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Insprational Qoute
कल देखा था इन आँखो ने एक सपना, ख्वाबों की नगरी में हो एक घर अपना, गर रूठ जाए जो हम,फिर मुझे मनाना, घनघोर घटा बन मुझ पर बरस जाना, चाहत में तेरी मुझें हैं सिमट जाना, छत्रछाया तेरी मुझें हैं बन जाना, जान मुझें तुझ पर हैं लुटाना, झांक तेरे दिल मे गहराई में उतर जाना, #rzकाव्योगिता #rzकाव्योगिता1 #rzhindi #yqrestzone #dil#लव#love
Hansika Bansal
क्यों ना आज खुद से, कुछ बातें की जाए। खोए हुए लम्हों को फिर से जीकर देखा जाए। गुरुर को चूर कर आगे बढ़ा जाए। घर की दहलीज को पार किया जाए। परेशान जिंदगी को हौसला दिया जाए। फासले दूर कर साथ में चला जाए। बेड़ियाँ तोड़कर हाथ बढ़ाया जाए ।
Divyanshu Pathak
य - ये मोहब्बत की ख़ुमारी के नशे में, र - रह गए बनकर शराबी बस झूमते हैं। ल - लग गई नज़रो से नज़रें एक पल तो, व - वह घूमते रहते हैं अब उनकी गली में। च - चहल-क़दमी मयकदे तक हो रही है। छ - छलकते हैं जाम और हैरान साक़ी! ज - जल रही है ज़िंद पर है जान बाक़ी। झ - झड गए पत्ते कि पतझड़ हो रही है। #पाठकपुराण की ओर से शुभरात्रि साथियो। मैंने बस प्रयास कर देखा है। आपको शब्दों का क्रम ठीक लगा हो तो मुझे बतायें स्वागत है। #rzकाव्योगिता1 #rzकाव्योगिता #rzhindi #yqrestzone
richa verma
नव वधू कस्तूरी वन की हो तुम, खुशबू हर पल बिखराती, गुड़ की डली सी मीठी तुम, घूंघट में जब मुस्काती। चांदी की पायल हो तुम, छम छम का गीत सुनाती, जीवन का अमृत हो तुम, झिलमिल चांदनी बरसाती। नववधू ❤❤ #rzकाव्योगिता1 #rzकाव्योगिता #rzhindi #restzone #yqdidi
amar gupta
अकाल ही मुरझा रही, आगोश में समा रही, इरादतन ये भू मुझे ईमान बेचने को ही, मृत्यु से अब है जोड़ता यथार्थ माना है यही! रही नहीं मै पुष्प वो, ललाट का गुगुर जो, वनसंपती के माथे पर शोभप्रद हो झूमता, सराहनीय सौंदर्य से हवा का मस्तक चूमता! अब ढ़ल रही हैं उम्र ये, आघात अब है हो रही, इनायत और गुरूर भी ईरित हो कर मर रही। अकाल ही मुरझा रही, आगोश में समा रही, इरादतन ये भू मुझे ईमान बेचने को ही, मृत्यु से अब है जोड़ता यथार्थ माना है यही! रही नहीं मै पुष्प वो,
Shruti Gupta
अकाल ही मुरझा रही, आगोश में समा रही, इरादतन ये भू मुझे ईमान बेचने को ही, मृत्यु से अब है जोड़ता यथार्थ माना है यही! रही नहीं मै पुष्प वो, ललाट का गुगुर जो, वनसंपती के माथे पर शोभप्रद हो झूमता, सराहनीय सौंदर्य से हवा का मस्तक चूमता! अब ढ़ल रही हैं उम्र ये, आघात अब है हो रही, इनायत और गुरूर भी ईरित हो कर मर रही। अकाल ही मुरझा रही, आगोश में समा रही, इरादतन ये भू मुझे ईमान बेचने को ही, मृत्यु से अब है जोड़ता यथार्थ माना है यही! रही नहीं मै पुष्प वो,
Sangeeta Patidar
REST ZONE - 'काव्योगिता' तुम्हें होगी नहीं ख़बर, मगर मेरा दिल हर बात जानता है, थे, हो, रहोगे तुम ही मेरे क़रीब,ये एहसास पहचानता है। दूरियों की कर के बातें, मुझे आज़माया ना करो तुम भी, धड़कन में बसते हो तुम ही, दिल तुम्हें अपना मानता है। चलो या ना चलो साथ मेरे, इसमें तुम्हारे दिल की मर्ज़ी, छोड़कर जायेगा ना कभी, ये करेगा वही जो ठानता है। ज़रूरत नहीं, ज़रूरी भी ना सही, होगा कुछ तो वास्ता, झुकेगा तुम्हारे ही आगे, ये तुम्हारे ख़याल ही सानता है। तुम्हें होगी नहीं ख़बर, मगर मेरा दिल हर बात जानता है, थे, हो, रहोगे तुम ही मेरे क़रीब,ये एहसास पहचानता है। दूरियों की कर के बातें, मुझे आज़माया ना करो तुम भी, धड़कन में बसते हो तुम ही, दिल तुम्हें अपना मानता है। चलो या ना चलो साथ मेरे, इसमें तुम्हारे दिल की मर्ज़ी, छोड़कर जायेगा ना कभी, ये करेगा वही जो ठानता है। ज़रूरत नहीं, ज़रूरी भी ना सही, होगा कुछ तो वास्ता,
Anamika Nautiyal
कुछ अधूरे सपनों का बोझ उठाए जा रही हूँ, ख़ामोश हूँ पर हज़ारों कहानियाँ कहे जा रही हूँ। गुमनाम से किसी डरावने साए की तरह, घनघोर बियाबान में धीरे-धीरे सिमटे जा रही हूँ। तमाशबीन और दर्शक है लोग यहाँ के, थोड़ा सा मैं भी तमाशा किए जा रही हूँ । दाम लगता है आँसुओं का इस जहाँ में, धूल से बनी "अनाम" अब धूल होती जा रही हूँ। नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के पहले चरण के लिए?! हमारा पहला पड़ाव एक अनुक्रमिक कविता है। इस कविता का प्रारूप (format ) कुछ इस प्रकार रहेगा:
ujjwal pratap singh
क्या पता हम कहाँ जाए खामोश रहकर इधर उधर जाए गम,तन्हाई और बैचैनी सब एक मन का वहम है घर,परिवार और उनका प्यार जीवन का नाम है चलना, दौड़ना,गिरना और उठना सब सीख है धोखा,चोरी,झूठ और अपसब्द सब चीख है उधार,कर्ज़,माफी और बेरोज़गारी सब भीख है नाम,सोहरत,कमाई और मुनाफा सब लाख है।। नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के पहले चरण के लिए?! हमारा पहला पड़ाव एक अनुक्रमिक कविता है। इस कविता का प्रारूप (format ) कुछ इस प्रकार रहेगा:
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