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RiChA SiNgH SoMvAnShI
शम्मा-ए-इश्क जलाया था, किसी ने ज़िंदगी में मेरे, पर उजाले कभी नसीब ना हुये, ज़िंदगी को मेरे।। Incomplete #yqbaba #yqdidi #mohabbatkibaatein #शम्मा-ए-इश्क
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read moreBIDISH GOSWAMI
आप चांद है, जिसके दीदार को नैन तरसते है... आप सांस है, किसके बिना रूह अधूरी है... आप शम्मा है, जिसके बिना सब अंधेरा है... आप वोह है, जिसके बिना हम भी बंजारे है।। #आप _कुछ_तो_है #चांद #सांस #रूह #शम्मा #प्यार #हिंदी #हिंदीशायरियां
Shayar E Badnaam
रोशनी से है इबादत के शम्मा पिघलती रहती है, कौन जाने के अंधेरों में बगावत पलती रहती है.... #रोशनी #इबादत #बगावत #पलती #पिघलती #शम्मा #शायर_ए_बदनाम
Shayar E Badnaam
पहले जलाते हो फिर बुझाते हो, इस तरह क्यूं शम्मा को आजमाते हो, रात आई है तो गुजर भी जाएगी, बेवजह क्यूं मेहताब को सताते हो..... #जलाते #बुझाते #आजमाते #सताते #शम्मा #मेहताब #रात
Shayar E Badnaam
शम्मा जो जलाई गई थीं जश्न कि तैयारी में, बुझा दी गई रोशनी की बेशुमारी में, शबें यूं ही नहीं गुजारी बेदारी में, हमने ज़िन्दगी बिता दी खुद्दारी में.... #शम्मा #शब #रोशनी #बेदारी #खुद्दारी #ज़िन्दगी
Snehi Uks
महफिल ये शम्मा का क्या दोष फ़ना हो जाने की फ़ितरत तो परवानों की हुआ करती है ©Snehi Uks #फना #दोष #क्या #शम्मा #फ़ितरत #है #परवाना #की #candle
Eklakh Ansari
रोशनी मैंने तेरी सूरत दिल मे बसा ली है यानी अन्धेरे में शम्मा जला ली है लाख हो चाहे पहरे आएगा तु मिलने मैंने सहेली से शर्त लगा ली हैं #रोशनी #शम्मा #सबा_बलरामपुरी
Shiwalika_SSS
शहीद भगत सिंह दीवाने शहीदों की मोहब्बत-ए-वतन की, तमाम उम्र दास्तान-ए-उल्फ़त कहेंगे, हम हिंदुस्तान के बाशिंदे जब तक जियेंगे, "भगत सिंह" तुम्हारे कर्ज़दार रहेंगे ।। रंग बिखरे हैं हज़ारों ज़माने में लेकिन, अपना चोला "बसंती" वो रंग कर चला था, ज़माना दीवाना है हुस्न का वो तो, मोहब्बत आज़ादी के संग कर चला था। महफूज़ किनारों की कब चाहत उसे थी, थे इरादे हम खून की गंगा में बहेंगे। हम हिंदुस्तान के बाशिंदे जब तक जियेंगे, भगत सिंह तुम्हारे कर्ज़दार रहेंगे।।🙏 *शहीद भगत सिंह* हक़ की खातिर महीनों वो भूखा रहा था, वो नमक जो रिसते ज़ख्मो पर भरा था, कांप जाए पत्थर भी वो दर्द सह कर भी, न शिकन चेहरे पे,ना एक भी अश्क गिरा था। इल्म था ज़ालिमों की कैद-ए-दोज़ख को , जंग-ए-आज़ादी की जन्नत कर देंगे।
*शहीद भगत सिंह* हक़ की खातिर महीनों वो भूखा रहा था, वो नमक जो रिसते ज़ख्मो पर भरा था, कांप जाए पत्थर भी वो दर्द सह कर भी, न शिकन चेहरे पे,ना एक भी अश्क गिरा था। इल्म था ज़ालिमों की कैद-ए-दोज़ख को , जंग-ए-आज़ादी की जन्नत कर देंगे।
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