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Ritik Verma the Swan
माँ की कहानी थी, परियों का फ़साना था; बारिश में कागज़ की नाव थी; बचपन का वो हर मौसम सुहाना था। बाल दिवस की शुभ कामनायें! ©Ritik Verma the Swan माँ की कहानी थी, परियों का फ़साना था; बारिश में कागज़ की नाव थी; बचपन का वो हर मौसम सुहाना था। बाल दिवस की शुभ कामनायें! #ChildrensDay
माँ की कहानी थी, परियों का फ़साना था; बारिश में कागज़ की नाव थी; बचपन का वो हर मौसम सुहाना था। बाल दिवस की शुभ कामनायें! #ChildrensDay #शायरी
read moreOMG INDIA WORLD
साथ रहकर पता पड़ा #_हुस्न परियों का और रुप चाँद से चुराया होगा # खूबसूरत फूलों से #_तेरे होंठों को सजाया होगा #_जुल्फ बिखरें तो घटाओं को भी #_आ जाये पसीना #_बड़ी फुर्सत से रब ने तुम्हें बनाया होगा ©OMG INDIA WORLD #_हुस्न परियों का और रुप चाँद से चुराया होगा # खूबसूरत फूलों से #_तेरे होंठों को सजाया होगा #_जुल्फ बिखरें तो घटाओं को भी #_आ जाये पसीना
_हुस्न परियों का और रुप चाँद से चुराया होगा # खूबसूरत फूलों से _तेरे होंठों को सजाया होगा _जुल्फ बिखरें तो घटाओं को भी _आ जाये पसीना
read moreविवेक कुमार
परियों का समवेत गान फूलों की नाव बहाओ री,यह रात रुपहली आई । फूटी सुधा-सलिल की धारा डूबा नभ का कूल किनारा सजल चान्दनी की सुमन्द लहरों में तैर नहाओ री ! यह रात रुपहली आई । मही सुप्त, निश्चेत गगन है, आलिंगन में मौन मगन है । ऐसे में नभ से अशंक अवनी पर आओ-आओ री ! यह रात रुपहली आई । मुदित चाँद की अलकें चूमो, तारों की गलियों में घूमो, झूलो गगन-हिन्डोले पर, किरणों के तार बढ़ाओ री ! यह रात रुपहली आई । उर्वशी रामधारी सिंह दिनकर #chai परियों का समवेत गान फूलों की नाव बहाओ री,यह रात रुपहली आई । फूटी सुधा-सलिल की धारा डूबा नभ का कूल किनारा सजल चान्दनी की सुमन्द लहरों
#chai परियों का समवेत गान फूलों की नाव बहाओ री,यह रात रुपहली आई । फूटी सुधा-सलिल की धारा डूबा नभ का कूल किनारा सजल चान्दनी की सुमन्द लहरों
read morewritervinayazad
💫पेड़ की छाँव💫 अब नदी खुद ही पानी पीने लगी है अब गधा सुर ताल में गाने लगा है पेड़ की छाँव में बैठोगे कहां तुम पेड़ खुद जीवन बचाने में लगा है अब कहां बच्चों की किलकारी लुभाएं अब बुजुर्गों में बड़ी नादानियां हैं अब कहां आंगन में परियों का बसेरा अब नजर शैतान घर आने लगा है पेड़ की छाँव में बैठोगे कहां तुम पेड़ खुद जीवन बचाने में लगा है ©writervinayazad 💫पेड़ की छाँव💫 अब नदी खुद ही पानी पीने लगी है अब गधा सुर ताल में गाने लगा है पेड़ की छाँव में बैठोगे कहां तुम पेड़ खुद जीवन बचाने में लगा है
💫पेड़ की छाँव💫 अब नदी खुद ही पानी पीने लगी है अब गधा सुर ताल में गाने लगा है पेड़ की छाँव में बैठोगे कहां तुम पेड़ खुद जीवन बचाने में लगा है #कविता #yqdidi #yqhindi #विनय_आजाद #writervinayazad #पेड़कीछाँव
read moreMRIDUAL
एक बचपन का जमाना था ! जिसमें खुशियों का खजाना था !! चाहत चांद को पाने की थी ! पर दिल तितली का दीवाना था !! खबर ना थी कुछ सुबह की ! ना शाम का ठिकाना था !! थक कर आना स्कूल से ! पर खेलने भी जाना था !! मां की कहानी थी ! परियों का फसाना था !! बारिश में कागज की नाव थी ! हर मौसम सुहाना था !! रोने की वजह ना थी ! ना हंसने का बहाना था !! क्यों हो गए हम इतने बड़े ! इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था !! वो बचपन का जमाना था ... एक बचपन का जमाना था ! जिसमें खुशियों का खजाना था !! चाहत चांद को पाने की थी ! पर दिल तितली का दीवाना था !! खबर ना थी कुछ सुबह की ! ना शाम का
