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vishnu prabhakar singh
"जीवन द्वंद" आज पहचान है मेरे समक्ष जाने कब धूमिल पड़ जाए कुछ पाने में कुछ खो जाए कुछ खो कर, सब्र हो जाए। आज हृदय है मेरा निश्छल जाने कब छलावा भर जाए कल्पना सारी मिथ हो जाए शील मनोभाव, उपज जाए। आज कर्म प्रधान है मौलिक जाने कब कल्पित बन जाए भौतिकता एकनिष्ठ हो जाए अध्यात्म सर्व निष्ठ, रह जाए। आज धर्म से है दिशा प्रशस्त जाने कब मोह भंग हो जाए देवस्थान में पत्थर बस जाए मेरा हृदय मोम ही, रह जाए। मेरी प्यारी बेटी गोलची के जन्मदिन के अवसर पर यह दर्शन कविता लिखा है। #गोलची Happy birthday Golchi,🎉🎂🥰🎈 #विप्रणु #yqdidi #love #miscellaneous
मेरी प्यारी बेटी गोलची के जन्मदिन के अवसर पर यह दर्शन कविता लिखा है। #गोलची Happy birthday Golchi,🎉🎂🥰🎈 #विप्रणु #yqdidi love #miscellaneous
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हे देवाधिदेव! लय और प्रलय के स्वामी कैलाश की रुपकता के फलक शोभायमान चन्द्रमा के गणक महाविषधारी, नंदी के सवारी, चेतना के अंतर्यामी, भोले नाथ आपकी आराधना का साहस कोई युग्म ही करेगा यथास्थान की प्रधानता होगी। अनादि मानते हुए शक्ति की उष्णता से प्रकृति को एकत्रित रखने वाले सदाशिव मारक और धारक के निष्ठ लय और प्रलय पर आपकी अधीनता का प्रसाद ग्रहण भर करने वाला कोई, SHIVHOLIK ही होगा। यह वर्ग ही अलग है। सुबह सुबह लो शिव का नाम कर लो बंदे ये शुभ काम।। फोटो गोलची के सौजन्य से। #गोलची #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #yqhindi #life #philosophy
vishnu prabhakar singh
मन का सूरज चमकता रहे दिन की अपेक्षा ना रहे रात्रि की उपेक्षा ना हो संतुलन बना रहे मन में प्रकाश रहे मन का सूरज चमकता रहे। मन का सूरज चमकता रहे संध्या हो, सूरज अस्त हो सवेरा हो, सूरज उदय हो प्रकृति मूर्त रहे तुम्हारा भी आकार हो मन का सूरज चमकता रहे। मन का सूरज चमकता रहे वसंत का आगमन हो पतझड़ का आचमन हो आयाम सम्पन्न रहे इंद्रियों पर विजय हो मन का सूरज चमकता रहे। मन का सूरज चमकता रहे दिन की अपेक्षा ना रहे रात्रि की उपेक्षा ना हो संतुलन बना रहे मन में प्रकाश रहे मन का सूरज चमकता रहे। मन का सूरज चमकता रहे संध्या हो, सूरज अस्त हो
मन का सूरज चमकता रहे दिन की अपेक्षा ना रहे रात्रि की उपेक्षा ना हो संतुलन बना रहे मन में प्रकाश रहे मन का सूरज चमकता रहे। मन का सूरज चमकता रहे संध्या हो, सूरज अस्त हो
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समुद्र की तरह बनो अद्भुत और प्रभावी लहरों से आते जाते गहराई को अपनाते वृहत बन कर चलो समुद्र की तरह ढलो देखो इसका विस्तार धरा की मूलता लिए उफनती है अनवरत समुद्र की तरह चलो समुद्र की तरह बनो अद्भुत और प्रभावी आज वो शुभ दिन है, जब हमारी और सिर्फ हमारी परी हमारे घर आई थी।गोलची तुम हमलोगों की आत्मा हो। जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएँ🌻💟🤡🎂 सुप्रभात। समुद्र की तरह बनो, आसमान को वरो। #समुद्र #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #गोलची #yqdidi #inspiration #love
