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Best कँहा Shayari, Status, Quotes, Stories

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Rajshi Raj

Shilpa yadav

#अभिलाषा #जिंदगी_का_सफर #क्षण #कँहा #रोष #dost RAVINANDAN Tiwari J P Lodhi. Sandip rohilla Priya Gour अं_से_अंशुमान #कविता

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चिर संचित अभिलाषा का
 अथाह समुद्र मंथन
खिंची खिंची सी हर एकांत 
सुबह का हैरत क्षण।।

©Shilpa yadav #अभिलाषा 
#जिंदगी_का_सफर 
#क्षण 
#कँहा 
#रोष 

#dost  RAVINANDAN Tiwari  J P Lodhi. Sandip rohilla Priya Gour अं_से_अंशुमान

K.Mahendra

जय जवान जय किसान कहते रहिये।
सत्य अहिंसा के राह चलते रहिये।
ये सीमा के प्रहरी जो सबको जगाते,
देके अपने रक्त जान सबकी बचाते,
हौसला सब मिल कर बढ़ाते रहिये।
ये हिन्द के वासी हैं गुनगुनाते रहिये...
जय जवान जय किसान कहते रहिये...

श्रम जिनका है सेवा ,फल पाते हैं मेवा,
खेतों की मेड़ों पे जो करते हैं कलेवा,
वो सबके पेट भर के भी रहता किनारे,
जिसकी है ज़िन्दगी है मौसम के सहारे
ये बाढ़ ये आँधी सभी जो झेलता रहा,
किस्मत के दीया-बाती में खेलता रहा,
ऐसे देवता  को नमन करते रहिये।
उनके हित में भी आगे बढ़ते रहिये..
जय जवान जय किसान कहते रहिये...

हम थे कँहा और कँहा जाएंगे अभी,
ये कारवाँ हमारा रुकेगा ना कभी,
जिसने हमें मानवता का पाठ  पढ़ाया,
जुल्म के आगे कभी ना झुकना सिखाया,
होगी विजय अपनी वो दिन भी आएगा,
सदभावना के 'प्रेम'पथ पे चलते रहिये।
चरख़े की चक्र से निरन्तर बढ़ते रहिये....
जय जवान जय किसान कहते रहिये...
02.10.2019
 महेंद्र ♏

kahaaniya

nojoto #nojotohindi #News #Challenge #Pyar Arman Ankashi Ashishlodhi Lodhilodhi VISHNU JI THAKOR SACHIN CHHONKAR siLENT kniGHt DreaMER #

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तुम ठहरे ऊँचे खानदान के नवाब 
मुझ जैसी बददिमाग लड़की का साथ तुम्हे कँहा जेब (शोभा) देगा
जो मुझसे हो जाये कोई खता माफी तुमसे कहाँ हो पायेगी 
तुम बस जान पहचान में सजा छोटी कर देना
नही प्यार मत बताना बस अनजान ही बने रहना 
तुम ठहरे ऊँचे खानदान के नवाब 
मुझ जैसी बददिमाग लड़की का साथ तुम्हें कँहा जेब देगा #nojoto #nojotohindi #news #challenge #pyar  Arman Ankashi Ashishlodhi Lodhilodhi VISHNU JI THAKOR SACHIN CHHONKAR siLENT kniGHt DreaMER #

रामाश्रित

#naseeb A M India Gend Lal Sen mon2 raj Sanjay Kaushik 💐H@n$ik@💐 #विचार

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बदनसीबों के नसीब में खुशनसीबी कँहा ।
वो महलो में रहने बाली, अमीरी कँहा।
वो रिश्तों की, करीबी कँहा,
किसी से कुछ कह सके,
वो जागीरी कँहा।
हर मौसम में पसीना बहता है,
उनको सर्दी कँहा, गर्मी कँहा। #naseeb  A M India Gend Lal Sen mon2 raj Sanjay Kaushik 💐H@n$ik@💐

Vashu_Lr

#OpenPoetry

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#OpenPoetry में UP से हु और आप कँहा से है फ्रेंड्स ??

