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VED PRAKASH 73
परम अवस्था सायुज्य है जिसका अर्थ है ईश्वर के साथ पूरी तरह से एक हो जाना इस तरह विलीन हो जाना कि आपको अपने और ईश्वर के बीच कोई अंतर न दिखे इस अवस्था में दो नहीं केवल एक होता है इस तरह ज्ञान की परम अवस्था प्राप्त करें... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र
VED PRAKASH 73
अहंकार परिणामोनमुख है मन सदा परिणाम के लिए लालायीत रहता है मन का कर्म में कोई रस नहीं होता यदि कृत्य से गुज़रे बिना ही परिणाम पा सके तो वह छोटे मार्ग का ही चुनाव करेगा मन को कर्म की और प्रेरित करें और जीवन में सही मार्ग का चुनाव करें... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र
VED PRAKASH 73
White अपना काम देखो तुम यहां किस लिए आए हो उसका ख्याल रखो पहले अपने अंदर के मैं को खोजो और फिर तुम बाकि बातों पर बात कर सकते हो वाणी और श्वास को नियंत्रित करते हुए तथा स्वयं के भीतर गहरे गोते लगाते हुए जैसे कोई पानी में गिरी हुई वस्तु को ढूंढ़ने के लिए गहरे गोते लगता है व्यक्ति को उस स्त्रोत की खोज करनी चाहिए जहां से अहंकार उत्पन्न होता है... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र
VED PRAKASH 73
शिक्षा कोई बाहर से नहीं आती बल्कि हमारे अंदर से ही आती है आंतरिक कक्षमताओं और शारीरिक अंगों में प्रगति के कारण ही पर्यावरण की वास्तविक शिक्षा शुरू होती है जीवन के लिए सबसे महत्पूर्ण पाठ यह है कि कभी किसी को चोट नहीं पहुँचानी चाहिए शिक्षा ही है जो हमें बेहतर इंसान बनाती है... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र
VED PRAKASH 73
जिनका हृदय पवित्र है वे मनुष्य धन्य है तुम चाहे समस्त किताबों को कंठस्थ कर डालो लेकिन अगर तुम्हारा ह्रदय पवित्र नहीं है तो फिर इसमें कोई विशेष लाभ मिलने वाला नहीं इसलिए अपने दिल को साफ रखो और ज्ञान को अर्जित करते रहो इसके साथ ही अपने अंदर धर्म और ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा भी रखो... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र
VED PRAKASH 73
अगर आपकी गलती के लिए कोई भी आपको दोषी ठहराता है और आप वाकई दोषी हैं तो तुरंत खुद की गलती को स्वीकार कर लें और उसमें सुधार करें लेकिन अगर आप दोषी नहीं है तो हँसे और उसे भूल जाएं साथ ही बुरी आदतों को अपने विचारों की धारा में बहने न दें एक समय बाद सत्य खुद आपके लिए बोलेगा... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र
VED PRAKASH 73
हमारे आनंद की कुंजी हमारे मस्तिष्क में ही है तो उस कुंजी तक पहुँचने की मुख्य बाधाएं भी हमारे मस्तिष्क में ही है उस आनंद की कुंजी तक पहुँचने के लिए हमें सकारात्मक गुण विकसित करना होगा हमारे भीतर मौजूद सकारात्मक गुणों में सबसे महत्वपूर्ण करुणा है जीवन में सहनशीलता धैर्य संतोष संयम और उदारता अपनाएं... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र
VED PRAKASH 73
गहन ध्यान के माध्यम से आप एक ऐसी अवस्था में पहुँच जाते हैं जो विचारों से परे परिवर्तन से परे कल्पना से परे मतभेदों और द्वेत से परे होती है आंतरिक दिव्य प्रेम आपके माध्यम से बहना शुरू हो जाएगा आप लोगों को अलग-अलग व्यक्तियों के रूप में नहीं देखेंगे आप अपने आस-पास के सभी लोगों में अपना स्वयं का स्वरुप देखेंगे तब आपके भीतर से प्रेम का प्रवाह निरंतर और अखंड होगा... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र
VED PRAKASH 73
अगर प्रत्येक उद्योग की पड़ताल करेंगे तो आप पाएंगे कि एआई काम करने की प्रकृति को बदल रहा है... -डैनिएला रस ©VED PRAKASH 73 #सूत्र
VED PRAKASH 73
White इस संसार में अपने को महत्वपूर्ण समझें इससे आत्मसम्मान बढ़ेगा मानसिक और शारीरिक विकास होगा और जीवन दिव्यता से परिपूर्ण होकर सुख शांतिपूर्ण सफलता का अनुभव करेगा हमें खुद में विश्वास होना चाहिए कि हम ईश्वर के अंश हैं सब दैविय शक्तियां हमारे भीतर भरी हुई हैं इससे आप किसी भी दशा में असफल नहीं हो सकते... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र