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Divyanshu Pathak

कोराकाग़ज़ मानव जीवन से जुड़ा हुआ एक ऐसा उपागम है,जो कालक्रम की हर एक गतिविधि का साक्षी बनता है। श्रष्टि के आरंभ में श्रुतियों का लिपिबद्ध होकर वेदों के ज्ञान और विज्ञान से दुनिया को आलोकित करने का कार्य इसी से संभव हुआ। जीवन के शुरुआती दौर में अ से ज्ञ तक का सफ़र, भाषा और भावनाओं की लिखित अभिव्यक्ति, विचारों का फ़लक, कोराकाग़ज़ ही रहा। वक़्त बदला तो उसके साथ हर एक चीज में बदलाव आए।तकनीकी विकास ने यह सब एक नए रूप में हमारे सामने प्रस्तुत किया। यौरकोट ने शब्दों को ज़मीन दी तो लेखन खेती करने वाले लोग अपने

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नव निर्माण और उन्नति का माध्यम ( कोराकाग़ज़ )
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स्वामी दयानंद सरस्वती विरजानन्द जी के आश्रम में पहुंचे और उनसे अपना शिष्य बनाने की विनती की तब विरजानन्द जी ने उनसे पूछा कि बेटा तुम क्या जानते हो आज तक कुछ पढा है क्या? तब स्वामी जी ने कहा कि मैंने बहुत सी पुस्तकों को पढ़ा है। यह सुनकर विरजानन्द जी बोले, ठीक है किताबें पढ़ीं हैं तो पर मैं तुम्हें अपना शिष्य नहीं बना सकता इसलिए तुम जा सकते हो। जब स्वामी दयानंद जी ने ये बात सुनी तो उनकी आँखों से आँसू निकलने लगे वे विनीत भाव में बोले गुरुजी मैं क्या करूँ जो आप का शिष्य हो सकूँ।तब विरजानन्द जी ने कहा कि अब तक जो कुछ भी तुमने अपने मन के काग़ज़ पे अंकित किया है उसे मिटा दे और इन किताबों की गठरी को यमुना जी में बहा दे तब मैं तुम्हें अपना शिष्य बनाऊँगा, तेरे मन में कुछ लिख पाऊँगा। कुछ स्पष्ट सुंदर और स्थाई लिखने के लिए "कोराकाग़ज़" होना बहुत जरूरी है।
( कैप्शन देखें ) कोराकाग़ज़ मानव जीवन से जुड़ा हुआ एक ऐसा उपागम है,जो कालक्रम की हर एक गतिविधि का साक्षी बनता है। श्रष्टि के आरंभ में श्रुतियों का लिपिबद्ध होकर वेदों के ज्ञान और विज्ञान से दुनिया को आलोकित करने का कार्य इसी से संभव हुआ। जीवन के शुरुआती दौर में अ से ज्ञ तक का सफ़र, भाषा और भावनाओं की लिखित अभिव्यक्ति, विचारों का फ़लक, कोराकाग़ज़ ही रहा। वक़्त बदला तो उसके साथ हर एक चीज में बदलाव आए।तकनीकी विकास ने यह सब एक नए रूप में हमारे सामने प्रस्तुत किया।

