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Shivkumar
🦋❤️ महादेव की शादी ❤️🦋 हम फूल पलाश व गुलाब के चुन चुन के लाएंगे , हम शिव गौरा के मंडप को अरमानों से सजाएंगे । किसको बुलाएं, किसे नहीं, विपदा तो बड़ी भारी है , हम सारे ब्रह्मांड को दे के न्यौता शादी में बुलाएंगे । लोग तो बिछाते रहते हैं मेरे पलकें का इंतजार में, हम शिव गौरा की राहों में अपना दिल बिछाएंगे । उमड़ रहे हैं अनगिनत से कई भाव हमारे मन में, हम सजल नैनों को इस ज़माने से कैसे छुपाएंगे हम। अच्छा ‘सुगत’ आज तो शादी है ना महादेव की, हम आज खूब झूमेंगे, नाचेंगे, खुशियां मनाएंगे । ©Shivkumar #mahashivaratri #Maha_shivratri 🦋❤️ महादेव की शादी ❤️🦋 हम फूल #पलाश व #गुलाब के चुन चुन के लाएंगे ,
alka mishra
इंतजार में पीली पड़ गई थी टूट कर धरासाई हो रही थी फिर चली बसन्ती बयार पलव्वित होने लगा प्यार धरा पीले रंग में सजने लगी सूर्य की लालिमा रचने लगी प्रेमी युगल फिर चहकने लगे गुलों के इत्र फिर महकने लगे शबनम की बूंदें पिघलने लगी मिलन की आग सुलगने लगी आया फिर मौसम पलाश का प्रेम के रंगों के एहसास का। ©अलका मिश्रा ©alka mishra #पलाश
Amit Singhal "Aseemit"
पलाश के फूल का यौवन फागुन में खिलता है, होली पर इस के रंग से दिल से दिल मिलता है। ©Amit Singhal "Aseemit" #पलाश #के #फूल #का
Insprational Qoute
गजल(हजज़) 1222×4 मुफ़ाईलुन निकल पड़ते है राही मंजिलों की तलाशो में, गिनती जीवंत में होती न गीने जाते लाशों में, ठहरते ये नही जुनुन इनमें फ़ौलादी भरा होता, ये उन से अलग है जो जीवन बिताते अय्याशों में, अँधेरे के उजालों का रहस्यमयी पथ खोजते, फिर चर्चे हो अप्रत्याशित गगनचुंबी अकाशों में, अनवरत हो सजगतापूर्वकता से खोये रहते, जुनूनी आग दहक रही होती इनकी श्वासों में, मरुभूमि से भी कलियों का खिल जाना निश्चित है, बनाये रख महक जैसे बरक़रार सम पलाशों में। गजल(हजज़) 1222×4 मुफ़ाईलुन निकल पड़ते है राही मंजिलों की तलाशो में, गिनती जीवंत में होती न गीने जाते लाशों में, ठहरते ये नही जुनुन इनमें फ़ौलादी भरा होता, ये उन से अलग है जो जीवन बिताते अय्याशों में,
Anupama Jha
पलाश के फूल से हो गए हैं शब्द! निकलते हैं, फूटती हैं उनसे संवेदनायें, कपास सी, हल्की,फुल्की फिर भावनाओं के आँधी में उड़ती हैं, भटकती हैं दिशा हीन... ©अनुपमा झा (पूरी कविता अनुशीर्षक में) पलाश के फूल से हो गए हैं शब्द निकलते हैं फूटती हैं उनसे संवेदनायें कपास सी हल्की,फुल्की फिर भावनाओं के आँधी में उड़ती हैं
Swarima Tewari
जंगल की आग "पलाश".. (Full in caption) मेरे तुम्हारे बीच बहुत सारे शहर उगे हैं इन शहरों में लोग मकान में नहीं रहते वो मंडराते हैं हम दोनों के चारों ओर समाज, नियम, ज़िम्मेदारियों, सही-गलत, चार लोग के रूप में
BANDHETIYA OFFICIAL
हम जो रिश्तों में खटास रखना नहीं चाहते, रिश्ते में वो हैं , जो मिठास रखना नहीं चाहते। कभी लगता है, दरमियां रख दें उदासीनी खूब, उदासी वो, नैन पलास रखना नहीं चाहते। ©BANDHETIYA OFFICIAL #पलाश वाली उदासीनी।
कृष्णा
पलाश ही पलाश खिले होंगे आकाश में बसंत देखोगे इनके रंगों में इतना खो जाएंगे फिर अपनी तलाश में निकलेंगे ©Krishna #पलाश...✍️🎶 #flowers
कृष्णा
पलाश ही पलाश खिले होंगे आकाश में बसंत देखोगे इनके रंगों में थोड़ा खो जाएं फिर अपनी तलाश में निकलेंगे ©Krishna #पलाश...✍️🎶 #flowers