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Krish Vj
लाल साड़ी में लिपटी, वह तो कमाल लगती है सजी माथे पर लाल बिंदिया बेमिसाल लगती है कजरारे कृष्ण नयन, मधुशाला के द्वार लगते हैं घुंघराले केश प्यारे उन पर लटे कमाल लगती हैं उसके सुर्ख लाल होठों पर सिर्फ़ तराने प्यार के नाक में चमकती हैं नथ, प्रेम का मोती लगती हैं मुस्कान लबों की निराली है, क्या कहूँ "सजनी" हमने तो अपनी सारी दुनियाँ ही तुम पर वारी है ➡ रविवार विशेष प्रतियोगिता संख्या- 01 ➡ शीर्षक:- आप स्वंय सोचकर लिखे ➡ कोई शब्द सीमा नहीं है। ➡ इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।
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खूब से भी खूबसूरत लगे जिंदगी तेरे संग, तेरे नाम से मात्र महक जाए,चढ़े तेरा रंग, इतना अद्वितीय अद्भुत सा यह परिवर्तन, देख नेत्र नयन मन मस्तिष्क सब है दंग, प्रलोभन कहूँ या आकर्षक तेरे चित का, तेरी रूह के एहसास से हृदय गाये मलंग, छोड़ सब निज मोह सुख समूल सृष्टि के, मन हर्षित हो जाता हरपल रहे तेरी उमंग। ➡ प्रतियोगिता संख्या - 07 ➡ शीर्षक - तेरे संग ➡ सुन्दर शब्दों से आठ पंक्तियों मे रचना लिखें ➡ समय सीमा- आज रात 12 बजे तक।
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मातृत्व के दुग्ध स्तनों की मन की पीड़ा जिस दिन जान जाओगे, उस दिन तुम वास्तविक जीवन की सच्चाई से रूबरू हो जाओगे, आभास तो कीजिये वो ममत्व की ममतामयी सी प्रसव पीड़ा को, कैसे बना ये भ्रूण से जीव चेतन,वास्तविक जीवन को जान जाओगे, वो माहवारी की पीड़....वो पग पग पर देती ये नारी अग्निपरीक्षा, कैसे जीवन जीना है,अपने आप को तुम्हें सम्भलना जान जाओगे, ये जगकल्याणी जगजननी ही है जिसमें सम्पूर्णता का समावेश है, नित नित शीश झुका असलियत तेरे चेहरे की तुम जान जाओगे।। ➡ प्रतियोगिता संख्या - 06 ➡ शीर्षक - मन की पीड़ा ➡ सुन्दर शब्दों से आठ पंक्तियों मे रचना लिखें ➡ समय सीमा- आज रात 10 बजे तक।
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दिल मे हो तुम तो मेरी अन्तरात्मा में क्या झाँकते हो, अविरल धार हो तुम क्यो मेरे मन का बांध बांधते हो? जब प्रेमन्कुरित हो चुका है मिलन को तुम आज फिर, दो पल के लिए ओ कान्हा क्यो एक दर्श को सताते हो? बन बावरी खो सद्बुद्ध मन तिहारी बाँट अब जोवेगी, मन माही कोई मनन चिंतन हो तो क्यो नही बताते हो? लो संज्ञान में मेरी चंद्र चकोर सम अद्भुत सुंदर मुख , सम्मुख विराजमान हो मेरे तो क्यो न नैन मिलाते हो? ➡ प्रतियोगिता संख्या- 04 ➡ शीर्षक:- दिल में हो तुम ➡ कोई शब्द सीमा नहीं है। ➡ इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।
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विधा:-कविता(प्रेम कविता) शीर्षक:-प्रीत के गीत मेरी धड़कन की प्रीत में ही तेरी चाहत के गीत हैं, एक दिन कहा था तूने तेरी जीत में ही मेरी जीत हैं, शायद तू जानता भी नही,मेरी बेइंतहा मोहब्बत को, सुन तेरी ध्वन को जो मेरी सांसो में बजती संगीत हैं, जब भी मन उदास हो तेरे दीदार से हो जाऊं प्रश्नचित, मालूम नही क्या बंधन हमारा,पर तु ही मेरा मनमीत हैं, बन तेरी राधिका जन्मों का रहेगा इस दिल को इंतजार, तू मेरा कान्हा मैं राधिका तेरी,ऐसी जुड़ी अपनी प्रीत हैं, वीरान निशा के तिमिस्र में भी तू साया बन चले आता हैं, मिटा दे जो मौशिकी ए इश्क़ की गरमाहट तू वो शीत हैं, करती जो सोलह श्रृंगार तेरे नाम के,रचाई जो हिना ए रंगत तेरे बिन सब अधूरा हैं, तू तो मेरे सुभग सौंदर्य की रीत हैं, तेरा साथ हो तो कभी न मैं हारूँ , तेरा साथ ही मेरा साहस तेरे संग उठे हर कदम सफलता की ओर,तू ही वो अजीत हैं, ➡ रविवार विशेष प्रतियोगिता संख्या- 01 ➡ शीर्षक:- आप स्वंय सोचकर लिखे ➡ कोई शब्द सीमा नहीं है। ➡ इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।