यौरकोट ने शब्दों को ज़मीन दी तो लेखन खेती करने वाले लोग अपने

Divyanshu Pathak

स्त्री के बारे में
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मुझे नहीं मालूम कि
दुनिया उसे कैसे देखती है
मेरा अपना निजी मत है कि
स्त्री और पुरूष महज़ देह तो नहीं
पुरुष प्राण है तो स्त्री प्राण का पोषण
वह धात्री है ,धरती है, अग्नि है, शक्ति है
क्योंकि जब भी आप उसको कुछ देते हैं तो
वह देने वाले को कई गुना करके बापस लौटाती है
प्रेम देकर देखो तो अपना सर्वस्व प्रेमी के नाम करदे
क्रोध और तिरस्कार किया तो वह समूल नाश भी करदे
देने का यह भाव ही उसे देवी के रूप में प्रतिष्ठित करता है
सभ्यताओं के विलोपन,संस्कृतियों के संक्रमण ने बदला उसे
वो केवल देह बनकर रह गई देह के इर्द गिर्द घूमती उसकी दुनिया
इतिहास के अनुसार जब जब स्त्री को महज़ देह माना गया तब तब
वह शोषण का शिकार हुई और अबला बनकर रह गई स्त्री के स्वरूप 
पुनः बापस लाने के लिए जब वह स्वयं संघर्ष करने पे आती है तब-तब
दुनिया में बड़े बदलाव का कारण बनी आधुनिक नारी में झलक दिखती है। #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkhbd2022 #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_4 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #पाठकपुराण

Divyanshu Pathak

पिता ------------- सुनो! पिता को मैं नहीं समेंट सकता अपनी तुकबंदियों में , ना ही समेंट सकता हूँ कभी किसी गीत या छंद में कोई आकाश को समेंट पाता है क्या! कोई अवकाश को लपेट पता है क्या! पिता नई पीढ़ी के लिए आकाश है

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पिता
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सुनो! पिता को मैं नहीं समेंट सकता
अपनी तुकबंदियों में , ना ही समेंट
सकता हूँ कभी किसी गीत या छंद में
कोई आकाश को समेंट पाता है क्या!
कोई अवकाश को लपेट पता है क्या!
पिता नई पीढ़ी के लिए आकाश है
पिता नई पीढ़ी के लिए अवकाश है

कौन क्या समझा, मैंने क्या समझाया
सब ने समझा अपने अपने हिसाब से
सब ने नवाजा अपने अपने खिताब से
मैंने इतना समझा पिता रब की छाया है
स्वप्नों की रात है और पिता ही प्रकाश है। पिता
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सुनो! पिता को मैं नहीं समेंट सकता
अपनी तुकबंदियों में , ना ही समेंट
सकता हूँ कभी किसी गीत या छंद में
कोई आकाश को समेंट पाता है क्या!
कोई अवकाश को लपेट पता है क्या!
पिता नई पीढ़ी के लिए आकाश है

Divyanshu Pathak

🇨🇮 शम्मा महफ़िल में जलती रहेगी तो सिर पतंगे उठाते रहेंगे। इश्क़ जिनको है अपने वतन से वो यूँ ही सिर कटाते रहेंगे। पहरेदारी में तत्पर खड़े हैं पहरुए बन संवर कर दीवाने। मातृभूमि की सेवा में अक़्सर भामाशाह फिर से आते रहेंगे। आँच आए जो मेरे वतन पे आग बन जाएगी तब जवानी।

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शम्मा महफ़िल में जलती रहेगी तो सिर पतंगे उठाते रहेंगे।
इश्क़ जिनको है अपने वतन से वो यूँ ही सिर कटाते रहेंगे।

पहरेदारी में तत्पर खड़े हैं  पहरुए बन  संवर  कर दीवाने।
मातृभूमि की सेवा में अक़्सर भामाशाह फिर से आते रहेंगे।

आँच आए जो मेरे वतन पे आग बन जाएगी तब जवानी।
राणा लड़ते मिलेंगे  समर में  शस्त्रु मुह की ही खाते रहेंगे।

ना झुकेगा कभी सिर हमारा ना लजायेंगे माता की ममता
हम भगतसिंह की छाया बनेंगे  ओर  ऊधम  बनाते  रहेंगे।

बनके डायर कभी कोई आए ऐसा दुस्साह ना हम सहेंगे।
छलनी कर देंगे उसी वक़्त सीना दुश्मनों को मिटाते रहेंगे।

अब लड़ाई तो बाकी है खुद से घर के घर में लुटेरे हुए हैं।
बाक़ी उम्मीद हमको है पंछी'  घोंसला  भी  बचाते  रहेंगे। 🇨🇮
शम्मा महफ़िल में जलती रहेगी तो सिर पतंगे उठाते रहेंगे।
इश्क़ जिनको है अपने वतन से वो यूँ ही सिर कटाते रहेंगे।

