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Vivek Vistar
शक्ति पर संयम की जय, निरंकुश पर नियम की जय, साधनों पर साधना की जय, क्रोध पर भावना की जय, अवरोध पर प्रतिरोध की जय, मानवता के प्रतिशोध की जय, अन्याय पर न्याय की जय, प्रयत्न के अध्याय की जय, आसक्ति पर अनुराग की जय, जनकसुता के त्याग की जय, अहित पर हित की जय, अनुचित पर उचित की जय, वंचक पर वंचित की जय, दशानन पर एकशीश की जय, बद्दुआओं पर आशीष की जय, अनेक पर एक की जय, बुद्धि पर विवेक की जय, अंधकार पर प्रकाश की जय, अहंकार पर विश्वास की जय, विकार पर संस्कार की जय, संकीर्ण पर विस्तार की जय, नियंत्रण पर अधिकार की जय, जानकी के इंतजार की जय, मर्यादा के अधिनाम की जय, सत्यता के संग्राम की जय, विराम पर आयाम की जय, रावण पर राम की जय...! ©Vivek Vistar विजयादशमी शक्ति पर संयम की जय, निरंकुश पर नियम की जय, साधनों पर साधना की जय, क्रोध पर भावना की जय, अवरोध पर प्रतिरोध की जय, मानवता के प्रतिशोध की जय, अन्याय पर न्याय की जय,
Vivek Vistar
कतरा - कतरा पानी का बरसाना होगा यानी बादल को भी कर्ज़ चुकाना होगा उसकी आंखों में खोया हूं सब कुछ अपना इश्क़ किया है अब इतना तो जुर्माना होगा मसला ये है मैं घर से खाली निकला था गम ये है अब घर फिर खाली जाना होगा लैला के ख़्वाब मरे हैं महलों में लेकिन मजनू को सड़कों पर पत्थर खाना होगा तुम ही बतलाओ कब तक दोगे साथ मिरा मुझको तो राहों में चलते जाना होगा यानी पल भर के लब छूने के बदले में सारी उम्र मुझे अब शेर सुनाना होगा ©Vivek Vistar कतरा - कतरा पानी का बरसाना होगा यानी बादल को भी कर्ज़ चुकाना होगा उसकी आंखों में खोया हूं सब कुछ अपना इश्क़ किया है अब इतना तो जुर्माना होगा मसला ये है मैं घर से खाली निकला था गम ये है अब घर फिर खाली जाना होगा
Vivek Vistar
जो भाग्य में लिखा है मिलकर वही रहेगा, जलधार है जहां को दरिया वहीं बहेगा । कहते हैं ये वही जिनमें प्राण अब नहीं हैं, संधान साधने को तय वाण अब नहीं हैं । ©Vivek Vistar जो भाग्य में लिखा है मिलकर वही रहेगा, जलधार है जहां को दरिया वहीं बहेगा । कहते हैं ये वही जिनमें प्राण अब नहीं हैं, संधान साधने को तय वाण अब नहीं हैं । Vivek Vistar
Vivek Vistar
माँ सृजनकार नहीं दुनिया में मां के जैसा मैं मां द्वारा ही सृजित एक कहानी हूं वो इक दरिया है इस जीवन का जरिया है मैं तो उसका कुछ बूंद जरा सा पानी हूं ©Vivek Vistar सृजनकार नहीं दुनिया में मां के जैसा मैं मां द्वारा ही सृजित एक कहानी हूं वो इक दरिया है इस जीवन का जरिया है मैं तो उसका कुछ बूंद जरा सा पानी हूं Vivek Vistar #vivekvistar
Vivek Vistar
