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काव्यात्मक अंकुर
निष्ठुर मत निश्चित असलं की, निष्ठुर व्हायला वेळ लागत नाही. ©काव्यात्मक अंकुर #निष्ठुर #मत #अंकुर #काव्यात्मकअंकुर🌱 #Opinion #thought #story #experience #Life #oneliner
Poonam bagadia "punit"
उलझन इस बात की है कि ये निष्ठुर ज़िन्दगी दर्द मे उलझी है और हमें, तुझसे नाराज नही ज़िन्दगी... कह कर हर उलझन सुलझानी हैं...! ©Poonam bagadia "punit" ये उलझन सुलझें ना... #ज़िन्दगी #उलझन #निष्ठुर #Nojoto #nojotohindi #एहसास #Love #दिल #Dil #AdhureVakya
ये उलझन सुलझें ना... #ज़िन्दगी #उलझन #निष्ठुर #nojotohindi #एहसास #Love #दिल #Dil #AdhureVakya
read morePushpa Sharma "कृtt¥"
उसे न मेरे लब्ज़ सुनाई देते हैं और न ही उसे मेरे जज़्बातों से कोई सरोकार है, वो निष्ठुर के साथ अभिमानी भी है, पर करें क्या ये सब करने का, बस उसे ही अधिकार है। ©Pushpa Sharma #merelabaz #निष्ठुर #अभिमानी #Shades
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read moreSultan Mohit Bajpai
मैं निष्ठुर हूँ प्रेम नही , तुम से कर सकूंगा । मैं विष हूँ अब कंठ तले,ना उतर सकूँगा ।। आज हमारे बीच , नही है इश्क मुहब्बत। लेकिन फिर भी ऐसे ना ,मैं मुकर सकूँगा ।। $.मोहित बाजपेयी...© #निष्ठुर... #NojotoHindi #Nojoto #EmotionalHindiQuotestatic #NojotoWodHindiQuotestatic #Quotes #Shayari #Poetry
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read moreSultan Mohit Bajpai
💐मेरा और उसका फैसला💐 ---–--------------------- मेरी एक कविता पूरी कविता कैप्सन में पढ़े समय/मेरा और उसका ---------–------–-- आज समय ने मेरे ऊपर कटाक्ष किया मैं समय को देखता रहा एक न्यायाधीश के रूप में समय व्यग्य करता रहा ,मुझपर की तुम नही समझे मेरा इशारा...
समय/मेरा और उसका ---------–------–-- आज समय ने मेरे ऊपर कटाक्ष किया मैं समय को देखता रहा एक न्यायाधीश के रूप में समय व्यग्य करता रहा ,मुझपर की तुम नही समझे मेरा इशारा...
read moreAjay Amitabh Suman
ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है । इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक पे गर्भ धारण , बच्ची , तरुणी , युवती , माँ , सास , दादी के रूप में क्रमिक विकास और फिर देहांत और देहोपरांत तक दिखाई गई है। अंत में कवि माँ की महिमा का गुणगान करते हुए इस कविता को समाप्त करता है। माँ आओ एक किस्सा बतलाऊँ,एक माता की कथा सुनाऊँ, कैसे करुणा क्षीरसागर से, ईह लोक में आती है? धरती पे माँ कहलाती है।
ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है । इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक पे गर्भ धारण , बच्ची , तरुणी , युवती , माँ , सास , दादी के रूप में क्रमिक विकास और फिर देहांत और देहोपरांत तक दिखाई गई है। अंत में कवि माँ की महिमा का गुणगान करते हुए इस कविता को समाप्त करता है। माँ आओ एक किस्सा बतलाऊँ,एक माता की कथा सुनाऊँ, कैसे करुणा क्षीरसागर से, ईह लोक में आती है? धरती पे माँ कहलाती है।
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