एक बचपन का जमाना था ! जिसमें खुशियों का खजाना था !! चाहत चांद को पाने की थी ! पर दिल तितली का दीवाना था !! खबर ना थी कुछ सुबह की ! ना शाम का #कविता
read moreMohammad Arif (WordsOfArif)
था मैं भी कभी दीवाना परियों का पीछा करता था इक भूल था प्यार का बार बार करता था था मैं भी कभी दीवाना उसके बारे में सोचता रहता था इक नशा था इश्क़ का बार बार करता था था मैं भी कभी दीवाना उसको ही देखा करता था इक चाहत था नशा का बार बार करता था था मैं भी कभी दीवाना अकेले सपने सजोता रहता था इक फरियाद था मिलने का बार बार करता था था मैं भी कभी दीवाना ©Mohammad Arif (WordsOfArif) था मैं भी कभी दीवाना परियों का पीछा करता था इक भूल था प्यार का बार बार करता था था मैं भी कभी दीवाना उसके बारे में सोचता रहता था इक नशा था इश
Vandana
मैं प्रेम रंग में रंगी हूं मैं उन् एहसासों में रंगी हूं प्यार भरी बूंदों में रंगी हूं तेरे बिताए साथ जो पल थे उनकी यादों में रंगी हूं मैं तेरी खुशबू में रंगी हूं तेरे जज्बातों की जो मुझ पर होती थी बरसात उसमें रंगी हूं मैं प्रेम के रंग में रंगी हूं कितना अद्भुत होता ये एहसास लगता है सारी दुनिया है अपने पास जमीन पर पैर नहीं होते और आसमान में हम उड़ते हैं जिंदगी इतनी हसीन लगती ऐसा लगता हम परमात्मा की बनाई दुनिया में है जहां परियों का देश हो कोई भी दर्द ना हो बस प्रेम ही प्रेम हो जहां कृष्ण की बांसुरी और राधा की मंद मुस्कान हो मैं प्रेम रंग में रंगी हूं मैं उन् एहसासों में रंगी हूं प्यार भरी बूंदों में रंगी हूं तेरे बिताए साथ जो पल थे उनकी यादों में रंगी हूं मैं ते
मैं प्रेम रंग में रंगी हूं मैं उन् एहसासों में रंगी हूं प्यार भरी बूंदों में रंगी हूं तेरे बिताए साथ जो पल थे उनकी यादों में रंगी हूं मैं ते #LoveStory #lovequote #yqdidi #Dilkibaatein
read moreShivank Sharma
अब की बार मोहब्बत करो , तो खबर रखियेगा कहीं दौहरा ना जाए , अजीयत-ए-तारीख नजर रखियेगा इस बार दिल अगर टूटा , तो सम्भलेगा नहीं जब तक जुबां पर ना आए , उसके दिल की बात सबर रखियेगा किसी के आने जाने से कमी ज्यादती होती नहीं कभी दुनिया-ए-परिस्ता बहुत मिलेंगे , कदमों के नीचे सफर रखियेगा टूटे हुए कैस् का यकी करता नहीं कोई जब किस्सा कहो तो , बातों में असर रखियेगा बुरी नजर से देखते हैं आशिकों को जहां वाले किसी की जुबां ना खुले , गवाह साथ रखियेगा गाहे-बगाहे ही मोहब्बत मुकम्मल होती है किसी की गर हो भी जाये , पैरों में जमी , सर पर आसमान रखियेगा मोहब्बत दोजख है जवानी के लिए बडी आस से शहर भेजा है मां ने , ध्यान रखियेगा दोजख - नर्क गाहे-बगाहे - कभी-कभी कैस् - आशिक दुनिया-ऐ- परिस्ता - परियों का संसार अजीयत-ए-तारीख - हादसों का इतिहास अब की बार मोहब्बत करो , तो खबर रखियेगा कहीं दौहरा ना जाए , अजीयत-ए-तारीख नजर रखियेगा इस बार दिल अगर टूटा , तो सम्भलेगा नहीं जब तक जुबां पर
अब की बार मोहब्बत करो , तो खबर रखियेगा कहीं दौहरा ना जाए , अजीयत-ए-तारीख नजर रखियेगा इस बार दिल अगर टूटा , तो सम्भलेगा नहीं जब तक जुबां पर
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