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Sita Prasad
प्रकृति का संतुलन हम प्रकृति को भगवान की तरह पूजते हैं, वह शक्तिमान, सर्वोच्च व सर्वव्यापक है, आदि काल से आज तक वह खुद को संभालकर जीवन को सहलाती आई है। प्रकृति ने अपना संतुलन खुद किया है, हम मानव इतने समझदार होते हुए भी, प्रकृति व समस्त जग को समझते हुए भी, इसका संतुलन बिगाड़ने पर तुले हुए हैं। अगर हम इससे कुछ सीखना चाहें, तो बस ज़रा सी खुशी के लिए, महंगा जीवन कभी न माँगें, हम संतुष्ट रहें व सही इस्तेमाल करें उत्पादों का। वर्ना प्रकृति अपना संतुलन खुद बना लेगी, मानव रूपी प्रदूषण को मात दे देगी, न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी, जीवन नया अपनाकर प्रकृति अपना मुकाम खुद हासिल कर लेगी । । Picture taken by me. #rztask523 #restzone #rzलेखकसमूह
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read morePoonam Suyal
प्रकृति का संतुलन (अनुशीर्षक में पढ़ें) प्रकृति का संतुलन मैं हूँ प्रकृति, कभी थी हरी-भरी मैं, अब हूँ बंजर, तन्हा और उदास मानव हो गया है गैरजिम्मेदार, नहीं है उसे अपनी ग़लतियों का आभास पेड़ों को काटकर कर दिया है उसने सब प्रदुषित,
प्रकृति का संतुलन मैं हूँ प्रकृति, कभी थी हरी-भरी मैं, अब हूँ बंजर, तन्हा और उदास मानव हो गया है गैरजिम्मेदार, नहीं है उसे अपनी ग़लतियों का आभास पेड़ों को काटकर कर दिया है उसने सब प्रदुषित,
read moreDr Upama Singh
प्रकृति का संतुलन प्रकृति कराह कर कह रही है कर पुकार क्यूँ मानव तुम कर रहे मेरे प्रति अत्याचार नित्य कर रहा है तू प्रकृति पर कुठाराघात मैं भी अगर पहुँचा जाऊंँ तुझे हृदयघात दे जाऊंँ मैं भी तुमको कठोर अघात क्या मैं बताऊँ हृदय का अपने बलाघात मैं भी बन जाऊंँ तुझ जैसा हृदयविहीन कर नहीं पाओगे तुम मुझे कभी भी अपने अधीन अनुशीर्षक में://👇👇👇 क्या तुम्हारी आत्मा तुम्हें नहीं झकझोरती क्या तुम्हारे किसी काम में बाधा हूंँ मैं बनती जहाँ तुम पैदा हुए उसको संतुलित रखना तुम्हारा परमकर्तव्य आज़ और अभी से मन में ले लो तुम संकल्प लेकिन मैं हूंँ हृदय से प्रकृति एक स्त्री माँ हूंँ अपने ही बच्चे को कैसे चोट पहुंँचा दूँ तुम भी सोचो मेरे प्रति अपना कर्तव्य निभा दूंँ मैं ही मानव को रास्ता दिखा दूंँ
क्या तुम्हारी आत्मा तुम्हें नहीं झकझोरती क्या तुम्हारे किसी काम में बाधा हूंँ मैं बनती जहाँ तुम पैदा हुए उसको संतुलित रखना तुम्हारा परमकर्तव्य आज़ और अभी से मन में ले लो तुम संकल्प लेकिन मैं हूंँ हृदय से प्रकृति एक स्त्री माँ हूंँ अपने ही बच्चे को कैसे चोट पहुंँचा दूँ तुम भी सोचो मेरे प्रति अपना कर्तव्य निभा दूंँ मैं ही मानव को रास्ता दिखा दूंँ
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