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Poonam Suyal

दुख के दिन बीतें नहीं, सुख भी मिला ना कोय रे मानव तू क्या खोजता, काटेगा वही जो तू बोय खुशी अपने दिल में खोज तू, दुख का कारण ना कोय हँसते-हँसते बिता तू जीवन, तू काहे को रोय तू है सबसे अलग, रोक सकेगा तुझे ना कोय तेरा जैसा इस जग में, दूजा ना कोय #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #rzलेखकसमूह #rzwriteshindi #rztask405

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दुख के दिन बीतें नहीं, सुख भी मिला ना कोय।
रे मानव तू क्या खोजता, काटेगा वही जो तू बोय।।

खुशी अपने दिल में खोज तू, दुख का कारण ना कोय।
हँसते-हँसते बिता तू जीवन, तू काहे को रोय।।

तू है सबसे अलग, रोक सकेगा तुझे ना कोय।
तेरा जैसा इस जग में, दूजा ना कोय।।

जो है लिखा किस्मत में, वो ही आखिर होय।
सब होता हरि इच्छा से, उनसे बड़ा ना कोय।।

दिल में रख तू धीर, सपने रख तू संजोए।
ना हार तू हिम्मत, देखा जाएगा जो भी होय।। दुख के दिन बीतें नहीं, सुख भी मिला ना कोय 
रे मानव तू क्या खोजता, काटेगा वही जो तू बोय 

खुशी अपने दिल में खोज तू, दुख का कारण ना कोय 
हँसते-हँसते बिता तू जीवन, तू काहे को रोय

तू है सबसे अलग, रोक सकेगा तुझे ना कोय 
तेरा जैसा इस जग में, दूजा ना कोय

Gopal Lal Bunker

वैरी
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वैरी अपने पाँच हैं, वृत्ति बनाएं पाँच।
काम क्रोध मद लोभ हैं, बसे मोह मन ढाँच।।

मन पर हो आरूढ़ जब, माया चलती साथ।
आते अवगुण साथ में, निज गुण रहे न हाथ।।

फाँस मोह की फाँसती, भरकर भाव लगाव।
भूल राम को सब मरें, हृदय मोह जड़ भाव।। 

बिठा हृदय में काम रति, दिया मदन उलझाय।
उलझ मनुज घर नेह में, उलझ सुलझ हरसाय।।

मनुज मरा जब लोभ में, मरी धर्म की रीत।
नर ही नर को खा रहा, रही प्रयोजन प्रीत।।

जर जोरू व जमीन का, करता नर अभिमान।
मद में इनके सब लड़े, लेने देने जान।। #दोहा #दोहावली #वैरी #rztask405 #rzलेखकसमूह #glal #yqdidi #restzone

Dr Upama Singh

              “भटकाव”

कस्तूरी कुंडल बसे भटके मृग हर जगह।
घाट घाट पर ईश्वर बसें ढूंँढें फिरते मंदिर दरगाह।।

मिट जाती चिंता खत्म हो जाती इच्छा मन हो जाता जब लापरवाह।
जिसको ना चाहत सांसारिक सुख वही होता बादशाह।।

पेड़ ना खाता अपना फल नदी ना पीती अपना पानी।
जीवन भर क्या करता संचय कर इंसान अपना धन और संपत्ति।।

“पंछी” चंचल मन हो चला इस संसार से आध्यात्मिक बैरागी।
अब तो बस में मेरा तन और मन, “पंछी” चंचल सोकर है जागी।।

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