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Alfaaz dil se
महफिल तेरी थी और हम दिल अपना गवां बैठे थे, मेरे हर लफ्ज़ में तेरे दिल को शामिल कर अपना बना बैठे थे, पसंद आ जाए तुझे मेरा संग कर खुदा से दुआ बैठे थे, तेरी ही महफिल में पैगाम ए रूह तेरे लिए बुला बैठा थे, तेरे दिल के अंधेरे को हम तो अपना उजाला बना बैठे थे, तेरे ही इश्क के तरीके को हम अपना इश्क तरीका बना बैठे थे, तू होकर इश्क में गुम महफिल ए इश्क को तबाह बता बैठे थे, तेरे कतरे भर इश्क से हम मधुशाला को अपना हिस्सा बना बैठे थे, साथ जब तेरा था तो एक उम्मीद से तेरा हाथ हम थामे बैठे थे, रूह ए इश्क में हम तो तेरी सादगी को बंदगी बनाए बैठे थे, तुम तो मिली नही पर तेरे इश्क की महफिल को सजाए बैठे थे, रहम दिली को तेरी हम ए सनम इश्क अर्जी बनाए बैठे थे, ज़ख्म ए इश्क को भरने के लिए रूह ए मरहम लाए बैठे थे, जाना तो मेरा आखिरी रास्ता था तेरे लिए धड़कन धड़काए बैठे थे, तेरे नाम को हम आज भी ना जाने क्यों होंठो पे सजाए बैठे थे, मेरी महफिल में तो बस तेरा नाम लिए बदनाम हुए बैठे थे, इश्क ए कमल की स्याही में हम तेरा नाम छुपाए बैठे थे, हाल देख तेरा हम अपनी पलकों को भिगाओ बैठे थे, तेरे ऊपर हम अपना सारा इश्क बरसाए बैठे थे, हम तो तेरे इश्क में अपने लाल खून को तड़पाए बैठे थे ©Alfaaz dil se #WallTexture
ajaynswami
होता क्या है प्रेम आज हमने अपनी आंखों से देखा है एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर प्रेम रोग में टूटते देखा है प्रेम वियोग ऐसा कि काली स्याह रातों में उसे रोते देखा है और तपती दोपहर में भी उसे बको ध्यान में बैठा देखा है। ध्यान मग्न बैठा-बैठा सोच रहा है कि कैसे होगा लक्ष्य प्रतिरक्षा इस विचार में आज हमने उसे प्रतीक्षारत देखा है, कोई तो बैठा है उसकी कुंडली में साढ़े साती बनकर। उसी नक्षत्रो में कोई बैठा बैठा सूर्य को चाँद्र लगन में जाते देखा है। आँखों में बह रही अश्रु धारा में आज उसे फिर डूबते देखा है, एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर हमने प्रेम रोग में टूटते देखा ©ajaynswami #WallTexture
ajaynswami
होता क्या है प्रेम आज हमने अपनी आंखों से देखा है एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर प्रेम रोग में टूटते देखा है प्रेम वियोग ऐसा कि काली स्याह रातों में उसे रोते देखा है और तपती दोपहर भी उसे बको ध्यान में बैठा देखा है। ध्यान मग्न बैठा-बैठा सोच रहा है कि कैसे होगा लक्ष्य प्रतिरक्षा इस विचार में आज हमने उसे प्रतीक्षारत देखा है, कोई तो बैठा है उसकी कुंडली में साढ़े साती बनकर। उसी नक्षत्रो में कोई बैठा बैठा सूर्य को चाँद्र लगन में जाते देखा है। आँखों में बह रही अश्रु धारा में आज उसे फिर डूबते देखा है, एक पत्थर दिल इंसान को आज फिर हमने प्रेम रोग में टूटते देखा ©ajaynswami #WallTexture
Hami
നീണ്ടു പോയ എന്നിലെ നിശബ്ദതയുടെ ആഴം നീ തിരിച്ചറിയുന്നുവെങ്കിൽ.... എന്നിലെ സ്ത്രീയുടെ വികാരങ്ങളുടെ മാറ്റൊലി നിന്റെ ഹൃദയത്തിൽ അലയടിക്കുന്നുണ്ടെന്നു ഞാൻ തിരിച്ചറിയുന്നു 📝harmyachandran ©Hami #WallTexture
Varinder Bitta
जहाँ जात पात की बात हो वहाँ आपकी रिश्तेदारी तो जरूर हो सकती है मगर 'दोस्ती' नहीं.. 😇 ©Varinder Bitta दोस्ती... #WallTexture #Dosti
दोस्ती... #WallTexture #Dosti #Thoughts
read moreNandhini
अदनासा-
निर्धन है धन का अहंकारी धन से चैन खो देता है धनी है मन का प्रेम पुजारी मन खोकर चैन पाता है ©अदनासा- #हिंदी #धन #मन #प्रेम #अहंकारी #पुजारी #WallTexture #Instagram #Facebook #अदनासा
writer_Suraj Pandit
कुछ उम्मीद बची थीं, इन दीवारों से। अब यह भी टूट गई। 😒💔 ©writer_Suraj Pandit love #SadLife #sadlovequotes #WallTexture #WallPot #umide Priyanka Jha Dr Ashish Vats Miss khan sing with gayatri Kanish Verma
love #SadLife #sadlovequotes #WallTexture #WallPot #umide Priyanka Jha Dr Ashish Vats Miss khan sing with gayatri Kanish Verma #शायरी
read moreDipak kolaskar
|| मी तिला लिहीत असतो || कविता म्हणजे काय मी तिला लिहीत असतो आठवणी म्हणजे काय मी दुःख लिहीत असतो अव्यक्त प्रेम होत माझं मी गुंफतो शब्दात आता प्रेम म्हणजे काय मी केवळ विरह लिहीत असतो. मी अनोळखी नाते जपले ओळखीची पर्वा नाही नाते म्हणजे काय मी मनाचे धागे लिहीत असतो तीच्याईतके सुंदर कदाचित कोणीच नसावे मित्रा सौंदर्य म्हणजे काय मी त्या चंद्रास लिहीत असतो. जादुटोणा, निंबु, मिरची मी यास मनालेच नाही दंश म्हणजे काय मी तिच्या डोळ्यास लिहित असतो बागेतल्या फुलांचे हल्ली आकर्षण राहिले नाही सुगंध म्हणजे काय मी तिच्या ओढणीस लिहित असतो. दुःख आहे मनात अव्यक्त प्रेमाचं ते सलत राहते सल म्हणजे काय मी आसवांना लिहीत असतो मिठी मारणे फार गरजेचे असते बघ त्या व्यक्तीला मिठी म्हणजे काय मी जागलेल्या रातांना लिहीत असतो. दिपक कोळसकर ©Dipak kolaskar #WallTexture