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Poonam Suyal
सदाचार (अनुशीर्षक में पढ़ें) सदाचार मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र है सदाचार, ये सदा रहता है उसके साथ नहीं देता कभी ये उसको धोखा, थामे रखता है आजीवन उसका हाथ एक सदाचारी व्यक्ति,
Nitesh Prajapati
इज़हार-ए-इश्क़ (ग़ज़ल) इज़हार-ए-इश्क़ कुछ इस तरह बयां करूं में, के तू चाह कर भी मेरे इज़हार को ठुकरा ना पाओ। ले जाएंगे तुझे दुनिया से दूर जहाँ सिर्फ हो हम और तुम, और गुलाब देकर करेंगे अपने प्यार की पेशकश के तुम ना ही ना बोल पाओ। हाथों में तेरा हाथ लेकर देंगे तुझे एक अटूट वादा के, तुम कभी मेरी जिंदगी बनने के लिए इन्कार ना कर पाओ। इज़हार-ए-इश्क़ करके तेरे दिल में यूंँ बस जाएंगे, के तु चाह कर भी कभी मुझसे दूर ना रह पाए। इज़हार-ए-इश्क़ से जुड़ जाएगा हमारे बीच एक ऐसा रिश्ता के, चाह कर भी दुनिया वाले हमारे विश्वास को कभी तोड़ ना पाए। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-4 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #kkpc26 #विशेषप्रतियोगिता
Nitesh Prajapati
सदाचार (कविता) सत्य की साधना करना, अहिंसा की पगडंडी पर चलना, मिली है यह जिंदगी खुदा की देन से, तो सदाचार को अपना धर्म मानना। बनना एक सहारा किसी का, हो अगर कोई मुश्किल में तो, जैसे बन सके उसकी मदद करना, और मनुष्य होने का अपना फर्ज निभाना। सदाचार तो होता है खून में, जो देता है एक मांँ-बाप हमको संस्कार मे, किसी की मदद करो या ना करो, किसी आदमी का आदर करो, वह भी तो एक सदाचार ही है। व्यवहार में अपने रखना मीठी वाणी तू, खींचना सबको अपनी तरफ हृदय के नम्र भाव से, सदाचारी जीवन ही देगा तुम्हें अमरत्व, के मरने के बाद भी तुम जिंदा रहोगे सबके दिलों में। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-3 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #kkpc26 #विशेषप्रतियोगिता
Nitesh Prajapati
सामाजिक दायरे (चिंतन) अगर समाज में रहना है हमें तो समाज के नीति नियम से जीना होगा। कुछ चीजें हमें समाज के दायरे में रहते ही करनी होगी। जैसे आजकल यह दुनिया टेक्नोलॉजी से बहुत ही आधुनिक हो गई है, फिर भी समाज में कुछ चीजें अच्छी नहीं लगती है। चाहे हमारे विचार कितने भी आधुनिक हो जाए लेकिन समाज में तो हमें समाज की विचारधारा से ही चलना होगा। लेकिन आज की पीढ़ी विचारो से भी आधुनिक हो गई है, विदेशी संस्कृति और पश्चिमी संस्कृति अपना रही है। माना कि आज के युग में सभी स्वतंत्र हैं अपने विचारों पर लेकिन समाज में यह सब संस्कृति का मिश्रण यह निंदनीय बाबत है। कोई सामाजिक समारोह में आप छोटे कपड़े पहन के जाओगे, या फिर कोई मर्द नशा करके वहां पहुंचता है, यह सारी चीजें समाज के दायरे से बाहर की होती है, जो समाज में अच्छी नहीं लगती है, समाज में रहकर आप अवैध संबंध के बारे में सोच भी नहीं सकते, ना ही कोई स्त्री को घरेलू हिंसा का शिकार बना सकते हैं, समाज हमेशा ही इन सभी चीजों को धिक्कारती है, सिर्फ स्वच्छ छवि और समाज के दायरे में रहने वाले इंसान को ही अपनाती है। अपने शौक अपनी जगह है लेकिन वह हम तक ही सीमित है, समाज में तो हमें सामाजिक दायरे में ही रहकर जीना होगा चाहे हमारा मन हो या फिर ना हो। रचना क्रमांक :-2 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #kkpc26 #विशेषप्रतियोगिता
Nitesh Prajapati