पहरेदारी में तत्पर खड़े हैं  पहरुए बन  संवर  कर दीवाने।
मातृभूमि की सेवा में अक़्सर भामाशाह फिर से आते रहेंगे।

आँच आए जो मेरे वतन पे आग बन जाएगी तब जवानी।

Tarot Card Reader Neha Mathur

कोरा काग़ज़ जन्मदिन महाप्रतियोगिता 2022 अंतिम चरण :-निबंध लेखन शीर्षक:-कोरा काग़ज़ की विशेषताएँ उपशीर्षक:-काग़ज़ परिवार एक अभूतपूर्व मंच प्रस्तावना:- कोरी से सोच को जो शब्दों से एहसास दे

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 कोरा काग़ज़ जन्मदिन महाप्रतियोगिता 2022
अंतिम चरण :- निबंध लेखन
शीर्षक:- कोराकाग़ज़ की विशेषताएँ
उपशीर्षक:-कोरा काग़ज़ परिवार एक अभूतपूर्व मंच

प्रस्तावना:- 

कोरी से सोच को जो शब्दों से एहसास दे
कोई खुशी लिखे तो कोई ग़म बयां कर दे,

नए लफ़ज़ों को देकर कवि की सोच को पंख दे
प्यार के दो मिसरों में नित नई तस्वीर उभरे,

ग़ज़ल कविता से कोरा काग़ज़ परिवार का रूप सजे
हंसी फुहारों से भी परिवार का हर रूप हंसे और खिले,

स्वागत खुली बाहों से सबका करता यही हैं विशेषताएँ
माँ सरस्वती का सदा आशीष बरसे दूं यही जन्मदिन की शुभकामनाएँ।

शेष कैप्शन/अनुशीर्षक में पढ़ें।🙏🙏 कोरा काग़ज़ जन्मदिन महाप्रतियोगिता 2022
अंतिम चरण :-निबंध लेखन
शीर्षक:-कोरा काग़ज़ की विशेषताएँ
उपशीर्षक:-काग़ज़ परिवार एक अभूतपूर्व मंच

प्रस्तावना:- 

कोरी से सोच को जो शब्दों से एहसास दे

Tarot Card Reader Neha Mathur

कोरा काग़ज़ जन्मदिन महाप्रतियोगिता चौथा चरण:- त्रिभुजाकार कविता शीर्षक:-स्त्री #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_4 #KKHBD2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ Pic credit:- google images

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                              स्त्री 
                              तू है 
                            जननी
                          शिव-शक्ति
                       ऋषि मुनि वंदित
                     शीतलता विनय पूर्ण
                   भक्ति में सेवाभाव विभोर
                  प्रेम प्रीत का अमरत्व वचन
                गृह की ज्योति लक्ष्मी स्वरूपा 
               रुप हठी सावित्री पतिव्रता मूरत
             सरस्वती रूपा विद्या ज्ञान-धन पूर्णा
          वैभव ऐश्वर्य दिव्यता अर्धांगिनी अन्नपूर्णा 
       शत शत नमन तेरा हर रूप तू शक्ति स्वरूपा कोरा काग़ज़ जन्मदिन महाप्रतियोगिता चौथा चरण:- त्रिभुजाकार कविता 
शीर्षक:-स्त्री

#जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_4 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़
       
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Tarot Card Reader Neha Mathur

कोरा काग़ज़ महाप्रतियोगिता तीसरा चरण:- अनुप्रास अलंकार कविता शीर्षक:- पिता #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_3 #KKHBD2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ Pic credit:- google images

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                      शीर्षक:-पिता

बेटी को अनमोल अनुपम अतुलनीय उपहार देते हैं पिता
पूंजी पूरी जीवन की बिटिया के प्यार में वार देते हैं पिता,

पालन पोषण परिवार जनों का संघर्ष कर करते हैं पिता
अपरिमित अनुराग संतानों को जीवन भर करते हैं पिता,