पता तो चले मेरी पोस्ट कँहा कँहा तक पँहुच रही है 😊

निखिल कुमार अंजान

#गुरु #अंजान... nojoto

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बिन गुरु ज्ञान कँहा
मुझको मेरा भान कँहा
शीश नवाता हूँ चरणों मे तेरे
गुरु बिन भगवान कँहा

गुरु पुर्णिमा पर सभी गुरुजनों को अंजान का वंदन

#अंजान... #गुरु
#अंजान...
#nojoto

_writesilent

ग़ाफ़िल =बेखबर

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सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ,ज़िन्दगानी फिर कँहा
 ज़िन्दगी अगर कुछ रही तो ये जवानी फिर कँहा 




                                 


                             
                                 

                                              ✍️khwaja meer dard  ग़ाफ़िल =बेखबर

निखिल कुमार अंजान

हर इंसान के अंदर दो इंसान होते हैं एक सही और एक गलत ऐसे विचारों वाले अरमान होते हैं कब कौन सा रूप आ जाए वो नही जानता तामसी प्रवृत्ति का हो गया है मानव अब खुद को ही नही पहचानता मानव कँहा है ये अब भला दानव हो गया है कल तक तो पशुओं के शरीर का गोश्त खाता था #अंजान #मेरे_अल्फाज

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हर इंसान के अंदर दो इंसान होते हैं
           एक सही और एक गलत
      ऐसे विचारों वाले अरमान होते हैं
कब कौन सा रूप आ जाए वो नही जानता
   तामसी प्रवृत्ति का हो गया है मानव
     अब खुद को ही नही पहचानता
मानव कँहा है ये अब भला दानव हो गया है
कल तक तो पशुओं के शरीर का गोश्त खाता था
 आजकल स्त्री के शरीर को नोंचता खरोंचता है
          सात्विकता से दूर हुआ है जब से
    अबोध बालिका को भी कँहा ये छोड़ता है
मानव होके मानवता को शर्मसार कर रहा है
        कुदरत भला क्या बिगाड़ेगी तेरा
  तू तो खुद ही खुद का विनाश कर रहा है
          हैरान हूँ थोड़ा सा परेशान हूँ
        आज का मानव क्या सोचता है
अपराध को क्यों मजहबी रंग दे तौलता है
धरा को खून से रंगने की साजिश करने वालों
दंगा पीड़ितों से पूछ आज भी उनका वो दर्द
               आँखों से बोलता है.........

#अंजान..... हर इंसान के अंदर दो इंसान होते हैं
           एक सही और एक गलत
      ऐसे विचारों वाले अरमान होते हैं
कब कौन सा रूप आ जाए वो नही जानता
   तामसी प्रवृत्ति का हो गया है मानव
     अब खुद को ही नही पहचानता
मानव कँहा है ये अब भला दानव हो गया है
कल तक तो पशुओं के शरीर का गोश्त खाता था

Deepak Sharma

Nidhi Dehru Sachika Gupta Anchal Sharma Sivya singh rajput🌸 Parmjit Kaur

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वो हँसी और खुशी के ना जाने दिन कँहा गये।
बेफिक्री आवारगी के पुराने दिन कँहा गये।
जो घूमा करते थे साथ साथ ।
ना जाने सुहाने दिन कँहा गये।
हमारे दिवाने कँहा गये।
दिवाने दिनों की याद में नज्में सुनाता हूँ ।
लड़खड़ाते हुये पैरों को चलना सिखाता हूँ ।
आजकी दुरंगी दुनिया से मिलकर ।
पुराने दिनों की याद में गजले सुनाता हूँ । Nidhi Dehru Sachika Gupta Anchal Sharma Sivya singh rajput🌸 Parmjit Kaur
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