बाग में बस फूल काफी नहीं उनमें कुछ तितलियां रहने दो. लड़कियों को देवी मत बनाओ उन्हें बस लड़कियां रहने दो. ©Vivek Vistar बाग में बस फूल काफी नहीं उनमें कुछ तितलियां रहने दो. लड़कियों को देवी मत बनाओ उन्हें बस लड़कियां रहने दो. #vivekvistar #vivekvistarshayari #Nojoto #Hindi
Vivek Vistar
छोड़कर मंजिलों का कोई रास्ता. मिल गया मुश्किलों का कोई रास्ता. ढूंढती है नज़र आज़ तक भी मगर, ना मिला दो दिलों का कोई रास्ता. ©Vivek Vistar छोड़कर मंजिलों का कोई रास्ता. मिल गया मुश्किलों का कोई रास्ता. ढूंढती है नज़र आज़ तक भी मगर, ना मिला दो दिलों का कोई रास्ता. #Nofear #vivekvistar #vivekvistarshayari
Vivek Vistar
रस्ते बदले, मंजिल बदली, मौसम बदले. हमने फिर सब कुछ बदला जबसे तुम बदले. ©Vivek Vistar रस्ते बदले, मंजिल बदली, मौसम बदले. हमने फिर सब कुछ बदला जबसे तुम बदले. Vivek Vistar #vivekvistar #vivekvistarshayari #vistar
Vivek Vistar
वो कार्य भी है कारण भी, वो धारणा भी है धारण भी. वो साधन भी है साध्य भी, वो बंधन भी है बाध्य भी. वो शांति भी है शक्ति भी, वो क्रोध भी है रक्ति भी. वो सांसारिक भी है संत भी, वो आदि भी है अंत भी. वो युग भी है क्षण भी, वो ब्रह्मांड भी है कण भी. वो निर्माण भी है नाश भी, वो तिमिर भी है प्रकाश भी. वो सूक्ष्म भी है विकराल भी, वो भोला भी है महाकाल भी. ©Vivek Vistar Vivek Vistar #vivekvistar #vistar #vivekvistarshayari #mahadev #mahashivratri #mahakal
Vivek Vistar
कोई भी उम्मीद उनसे हम लगा सकते नहीं. जो मुहब्बत से ज़रा भी मुस्कुरा सकते नहीं. बन नहीं सकते किसी और के अपने तुम अगर, तो किसी और को अपना तुम बना सकते नहीं. रोज जय श्रीराम या अल्लाहु अकबर पर लड़े, क्यों सभी जय हिंद का नारा लगा सकते नहीं. वो कभी भगवा कभी बुर्का हिजाबों पर लड़े, इस तरह से मुल्क हम आगे बढ़ा सकते नहीं. रोज जाया हो रही है मंदिरों में रौशनी, उस दिए को तीरगी में क्यों जला सकते नहीं. धूल खातीं चादरें बेजां मजारों पर यहां, सर्दियों में कांपते तन पर बिछा सकते नहीं. लोग मज़हब के लिए लड़कर बहाते हैं लहू, मुल्क की खातिर लहू लेकिन बहा सकते नहीं. नेक हिंदू मुसलमान बनो सिखाते हैं यहां, पर बनो इंसान अच्छा ये सिखा सकते नहीं. ©Vivek Vistar कोई भी उम्मीद उनसे हम लगा सकते नहीं. जो मुहब्बत से ज़रा भी मुस्कुरा सकते नहीं. बन नहीं सकते किसी और के अपने तुम अगर, तो किसी और को अपना तुम बना सकते नहीं. रोज जय श्रीराम या अल्लाहु अकबर पर लड़े, क्यों सभी जय हिंद का नारा लगा सकते नहीं.
Vivek Vistar
कोई भी उम्मीद उनसे हम लगा सकते नहीं. जो मुहब्बत से ज़रा भी मुस्कुरा सकते नहीं. ©Vivek Vistar कोई भी उम्मीद उनसे हम लगा सकते नहीं. जो मुहब्बत से ज़रा भी मुस्कुरा सकते नहीं. - Vivek Vistar #vivekvistar #vistar #yqdidi #yqbaba