नैतिकता नीति जीवन के आधार यही पढ़ाते हैं पिता
अनुशासन अभिन्न अंग जीवन का सही सिखाते हैं पिता,

विकट विषम परिस्थितियों से जीवन भर बचाते हैं पिता
नवजीवन नवदृष्टि से अंधेरे में दिपक सा दिखाते हैं पिता,

मान मर्यादा प्रतिष्ठा संस्कार धरोहर यही बताते हैं पिता
शक्ति शालिनता को संजो संतान हिय में बसाते हैं पिता, 

प्रगति पथ पर मार्गदर्शन कर उन्नति शिखर पर पहुंचाते हैं पिता
ज्ञान ज्योत संतानों में जलाकर जीवन ज्योतिर्मय कर जाते हैं पिता। कोरा काग़ज़ महाप्रतियोगिता तीसरा चरण:- अनुप्रास अलंकार कविता
शीर्षक:- पिता

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Tarot Card Reader Neha Mathur

                देशभक्ति:-ग़ज़ल 
        1222/1222/1222/1222

अमन की सारी दुनिया में अमिट पहचान भारत है 
ये धरती वीर गाथा की,दिलों की शान भारत है, 

शहादत देते सैनिक,देश की सरहद बचाते वो
तिरंगा ऊँचा दुनिया में, विजय ये गान भारत है, 

अलग हैं धर्म,भाषा अलग है भेष लोगों का
वतन ये तीन रंगों में है एक अभिमान भारत है, 

हिमालय और सागर तक है पावन रूप भारत माँ
ज़मीं के रंग ज़र्रे में है बसता मान भारत है,

वतन के वास्ते क्या तू,मर मिट सकती नेहा
मेरी है आबरू पहचान,मेरी ये जान भारत है। कोरा काग़ज़ :- दूसरा चरण 
ग़ज़ल:- देशभक्ति

#जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_2 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ 

Pic credit:- google images

DR. SANJU TRIPATHI

रचना क्रमांक -5 18/10/2022 निबन्ध लेखन "कोरा काग़ज़ की विशेषताएं " भावों की अभिव्यक्ति का जरिया है कोरा कागज, लेखक को लेखन में पारंगत बनाता है कोरा कागज।

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निबन्ध- "कोरा काग़ज़ की विशेषताएं "

भावों की अभिव्यक्ति का जरिया है कोरा कागज,
लेखक को लेखन में पारंगत बनाता है कोरा कागज।

👇👇शेष निबन्ध कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇 रचना क्रमांक -5
18/10/2022
निबन्ध लेखन
 "कोरा काग़ज़ की विशेषताएं "

भावों की अभिव्यक्ति का जरिया है कोरा कागज,
लेखक को लेखन में पारंगत बनाता है कोरा कागज।

DR. SANJU TRIPATHI

त्रिभुजाकार कविता 

स्त्री

मैं
स्ञी हूं
तो क्या हुआ?
इस समस्त ब्रह्माण्ड की
रचयिता, सृष्टिकर्ता मैं ही तो हूं।
मेरे अस्तित्व से जुड़ा सबका अस्तित्व है,
मैं ही तो वंश की बेल को आगे बढ़ाने वाली हूं।
स्ञी हूं मैं तो क्या हुआ? मैं ही तो हर घर के आंगन में
उजियारा भरती हूं। बेटी, मां, बहन और पत्नी के हर रूप में मैं हूं।
मैं अपने सारे ही फर्ज निभाती हूं। स्ञी हूं मैं तो क्या हुआ ? परिवार का
स्वाभिमान और दो कुलों की मान मर्यादा हूं। पुरूषों से कम नहीं मैं स्वयं में ही 
 सर्वशक्तिशाली व अस्तित्व बनाने वाली हूं। स्त्री हूं मैं तो क्या हुआ? मैं भी धरती से
अंबर
    तक परचम लहरा सकती हूं खेत व खेल के मैदानों से सरहद व हिमालय तक नाम कर सकती हूं।

 रचना क्रमांक -4
स्त्री -16/10/2022
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