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Aditya Meena

#नजर_की_वासना वासना है तुम्हारी नजर ही में तो मैं क्या क्या ढकूं, तू ही बता क्या करूं के चैन की जिंदगी जी सकूं।। साडी पहनती हूं तो तुझे मेरी कमर दिखती है चलती हूं तो मेरी लचक पर अंगुली उठती है।। #YourQuoteAndMine

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जिस दिन नज़रो से वासना चली जायेगी।

सारे जहां की स्त्री अपने आप ही
सुरक्षित हो जाएगी। #नजर_की_वासना

वासना है तुम्हारी नजर ही में तो मैं क्या क्या ढकूं,
तू ही बता क्या करूं के चैन की जिंदगी जी सकूं।।

साडी पहनती हूं तो तुझे मेरी कमर दिखती है
चलती हूं तो मेरी लचक पर अंगुली उठती है।।

मरजानो_मनोजियो (The GamePlanner)

#वासना #नारी Ankita Tantuway Bh@Wn@ Sh@Rm@ Riya Soni Dayal "दीप, Goswami.. priya S Dishant self #कविता #नजर_की_वासना

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#नजर_की_वासना

वासना है तुम्हारी नजर ही में तो मैं क्या क्या ढकूं,
तू ही बता क्या करूं के चैन की जिंदगी जी सकूं।।

साडी पहनती हूं तो तुझे मेरी कमर दिखती है
चलती हूं तो मेरी लचक पर अंगुली उठती है।।

दुप्पटे को क्या शरीर पर नाप के लगाउ मै।
कैसे अपने शरीर की संरचना को तुमसे छुपाउ मैं ।।

पीठ दिख जाए तो वो भी काम निशानी है।
क्या क्या छुपाउ तुमसे 
तुम्हारी तो मेरे हर अंग को देख के बहकती जवानी है।।

घाघरा चोली पहनू तो  स्तनो पर तुम्हारी नजर टिकती है,
पीछे से मेरे नितंम्बो पर तेरी आंखे सटती है ।।

केश खोल के रखू तो वो भी बेहयाई है।
क्या करे तू भी तेरी निगाहों  मे समायी काम परछाई है।।

हाथो को कगंन से ढक लूं चेहरे पर घुंघट का परदा रखलूं
किसी की जागिर हूं दिखाने के लिए अपनी मांग भरलूं।।

पर तुम्हे क्या परवाह मैं 
किसकी  बेटी किसकी पत्नी किसकी बहन हूं।
तुम्हारे लिए तो बस 
तुम्हारी वासना को मिलने वाला चयन हूं।।

सिर से पांव के नख तक को छुपालूंगी 
तो भी कुछ नहीं बदलेगा,
तेरी वासना का भूजंग तो नया बहाना 
बनकर के हमें डस लेगा।।
    सोच बदलो समाज बदलेगा।

©#मरजानो_मनोजियो (The GamePlanner) #वासना #नारी #Nojoto 

 Ankita Tantuway Bh@Wn@ Sh@Rm@  Riya Soni Dayal "दीप, Goswami.. priya S  Dishant self

पूर्वार्थ

नजर_की_वासना

वासना है तुम्हारी नजर ही में तो मैं क्या क्या ढकूं,
तू ही बता क्या करूं के चैन की जिंदगी जी सकूं।।

साडी पहनती हूं तो तुझे मेरी कमर दिखती है
चलती हूं तो मेरी लचक पर अंगुली उठती है।।

दुप्पटे को क्या शरीर पर नाप के लगाउ मै।
कैसे अपने शरीर की संरचना को तुमसे छुपाउ मैं ।।

पीठ दिख जाए तो वो भी काम निशानी है।
क्या क्या छुपाउ तुमसे 
तुम्हारी तो मेरे हर अंग को देख के बहकती जवानी है।

केश खोल के रखू तो वो भी बेहयाई है।
क्या करे तू भी तेरी निगाहों  मे समायी काम परछाई है।।

हाथो को कगंन से ढक लूं चेहरे पर घुंघट का परदा रखलूं
किसी की जागिर हूं दिखाने के लिए अपनी मांग भरलूं।।

