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Divyanshu Pathak
पिता ------------- सुनो! पिता को मैं नहीं समेंट सकता अपनी तुकबंदियों में , ना ही समेंट सकता हूँ कभी किसी गीत या छंद में कोई आकाश को समेंट पाता है क्या! कोई अवकाश को लपेट पता है क्या! पिता नई पीढ़ी के लिए आकाश है पिता नई पीढ़ी के लिए अवकाश है कौन क्या समझा, मैंने क्या समझाया सब ने समझा अपने अपने हिसाब से सब ने नवाजा अपने अपने खिताब से मैंने इतना समझा पिता रब की छाया है स्वप्नों की रात है और पिता ही प्रकाश है। पिता ------------- सुनो! पिता को मैं नहीं समेंट सकता अपनी तुकबंदियों में , ना ही समेंट सकता हूँ कभी किसी गीत या छंद में कोई आकाश को समेंट पाता है क्या! कोई अवकाश को लपेट पता है क्या! पिता नई पीढ़ी के लिए आकाश है
पिता ------------- सुनो! पिता को मैं नहीं समेंट सकता अपनी तुकबंदियों में , ना ही समेंट सकता हूँ कभी किसी गीत या छंद में कोई आकाश को समेंट पाता है क्या! कोई अवकाश को लपेट पता है क्या! पिता नई पीढ़ी के लिए आकाश है
read moreTarot Card Reader Neha Mathur
शीर्षक:-पिता बेटी को अनमोल अनुपम अतुलनीय उपहार देते हैं पिता पूंजी पूरी जीवन की बिटिया के प्यार में वार देते हैं पिता, पालन पोषण परिवार जनों का संघर्ष कर करते हैं पिता अपरिमित अनुराग संतानों को जीवन भर करते हैं पिता, नैतिकता नीति जीवन के आधार यही पढ़ाते हैं पिता अनुशासन अभिन्न अंग जीवन का सही सिखाते हैं पिता, विकट विषम परिस्थितियों से जीवन भर बचाते हैं पिता नवजीवन नवदृष्टि से अंधेरे में दिपक सा दिखाते हैं पिता, मान मर्यादा प्रतिष्ठा संस्कार धरोहर यही बताते हैं पिता शक्ति शालिनता को संजो संतान हिय में बसाते हैं पिता, प्रगति पथ पर मार्गदर्शन कर उन्नति शिखर पर पहुंचाते हैं पिता ज्ञान ज्योत संतानों में जलाकर जीवन ज्योतिर्मय कर जाते हैं पिता। कोरा काग़ज़ महाप्रतियोगिता तीसरा चरण:- अनुप्रास अलंकार कविता शीर्षक:- पिता #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_3 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ Pic credit:- google images
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read moreDR. SANJU TRIPATHI
'अनुप्रास अलंकार' पिता सदा साथ निभाने वाले सदा संग-संग साथी बन साथ रहते हैं मेरे पिता, मुश्किलों में भी मुझे मजबूत चट्टान सा बनना सिखाते रहते हैं मेरे पिता। हर घड़ी हर पल और हमेशा ही हमारा हमसाया बनकर रहते हैं मेरे पिता, मेरे सम्पूर्ण व्यक्तित्व को सरल सुमधुर और सरस बनाने वाले हैं मेरे पिता। मेरा मन मुस्कुराता है जब मुख पर मंद मंद मीठी मुस्कान लाते हैं मेरे पिता, जीवन जगमग जगमग जगमगाने लगता है जब पास रहते हैं मेरे, मेरे पिता। हर दु:ख हर दुविधा हर मुश्किल में हर पल हमारा हाथ थामें रहते हैं मेरे पिता, सब कुछ सामान्य दिखाकर स्वयं संकट सहते रहते हैं सदा, ऐसे हैं मेरे पिता। स्नेह की सरिता व स्नेह के सच्चे धागों से परिवार सजाकर रखते हैं मेरे पिता, अपनी खट्टी मीठी बातों से ही बारिश की बूंदों सा प्रेम बरसाते हैं मेरे पिता। निष्कपट, निश्चल, नि:स्वार्थ भाव से अपने सारे ही फर्ज निभाते हैं मेरे पिता, सागर सी गहराई समाहित सानिध्य से जीवन सफल बनाने वाले हैं मेरे पिता। रचना क्रमांक -3 अनुप्रास अलंकार पिता - 15/10/2022 #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_3
रचना क्रमांक -3 अनुप्रास अलंकार पिता - 15/10/2022 #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_3
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