Find the Best रूप_की_गलियाँ Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about श्रृंगार का तद्भव रूप है-, अस्य का स्त्रीलिंग रूप है, मोहब्बत की हो तो जानो, राखी का प्रचलित रूप है, नफरत की दुनिया में,
Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
हुस्न- ए -दिसंबर अब जरा देख लो अजब है मस्त कलंदर जरा देख लो। कोई तुफां से ही आया होगा गुजर खुशनुमा सा अब मंजर जरा देख लो। किस्से ही तो है कहने दो कहने वालो को बूंद-बूंद ही तो है समंदर जरा देख लो। कोई घायल कोई मारे गए उस राह पर किसके हाथों है वो खंजर जरा देख लो। कोहरा क्यूं घना सा हर तरफ छाने लगा। आग सा है क्या अपने अंदर जरा देख लो। ये तो "रूप" ही जाने वो खुश है मगर पत्ता पत्ता सा बिखरा बवंडर जरा देख लो। ©Prof. RUPENDRA SAHU "रूप" #रूप_की_गलियाँ #रूपेन्द्र_साहू_रूप #rs_rupendra05 #Rup_ki_Galiyan
harsha mishra
रस्म मान कर व्याह रचाया अब क्यों शोग मनाते आते हैं? अपनी वाली से बेहतर पर पुरुषों के दिल आते हैं। भावनाओं की शून्य देह से सब का मन जो ऊब रहा। आभासी जग की सरिता में सबका ही उर डूब रहा। ब्याह किए या हस्ताक्षर शपत पत्र सा जीवन है। कुछ तो दोहरा जीवन जीते बदल रहे सब तन मन हैं। कुछ को वंश चलाना है ब्याह रचाना संधि पत्र सा बेटा सबको वांछनीय है भ्रूण मिटाना अभिमंत्र सा। मादकता यौवन की छलके तब तक प्रेम उमड़ता है। जैसे जैसे समय बीतता आपस में क्रोध घुमड़ता है। 😂😂😂😂😂 हर्षा मिश्रा रायपुर ©harsha mishra #Wochaand #रूप_की_गलियाँ #nojoto
harsha mishra
वो जमाना कुछ और था, जब हमारे श्री राम हुआ करते थे। कठौती में गंगा और हृदय में चारो धाम हुआ करते थे। बाट जोहती गोपियां , और गोकुल के गाम हुआ करते थे। राधा जी का निश्छल प्रेम,और बंसी बजैया श्याम हुआ करते थे। कर्मों में सत्कर्म और अभिवादन में, चरण स्पर्श व प्रणाम हुआ करते थे। इष्ट के प्रति आस्था प्रचंड, और अधरों पर राम जी के नाम हुआ करते थे। अहिरावण और असुराधिपति रावण भी , जिन अवतारी के वाम हुआ करते थे। माता- पिता और गुरु प्रति श्रद्धा,और नित भक्ति भाव ही काम हुआ करते थे। ऐसा भी नहीं था कि अधर्मी नहीं होते थे पर पश्चाताप करते हुए हर ताम हुआ करते थे। हर घर में हो उन जैसा अवतारी, जैसे रघुकुल के सियाराम हुआ करते थे। प्रीत लगे तो ऐसी लगाना जैसे अपने राधेश्याम हुआ करते थे। मित्रता हो तो प्रभु ऐसी रखना जैसे सुदामा और घनश्याम हुआ करते थे। वो जमाना कुछ और था जब हमारे श्री राम हुआ करते थे। कठौती में गंगा और हृदय में चारो धाम हुआ करते थे। *हर्षा मिश्रा* *शिक्षिका* *छत्तीसगढ़* ©harsha mishra #Butterfly #जलाल #प्रशांत_की_डायरी #शेरनी #शादअहमद #रूप_की_गलियाँ
harsha mishra
हिंदी आती है समझ अंग्रेजी भी आ जाती है। पर अपने ही दूखों का अनुवाद ना कर सकी मैं। हिंदी भी बोल लेती हूं मैं अंग्रेजी भी बोल लेती हूं। पर अपने मन की बातों पर संवाद ना कर सकी मैं। हर्षा ©harsha mishra #रूप_की_गलियाँ #jalaal
harsha mishra
मुद्दतों बाद सोचा कि तुम्हें याद कर लूं, मगर मेरे दिल ने गवाही ना दी। फिर सोचा ,कुछ लिख ही लूं तुम पर, मगर दिल के दवात ने स्याही ना दी। ©harsha mishra #jalaal #rana #रूप_की_गलियाँ #nojoto
harsha mishra
तेरे मेरे इश्क पर गजलें, मुझे हर बहर में चाहिए। हमारे मोहब्बत की खबरें, मुझे हर शहर में चाहिए। बहाया तेरे इश्क में अश्क, वो पानी हर नहर में चाहिए। मिटा सके जो हम दोनों को , वो बात,हर कहर में चाहिए। हर कतरा इश्क का पी लिया है दम ज्यादा हर ज़हर में चाहिए। जीएंगे व मरेंगे साथ साथ हम इतनी दुआ हर मेहर में चाहिए।। हर्षा ©harsha mishra #रूप_की_गलियाँ #प्रशांत_की_डायरी #ranaji #priyanka #कवि_सम्मेलन
harsha mishra
करनी चाही नफरत तुमसे, रखा रह गया प्यार ज़रा-सा। उखड़े दिल की तुरपाई को, पकड़ रखा है तार ज़रा-सा। एक क्षण चाहूं दूरी तुमसे, एक क्षण में गल हार ज़रा-सा। तुम पर वारा सब कुछ मैंने, सह ना पाऊं वार ज़रा-सा। एक क्षण में ही सब कुछ टूटा, कारण था तकरार ज़रा-सा। करनी चाही नफरत तुमसे , रखा रह गया प्यार ज़रा-सा। हर्षा मिश्रा ©harsha mishra #Chhavi #रूप_की_गलियाँ #प्रशांत_की_डायरी #banjara #nojoto
harsha mishra
मुद्दतों बाद मिली है मुझे तेरे इश्क से रिहाई। अब तो बहुत अच्छी लगती है, मुझे मेरी तन्हाई। अब अच्छी नहीं लगती मुझको भोर की पुरवाई। तड़के ही तो मिली थी, मुझको तुझसे रुशवाई। अब अच्छी लगती है , मुझे मेरी बुराई। क्योंकि लेकर ही डूब गईं मुझे मेरी ही अच्छाई।। ©harsha mishra #Sunhera #रूप_की_गलियाँ #प्रशांत_की_डायरी #nojoto
Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
मैं गया नहीं कहीं बस थम गया हूं काज संवारने में जरा रम गया हूं मुलाकातों का दौर था सब भले थे मैं पाले रहा कौन सा भरम गया हूं भलों का कहां भला हुआ है कभी जब गुजरा तो लेके जखम गया हूं किस्से बहुत चले बाद जाने के मेरे सोंचा नहीं था सुना तो सहम गया हूं ये खुदगर्रजों की ही जमीं रही है रूप जाना तो लेकर सबके मरहम गया हूं ©RUPENDRA SAHU "रूप" #iamback #रूप_की_गलियाँ #rs_rupendra05 #कविता Sircastic Saurabh प्रशांत की डायरी kavya soni harsha mishra विवेक ठाकुर "शाद" The Janu Show Haal E Dil Vikas Sharma " Sagar "
Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"