DR. SANJU TRIPATHI
जिनको कभी ना देखा वो पास आ गए, जिनको था दिल से चाहा वो दूर हो गए। जाते ना दूर कैसे जब रब ने लिख दिया, वो फर्ज से लाचार थे हम मजबूर हो गए। वह खुश रहे हमेशा मेरी दुआ है रब से, मैं जी रही अकेली तन्हाइयों में जाने कब से। अपनों से क्या छुपाऊंँ मैं राज जिंदगी का, गम में भी हंँसना अब मेरे दस्तूर से हो गए। मिलती है जब कभी भी उनसे मेरी नजर, कुछ सोच कर मैं थाम लेती हूंँ मेरा जिगर। इतना असर है उनकी उस एक निगाह में, लगता है अब तो बस सारे गम दूर हो गए। बरबादियों के शहर में अब सबसे बड़ी हूंँ मैं,सब कुछ लुटा करके इश्क में चल पड़ी हूंँ मैं। किसको सुनाऊंँ अपने इश्क की अधूरी दास्तांँ बिन कुछ कहे आशिकी में मशहूर हो गए। चाहते थे जिंदगी अपनी मनमर्जी से गुजारें, बनाकर प्यार को जिंदगी हम जिंदगी संँवारे। ख्वाब टूट गए, हमारी कहानी अधूरी रह गई, देते हैं अब वो दिलासा जो हमसे दूर हो गए। रविवार विशेष प्रतियोगिता विशेष पुरस्कार...02. में आप सभी का स्वागत है! अपने दिल से कोई भी दर्द भरी कविता लिखें! Done न लिखे अपनी रचना को ही कमेंट बॉक्स मे पेस्ट कर्रे शीर्षक और अपना नाम भी लिखे email भी दे ➡ रविवार विशेष प्रतियोगिता संख्या- 02 ➡ रचना 8 पंक्तियों में लिखें
DR. SANJU TRIPATHI
बचपन में ही मिट जाती है मासूमियत ना जाने कितनी मासूम जिंदगियों की रहम नहीं करती है जिंदगी भी इन पर इनकी मासूम सी मुस्कान मिटाने में। कभी उठाती मांँ बाप का साया सर से, कभी गरीबी के दलदल में फंँसा देती है। कभी कहीं कोई बच्ची मार दी जाती, कभी कहीं पैदा होने ही नहीं पाती है। बचपन का सुख नसीब में ही नहीं होता इनकी किस्मत जन्म से ही रूठ जाती है। ➡ प्रतियोगिता संख्या - 09 ➡ शीर्षक - मासूम जिंदगी ➡ सुन्दर शब्दों से आठ पंक्तियों मे रचना लिखें ➡ समय सीमा- आज रात 12 बजे तक।
DR. SANJU TRIPATHI
मेरी गुड़िया मेरी बहना तेरे प्यार से भरा है जिंदगी का हर कोना तू अनमोल है मेरे लिए तेरे सामने कुछ नहीं है चांदी और सोना। तेरे लड़ने झगड़ने से ही चहकता है मेरे घर का हर कोना कोना, जिंदगी में आए चाहे जितने उतार-चढ़ाव तू कभी दूर ना होना। तुझसे ही महकती है जिंदगी सारी खुशियां तुझ पर ही लुटाएंगे, तुझमें बसती है जान,तू लाडली है मेरी तू जिंदगी में कभी ना रोना। तू जिंदगी में जहाँ भी रहे हमेशा खुदा की रहमत तुझ पर बरसती रहे, हर बुलंदी को तू छू ले तेरा नाम रोशन हो तू कभी हिम्मत न हारना। ➡ प्रतियोगिता संख्या - 08 ➡ शीर्षक - मेरी गुड़िया मेरी बहना ➡ सुन्दर शब्दों से आठ पंक्तियों मे रचना लिखें ➡ समय सीमा- आज रात 12 बजे तक।
DR. SANJU TRIPATHI
जब से जोड़ा तेरे संग साँसों से साँसों का बंधन, महकने लगा मेरा जीवन जैसे महकता है चंदन। तूने अपनी साँसों से मेरी साँसो को जो छू लिया, मेरा जीवन तेरे प्यार में तप कर हो गया कुंदन। अपने प्यार से सींचते रहते हो ये चाहत की जमीं, हर पल जीते हो मुझमें करते हो दिए सा रोशन। दुनियाँ के लिए दो जिस्म है,पर एक जान है हम, जीवन भर निभाएंगे बाँधा जो तेरे संग गठबंधन। ➡ प्रतियोगिता संख्या - 07 ➡ शीर्षक - तेरे संग ➡ सुन्दर शब्दों से आठ पंक्तियों मे रचना लिखें ➡ समय सीमा- आज रात 12 बजे तक।
DR. SANJU TRIPATHI
व्यथित मन की पीड़ा, मन किसी को कैसे समझाए, कोई भी नहीं है अपना यहाँ, किस को अपना बताए। हर पल ही ये जिंदगी, नए-नए रुप हमको दिखा रही, समझ नहीं आ रहा हमें, हमसे क्या कहना चाह रही। सुकून की तलाश में, इधर-उधर ही भटकती फिर रही, किससे कहें, कि मन की पीड़ा हरपल बढ़ती ही जा रही। वक्त नहीं है किसी के पास, किसी को वक्त देने के लिए, खुद ही मरहम लगाना है हमें, अपने जख्म सीने के लिए। ➡ प्रतियोगिता संख्या - 06 ➡ शीर्षक - मन की पीड़ा ➡ सुन्दर शब्दों से आठ पंक्तियों मे रचना लिखें ➡ समय सीमा- आज रात 10 बजे तक।