पर तुम्हे क्या परवाह मैं 
किसकी  बेटी किसकी पत्नी किसकी बहन हूं।
तुम्हारे लिए तो बस 
तुम्हारी वासना को मिलने वाला चयन हूं।।

सिर से पांव के नख तक को छुपालूंगी 
तो भी कुछ नहीं बदलेगा,
तेरी वासना का भूजंग तो नया बहाना 
बनकर के हमें डस लेगा।।

©purvarth #नजर_की_वासना

Neeraj Mishra

#नजर_की_वासना

वासना है तुम्हारी नजर ही में तो मैं क्या क्या ढकूं,
तू ही बता क्या करूं के चैन की जिंदगी जी सकूं।।

साडी पहनती हूं तो तुझे मेरी कमर दिखती है
चलती हूं तो मेरी लचक पर अंगुली उठती है।।

दुप्पटे को क्या शरीर पर नाप के लगाउ मै।
कैसे अपने शरीर की संरचना को तुमसे छुपाउ मैं ।।

पीठ दिख जाए तो वो भी काम निशानी है।
क्या क्या छुपाउ तुमसे 
तुम्हारी तो मेरे हर अंग को देख के बहकती जवानी है।।

घाघरा चोली पहनू तो  स्तनो पर तुम्हारी नजर टिकती है,
पीछे से मेरे नितंम्बो पर तेरी आंखे सटती है ।।

केश खोल के रखू तो वो भी बेहयाई है।
क्या करे तू भी तेरी निगाहों  मे समायी काम परछाई है।।

हाथो को कगंन से ढक लूं चेहरे पर घुंघट का परदा रखलूं
किसी की जागिर हूं दिखाने के लिए अपनी मांग भरलूं।।

पर तुम्हे क्या परवाह मैं 
किसकी  बेटी किसकी पत्नी किसकी बहन हूं।
तुम्हारे लिए तो बस 
तुम्हारी वासना को मिलने वाला चयन हूं।।

सिर से पांव के नख तक को छुपालूंगी 
तो भी कुछ नहीं बदलेगा,
तेरी वासना का भूजंग तो नया बहाना 
बनकर के हमें डस लेगा।।

    सोच बदलो समाज बदलेगा।

©Neeraj Mishra #नजरिया #Women #poem #Poet 

#adishakti

Ashish 9917374450

#नजर_की_वासना.... .......#हर_युवती_का_दर्द

वासना है तुम्हारी नजर ही में तो मैं क्या क्या ढकूं,
तू ही बता क्या करूं के चैन की जिंदगी जी सकूं।।

साडी पहनती हूं तो तुझे मेरी कमर दिखती है,
चलती हूं तो मेरी लचक पर अंगुली उठती है।।

दुप्पटे को क्या शरीर पर नाप के लगाउ,
समझ नहीं आता कैसे अपने शरीर की संरचना को तुमसे छुपाउ।।

पीठ दिख जाए तो वो भी काम निशानी है,
क्या क्या छुपाउ तुमसे तुम्हारी तो मेरे हर अंग को देख के बहकती जवानी है।।

घाघरा चोली पहनू तो  स्तनो पर तुम्हारी नजर टिकती है,
पीछे से मेरे नितंवो पर तेरी आंखे सटती है ।।

केश खोल के रखू तो वो भी बेहयाई है,
क्या करे तू भी तेरी निगाहों  मे समायी काम परछाई है।।

हाथो को कगंन से ढक लूं चेहरे पर घुंघट का परदा रखलूं,
किसी की जागिर हूं दिखाने के लिए अपनी मांग भरलूं।।

पर तुम्हे क्या परवाह मैं किसकि बेटी किसकी पत्नी किसकी बहन हूं,
तुम्हारे लिए तो बस तुम्हारी वासना को मिलने वाला चैन हूं।।

सिर से पांव के नख तक को छुपालूंगी तो भी कुछ नहीं बदलेगा,
    तेरी वासना का भूजंग तो नया बहाना कर के हमें डस लेगा।।


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