"घूँघट की आड़" ( लघुकथा) पूरी कहानी कृपया अनुशीर्षक मे पढ़े । रचना क्रमांक :-1 @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ "घूँघट की आड़" ( लघुकथा) घूँघट की आड़ में ये समाज ना जाने कितनी लड़किया को आगे बढ़ने ने से रोकती है। समाज क्या सोचेगा यह सब सोचते हैं लेकिन अपनी बेटी के भविष्य के बारे में कुछ नहीं सोचता।
Dr Upama Singh
घूंँघट की आड़ (लघुकथा) अनुशीर्षक में👇👇:// बात उन दिनों की है जब भारत देश में छोटे से उम्र में विवाह कर दी जाती थी। मेरी दादी का भी 13 साल की उम्र में मेरे दादाजी के साथ जो ख़ुद 15 साल के थे विवाह हो गया था और ढाई साल बाद गौना कर के दादाजी के साथ अपने ससुराल यानी हमारे घर चली आईं। खेलने कूदने और पढ़ने के उम्र में वो दांपत्य जीवन जीने लगी। एक दिन दादाजी से उन्होंने कहा की मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, तो दादाजी ने घर वालों के चुपके से उन्होंने गांँव के पाठशाला में प्रवेश दिला दिया और दादी से बोला की तुम हमें अपने घूंँघट से पूरा चेहरा ढक कर म
Dr Upama Singh
सामाजिक दायरे (चिंतन) मानव एक सामाजिक प्राणी है और मानव विकास में सभ्यता का योगदान रहा। एक सुंदर स्वस्थ समाज में रहने के लिए हर इंसान को इस समाज के कुछ बनाए दायरे में रहते हैं जिससे किसी तरह की किसी को भी मानसिक, शारीरिक, आर्थिक पीड़ा ना झेलेनी पड़े। लेकिन कुछ लोग समय के साथ इसका दुरुपयोग में करने लगे हैं। जो कि नहीं होना चाहिए हमें अपनी सद्बुद्धि से इस दायरे को जो हमारे हित में हैं मानना चाहिए। #kkpc26 #कोराकाग़ज़ #kkdrpanchhisingh1 #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़
Dr Upama Singh
इज़हार–ए–इश्क़ (ग़ज़ल) आरज़ू ये है की इज़हार–ए–इश्क़ कर दें। अल्फाज़ चुनते हैं तो लम्हें बदल जाते। इज़हार–ए–इश्क़ दिल का अजब हाल कर दे। आँखें तो रजामंद हैं लेकिन लब सोच रहे। इज़हार–ए–इश्क़ करना दिल को नहीं आ रहा। लेकिन इस दिल को बिन तेरे रहना भी नहीं आता। इज़हार–ए–इश्क़ का मज़ा तब मुझे आए। जब मैं ख़ामोश रहुँ तेरा दिल बेचैन रहे। तेरे लिपट कर आज़ दिल इज़हार–ए–इश्क़ कर रहे। तेरे बाहों के पनाह में आकर तुझ में खो रहे। #kkpc26 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkdrpanchhisingh1
Dr Upama Singh
सदाचार (कविता) धन, जन, बुद्धि अपार लेकिन सदाचार बिन सब बेकार दान से दरिद्रता का सदाचार से दुर्गति का उत्तम बुद्धि से अज्ञानता का सदभावना से भय का इंसान के जीवन पर ये सारे बहुत प्रभाव छोड़ जाते सदाचार की करो रक्षा दुराचार से रहो कोसो दूर सदाचार से आता मर्यादा खुशियाँ देता अपरंपार जीवन में सदाचार जीने की सच्ची कला सिखलाता #kkpc26 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkdrpanchhisingh1
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इज़हार-ए-इश्क़ (ग़ज़ल) ********************** इश्क़ है तुझसे ऐ ज़िन्दगी इज़हार ए इश्क़ बार-बार करती हूँ, तिरी मिज़ाज़ की हर वफ़ा का मैं ऐतबार बार-बार करती हूँ, तू बदलती मौसम सी तिरे हर रंग में रंगकर ख़ुद को तुझमें समा जाने का गुनाह बार-बार करती हूँ, तिरी लाख सितम को सहकर तज़ुर्बेदार होने का हुनरबाज़ बनने की आरज़ू बार-बार करती हूँ, हाँ इश्क़ है मुझे तुझसे कायनात को करके गवाह तिरी मासूमियत को बदनाम बार-बार न करने का ऐलान करती हूँ, बड़ा गज़ब का इश्क़ है तुझसे ऐ ज़िन्दगी मिलाती है तू मुझे ख़ुद से उस आईने का मैं शुक्रिया बार बार करती हूँ, चौथी रचना_ग़ज़ल👉 इज़हार-ए-इश्क़ ************** #ग़ज़ल #इज़हार_ए_इश्क़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #KKPC26