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Anamika Nautiyal

बणों का फूलो मां ऐ ग्ये फूलार सज्यां होला खोला-घर-द्वार बाला-ज्वान सभी हैंसणा होला मुख पर आयूँ होलू उलार जंगलों के फूलों में पुष्पन आ गया है घर मोहल्ले दहलीज सभी सजी हुई बच्चे और जवान सभी प्रसन्न हैं #बचपनकीयादें #गढवालीगर्ल #फूलदेई #उत्तराखंडीसंस्कृति #pc_byअनाम #बुराँश #फ्योंली #फूल_संक्राति

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        बणों का फूलो मां ऐ ग्ये फूलार
सज्यां होला  खोला-घर-द्वार
बाला-ज्वान सभी हैंसणा होला
मुख पर आयूँ होलू उलार

जंगलों के फूलों में पुष्पन आ गया है
घर मोहल्ले दहलीज सभी सजी हुई
बच्चे और जवान सभी प्रसन्न हैं

Anamika Nautiyal

पहाड़ हर ध्वनि की प्रतिध्वनि देते हैं उस आवाज में गूँज होती है जो हमारी आवाज़ में अपना हिस्सा मिलाकर हमें वापस सौंप देती है। मैनें कई बार पहाडों के कानों में जाकर अपनी व्यथा कही है #Friendship #birthdaywishes #happywalabirthday #testimonial #pc_byअनाम #dadi_ammma❤

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एक सुखद संगीत जो आत्मा को सुकून देता है... 
पहाड़ हर ध्वनि की प्रतिध्वनि देते हैं
उस आवाज में गूँज होती है
जो हमारी आवाज़ में 
अपना हिस्सा मिलाकर हमें वापस सौंप देती है।

मैनें कई बार पहाडों के कानों में जाकर 
अपनी व्यथा कही है

Anamika Nautiyal

प्रकृति की माया से जंगलों की छोटी-छोटी झाड़ियों, झुरमुटों में अनायास ही खिल आते हैं नन्हे से जंगली फूल। प्रकृति केवल इन्हें जन्म देती है अपने जीवन का की यात्रा ये स्वयं तय करते हैं। #अनाम_ख़्याल #pc_byअनाम #जंगली_फूल

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जंगली फूल...  प्रकृति की माया से
जंगलों की छोटी-छोटी झाड़ियों,
झुरमुटों में अनायास ही 
खिल आते हैं नन्हे से जंगली फूल।

प्रकृति केवल इन्हें जन्म देती है 
अपने जीवन का  की यात्रा 
ये स्वयं तय करते हैं।

Anamika Nautiyal

कितनों का बोझ लिए है यह रविवार भी अपना सा है अधूरी कहानियां अधूरी कविताएं सब रविवार को ही ताकती रहती हैं और तुमसे मिलने की ख्वाहिश उसका भी तो रविवार ही दिन है बुक्शेल्फ की दराजों से आती खुशबू मुझे अपनी और आकर्षित करती रहती है और मैं उस खुशबू को भी रविवार को ही आने को कहती हूँ कुर्सी पर पड़े कपड़ों के ढेर मेज के नीचे से झाँकती धूल रविवार का इंतज़ार कर रही है और गमले के फूल वह भी इस आस में खिले हुए हैं कि उन पर नेह वर्षा अवश्य होगी वह मेरी प्रतीक्षा कर कर के कुम्हला गए हैं बस अब जीवन के अंति #अनाम_ख़्याल #pc_byअनाम #रविवार_के_नाम

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हमारी बचकानी ख्वाहिशों के बोझ तले आकर 
हर बार रविवार मर जाता है  कितनों का बोझ लिए है
यह रविवार भी अपना सा है 