आज वो शुभ दिन है, जब हमारी और सिर्फ हमारी परी हमारे घर आई थी।गोलची तुम हमलोगों की आत्मा हो। जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएँ🌻💟🤡🎂 सुप्रभात। समुद्र की तरह बनो, आसमान को वरो। #समुद्र #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #गोलची #yqdidi #Inspiration love
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दिल में छुपा रखीं हैं बचपन की चाहतें मुहब्बत से जरा कह दो, बदली नहीं हूँ मैं मेरे दोस्त मेरे आसमान के सितारें हैं अंधियारों को जरा कह दो, रात की चांदनी हूँ मैं विचार से लबरेज है, मेरी कलम की रोशनाई गजल से जरा कह दो, आफ़ताब हूँ मैं! #गोलची
vishnu prabhakar singh
'पथिक' मंजिल मिलेगी गर भरोसा अपना हो, रोशनी होगी ही गर दीपक अपना हो! चलना संभल के मंजिल के राह पर राह एक नहीं हजार होंगी, बचाये रखना अपने आप को बारी एक नहीं अनेक होंगी। मंजिल मिलेगी गर भरोसा अपना हो, गीत गूंजेगी गर संगीत अपना हो! दुखों की राह पर चलना सुखों की पहचान है, आगे बढ़ना और बढ़ते रहना मंजिल पाने की पहचान है। मंजिल मिलेगी गर भरोसा अपना हो, अँधेरा में भी रोशनी होगी गर सूरज सपना हो! संकट में, सागर दिल में झांक कर देखना जो मन कहे, उसे मान कर देखना फिर अपना भी क्या?... राह और मंजिल दोनों अपनी होगी। डरना मत मिलेंगे हजार दुश्मन तुम्हारे, चलना संभल के मिलेगी मंजिल तुम्हारी! क्या है तुम्हारा अपना यहां पर?...यहां पर सब बेगाने हैं दिखते बाहरी अच्छे हैं, लेकिन अंदर से कोयला से भी काले हैं सूरत पर मत जाना बाबा ताले पड़े हैं, इनके दिलों पर। मंजिल मिलेगी गर भरोसा अपना हो, मंजिल पाना कठिन नहीं गर वादा अपना हो! गोलची, मेरी पुत्री की रचना है।शीर्षक और वर्तनी में मैंने सहयोग किया है। मंजिल दूर है, चलना जरूर है! मंजिल मिलेगी गर भरोसा अपना हो, रोशनी होगी ही गर दीपक अपना हो! चलना संभल के मंजिल के राह पर राह एक नहीं हजार होंगी,
गोलची, मेरी पुत्री की रचना है।शीर्षक और वर्तनी में मैंने सहयोग किया है। मंजिल दूर है, चलना जरूर है! मंजिल मिलेगी गर भरोसा अपना हो, रोशनी होगी ही गर दीपक अपना हो! चलना संभल के मंजिल के राह पर राह एक नहीं हजार होंगी,
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तुम परम बढ़ा लो पाया है वर्ष तुमने गाँठ यह सजा लो तुम कदम बढ़ा लो तुम नव गीत गा लो असीस के सूर्य तले ताल तुम बैठा लो तुम लयबद्ध गा लो तुम मनविनोद कर लो आंनद भरकर मन में अंतर्बोध तुम कर लो तुम खेलकूद कर लो तुम दिवस यह सजा लो आज सबको प्रेमवश माँ तुम बना लो जीवन तुम सजा लो। 🎂🎂💟🎂🎂 मेरे पुत्र सिद्धांत शक्ति सिंह का प्रथम जन्मोत्सव कल मनाया गया। #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #love #poetry #गोलची #सिद्धार्थ #प्रियप्रियंका
मेरे पुत्र सिद्धांत शक्ति सिंह का प्रथम जन्मोत्सव कल मनाया गया। #विप्रणु #yqdidi #yqbaba love poetry #गोलची #सिद्धार्थ #प्रियप्रियंका
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