योढ़ी पर तुम्हें अभिमान के साथ ही समझा जाए.. तुम मर्यादा हो.. तुम्हें सदैव मर्यादा ही लिखा जाए... तुम शुभ हो तुम प्रेम हो, अनंत प्रेम है तुमसे लड़की.. ©Ankur Mishra #My #dear #panditayin मैं चाहता हूँ की जब प्रेम लिखा जाए तो.. तुम्हें सबसे ऊपर लिखा जाए वो जो कहीं बैठ विधान लिख रहा है, मेरे हिस्से में तुम
#my #Dear #panditayin मैं चाहता हूँ की जब प्रेम लिखा जाए तो.. तुम्हें सबसे ऊपर लिखा जाए वो जो कहीं बैठ विधान लिख रहा है, मेरे हिस्से में तुम #panditain
read moreVishw Shanti Sanatan Seva Trust
ओम पित्र देवाय नमः ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust ।। शांति संदेश।। 🌹🌹 प्रेमा भक्तिपथ🌹🌹 गरुड़ पुराण की 7 बातें याद रखेंगे तो कभी मात नहीं खाएंगे.. -By Dr. Krishna Mohan ji गरुड़ पुराण के बार
।। शांति संदेश।। 🌹🌹 प्रेमा भक्तिपथ🌹🌹 गरुड़ पुराण की 7 बातें याद रखेंगे तो कभी मात नहीं खाएंगे.. -By Dr. Krishna Mohan ji गरुड़ पुराण के बार #समाज
read moreVishw Shanti Sanatan Seva Trust
।। शांति संदेश।। 🌹🌹 प्रेमा भक्तिपथ🌹🌹 गरुड़ पुराण की 7 बातें याद रखेंगे तो कभी मात नहीं खाएंगे.. -By Dr. Krishna Mohan ji गरुड़ पुराण के बार #समाज
read moreHarvinder Ahuja
हमारे शरीर और मन में गहरे सम्बन्ध हैं। हमारी मानसिकता हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के संदेशों का प्रसार करती है। दूसरी ओर हमारा मन अपनी मानसिक तंरगो से विभिन्न संदेशों का प्रसारण करता है और उनको ग्रहण भी करता है। कभी आंख का फड़कना, कभी दिल का अजीब तरह से धड़कना विभिन्न प्रकार की आने वाली विपत्तियों की सुचना देता है। कभी हमें जाने अनजाने छींक आती है तो मन व्याकुल हो उठता है कि ना जाने कौन याद कर रहा है। छींक क्या कहती है,उस पर भी ज़रा गौर फरमाइए। • एक छींक आए तो कोई आपको याद कर रहा है। • दो छींक आए तो कोई आपको बहुत याद कर रहा है। • तीन छींक आए तो जो आपको याद कर रहा है, आपसे मिलने को व्याकुल है। • चार छींक आए तो जो आपको याद कर रहा है,आपसे मिलने को बहुत ज्यादा व्याकुल है। • अगर पांच छींक आए तो ........... किसी डॉक्टर की सलाह लें। ©Harvinder Ahuja #छींक पुराण