अधूरी कहानियां अधूरी कविताएं सब रविवार को ही ताकती रहती हैं और तुमसे मिलने की ख्वाहिश उसका भी तो रविवार ही दिन है बुक्शेल्फ की दराजों से आती खुशबू मुझे अपनी और आकर्षित करती रहती है और मैं उस खुशबू को  भी रविवार को ही आने को कहती हूँ कुर्सी पर पड़े कपड़ों के ढेर मेज के नीचे से झाँकती धूल रविवार का इंतज़ार कर रही है और गमले के फूल वह भी इस आस में खिले हुए हैं कि उन पर नेह वर्षा अवश्य होगी वह मेरी प्रतीक्षा कर कर के कुम्हला  गए हैं बस अब जीवन के अंति

Anamika Nautiyal

प्रिय,
     फरवरी जा रही है..पर यह मौसम बना रहेगा कितना सुखद मौसम है ना ज्यादा सर्दी है और ना ही गर्मी की चुभन,एक मखमली सा एहसास है..मैं यह पत्र तुम्हें तब लिख रही हूँ जब यहाँ कौवे की आवाज है, सफ़ेद रंग के पंछी खेतों में विचर रहे हैं बिजली के खंबे पर लगी तार में गौरैया और उसके छोटे-छोटे बच्चे अपनी भाषा में बात कर रहे हैंं। और सरसों अब फूल से बीजों की तरफ बढ़ चुकी है,छत की बाउंड्री पर टंगे छोटे-छोटे हैंगिंग गमलों में लाल,गुलाबी,सफेद और नीले रंग के फूल मुझे तुम्हारा ही चेहरा याद दिलाते हैं।नहा कर धूप के आँचल में बैठी हूँ उड़ने की कोशिश करते बालों में अभी भी पानी की बूंदें टपक रही हैं और और बहते हुए से तुम भी...कभी हवाओं की छुअन से मेरे गालों को छू जाते हो कभी रेशमी किरणों से रोम रोम को सुकून पहुँचाते हो...बहुत हल्का सा आभास हो रहा है आज जैसे बहुत दिनों से कुछ कहना हो और वह कह दिया गया हो;यह शायद तुम्हें पत्र लिखे जाने से मिले असीम आनंद की अनुभूति है।
प्रेम में पड़ा हुआ आदमी हद से ज्यादा बेवकूफ़ होता है
 यह जानने के बावजूद कि उस लोक के डाकिए अभी तक नहीं बने चिट्ठियाँ लिखवाता रहता है... 
प्रिय प्रेम का विज्ञान तर्कों से परे है!

                                                                         तुम्हारी 
                                                                      अनाम #scienceday 
#प्रेम_का_विज्ञान 
#बेवकूफ़ियत
#pc_byअनाम 
#lettersforप्रिय

Anamika Nautiyal

अंतर्द्वंद्व
थोड़ी कल्पना थोड़ी हक़ीक़त
 (मरे लोग) 
#अनाम_ख़्याल
#अनाम_अंतर्द्वंद्व
#अंतर्द्वंद५
#pc_byअनाम
#मरे_लोग
#negativethinking

Anamika Nautiyal

मेरी दादी कभी स्कूल नहीं गई, पर फिर भी उन्हें तारीख महीने मौसमों का हिसाब अच्छे से रहता वह घर के आसपास के पहाड़ों को बहुत अच्छी तरीके से जानती हैं ।सूर्यास्त और सूर्योदय की दिशा देखकर वह बताती हैं कि कौन सा मौसम है। दिन बड़े हो गए या छोटे कौन से मौसम में सूरज ढ़लकर पहाड़ी के कितने गहरे जाता है... पहाड़ और पहाड़ के जीवन से संबंधित बातों का खजाना है वह... वह मुझे अक्सर घर के सामने दिखने वाले पहाड़ों के बारे में बताया करती हैं मैं बचपन में यह सोचा करती थी कि इस पहाड़ के पीछे आख़िर है क्या क्या मैं #चमोली #pc_byअनाम #उत्तराखंडत्रासदी

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अप्रत्याशित... मेरी दादी कभी स्कूल नहीं गई, पर फिर भी उन्हें तारीख महीने मौसमों का हिसाब अच्छे से रहता वह घर के आसपास के पहाड़ों को बहुत अच्छी तरीके से जानती हैं ।सूर्यास्त और सूर्योदय की दिशा देखकर वह बताती हैं कि कौन सा मौसम है। दिन बड़े हो गए या छोटे कौन से मौसम में सूरज ढ़लकर पहाड़ी के कितने गहरे जाता है... पहाड़ और पहाड़ के जीवन से संबंधित बातों का खजाना है वह... वह मुझे अक्सर घर के सामने दिखने वाले पहाड़ों के बारे में बताया करती हैं मैं बचपन में यह सोचा करती थी कि इस पहाड़ के पीछे आख़िर है क्या क्या मैं

Anamika Nautiyal

शौक   संभलने   के   सारे   नाकाम  हो  गए 
ज़िंदगी   तेरे   किस्से   जब  से  आम  हो गए

जलता  था   दिन  भर  ये  दिल   बेचैन  होकर
उनकी  बाहों  में आए  तो  ढलती शाम हो गए
 
खाली खाली रहते थे  हम भी दुनिया से बेखबर
जब से वह आए तो दुनिया भर के काम हो गए

भुलाकर सब कुछ उसे ही सोचते रहना हर पल
उनसे इश्क़ करके कुछ यूँ हमारे अंजाम हो गए

ऐ दुनिया  तू  चीज़  ही क्या  है  सनम के आगे
मेरे   महबूब   के   आगे   सब   तमाम  हो गए
  
छीनकर हकीमों   की  रोजी वो   मुस्कुराते  हैं
मेरे  दर्द- ए-दिल   के  वो   ही आराम  हो  गए

राहे  जब  से ज़ुदा हुई  हमारी ले  गए  मेरा नाम
और  हाँ  सुनो  तभी   से   हम  अनाम  हो  गए  #अनाम_ख़्याल  😌
 
 #pc_byअनाम

Anamika Nautiyal

सुनो, दुनिया भर के सारे फूलों मैं आज तुम्हें इसलिए याद कर रही हूँ क्योंकि तुमने मुझे मेरा होना याद दिलाया...सरसों के पीले फूल कितने पीले होते हैं यह हमें तब पता चलता है जब उनका रंग हमारे चेहरे पर जम चुका होता है...यह भागना भीतर से थका देता है और सुकून का एक पल मुझे तुम्हारे होने से ही मिलता है...कभी यह लगता है कि अगर इस दुनिया में फूल नहीं होते तो यह दुनिया कितनी नीरस होती ।एक बार को अगर कल्पना भी करूँ कि शाखों पर केवल पत्ते ही हैं काँटों को भी कोई पूछने वाला नहीं...फूल ना होते तो भँवरों का अभ #अनाम_ख़्याल #pc_byअनाम #फूलों_के_नाम

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फूलों के नाम... सुनो,
 दुनिया भर के सारे फूलों मैं आज तुम्हें इसलिए याद कर रही हूँ क्योंकि  तुमने मुझे मेरा होना याद दिलाया...सरसों के पीले फूल कितने पीले होते हैं यह हमें तब पता चलता है जब उनका रंग हमारे चेहरे पर जम चुका होता है...यह भागना भीतर से थका देता है और सुकून का एक पल मुझे तुम्हारे होने से ही मिलता है...कभी यह लगता है कि अगर इस दुनिया में फूल नहीं होते तो यह दुनिया कितनी नीरस होती ।एक बार को अगर कल्पना भी करूँ कि शाखों पर केवल पत्ते ही हैं काँटों को भी कोई पूछने वाला नहीं...फूल ना होते तो भँवरों का अभ

Anamika Nautiyal

"सुनो" "हाँ कहो ना" "तुम चुप क्यों हो" "मैं कहाँ चुप हूँ इतना कुछ तो कह रही हूँ" #अनाम_ख़्याल #pc_byअनाम #अनाम_संवाद

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संवाद...  "सुनो"

"हाँ कहो ना" 

"तुम चुप क्यों हो"

 "मैं कहाँ चुप हूँ इतना कुछ तो कह रही हूँ"
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