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Pushkar Sahu
ज़ब खुद से वादा अपना तो नहीं लगेगा साथ किसी का 🖤🖤 #restzone #loveekdokha #4everluv #yqjnvian #yqdidi #yqbaba #jnvsupaul #YourQuoteAndMine Collaborating with सुkaन्त SuमN Jha🔵
alex akash
एक सदमें से हम बाहर आ रहे है, लोग हैं की मुस्कुरा रहे है, तसबीह रखी सब ने अपनी सोच के, हम अब भी सिर्फ़ अपने हिस्से में आ रहे है। एक सदमें से हम बाहर आ रहे है, लोग हैं की मुस्कुरा रहे है, तसबीह रखी सब ने अपनी सोच के, हम अब भी सिर्फ़ अपने हिस्से में आ रहे है। #alexcollection #alex #alexcollections
alex akash
माफ़ करना मैं दो नाऊ पर सवार नहीं रह सकता हूं, इश्क़ किया है तुमसे कोई व्यापार नहीं कर सकता हूं, चाहत का सिलसिला नहीं हूं जो जब चाहें तब मिट जाऊं, इश्क़ हूं जीते जी भी मर सकता हूं, तुम्हें जितना आजमाना है आज़मा लो, मैं भी कभी अपनी सारे हदें पर कर सकता हूं, तुम गलत नहीं हो आज तो याद रखना, मैं भी किसी दिन गलत नहीं हो सकता हूं, दर्दे सितम और क्या-क्या नाम दूं, मुझे बुरा बनाने को तुम्हारा ही नाम दूं। माफ़ करना मैं दो नाऊ पर सवार नहीं रह सकता हूं, इश्क़ किया है तुमसे कोई व्यापार नहीं कर सकता हूं, चाहत का सिलसिला नहीं हूं जो जब चाहें तब मिट जाऊं, इश्क़ हूं जीते जी भी मर सकता हूं, तुम्हें जितना आजमाना है आज़मा लो, मैं भी कभी अपनी सारे हदें पर कर सकता हूं,
alex akash
अजीब मसला है, तूझे पाना भी नहीं चाहता, और तुझे खोने से भी डर लगता है, मैं कहता भी हूं चाहत नहीं है, पर प्यार तक बात ला भी नहीं सकता, चुभता भी एक कांटा पांव में, पर मुश्किल ये है निकाल भी नहीं सकता, और उसके साथ चल भी नहीं सकता, कि कितना उलझाया है मैंने ख़ुद को, अब इससे निकल भी नहीं सकता, और पूरी तरह डूब भी नहीं सकता। अजीब मसला है, तूझे पाना भी नहीं चाहता, और तुझे खोने से भी डर लगता है, मैं कहता भी हूं चाहत नहीं है, पर प्यार तक बात ला भी नहीं सकता, चुभता भी एक कांटा पांव में,
alex akash
हर एक पन्ना खोलूंगा, हर एक बात बोलुंगा, छुपा अब जो कुछ भी है, मैं उसे सरे-आम तोलूंगा, बेवफ़ा हो तुम, हक़ से कहूंगा, तुम्हें क्या लगा ख़ुद की बेज्जती, मैं चुप-चाप सहुगां, इश्क़ भी सिद्दत से किया था, नफ़रत भी बेइंतहा करूंगा, वादे ये झूठे सारे, मैं मुकम्मल भी ख़ुद से करुंगा, मैं सह लूंगा सारी बातें तेरी, पर मुझपे लगाएं तोहमते मैं हरगिज़ नही सहूंगा। हर एक पन्ना खोलूंगा, हर एक बात बोलुंगा, छुपा अब जो कुछ भी है, मैं उसे सरे-आम तोलूंगा, बेवफ़ा हो तुम, हक़ से कहूंगा,
alex akash
यूं मेरे बहते आशुओं को कब-तक छुपाओगे, एक क़तरा अश्क तुम भी तो बहाओगे, वक़्त रहमतें बरसाएंगा अपनी, तुम्हारी तरह हम भी निखर जायेंगे, लम्हा दर लम्हा बीतेगा, कुछ ख़्वाब मेरे मुझे ज़्यादा याद आयेंगे, आंखों से बगावत रोज़ होगी, हम हर दिन की तरह हार जायेंगे, कुछ गम तो तुम्हें भी होगा, तेरा पहला रिश्ता हूं याद तो हम भी ज़रूर आयेंगे। यूं मेरे बहते आशुओं को कब-तक छुपाओगे, एक क़तरा अश्क तुम भी तो बहाओगे, वक़्त रहमतें बरसाएंगा अपनी, तुम्हारी तरह हम भी निखर जायेंगे, लम्हा दर लम्हा बीतेगा, कुछ ख़्वाब मेरे मुझे ज़्यादा याद आयेंगे,
alex akash
बुरे का बुरा सही है, मेरी अच्छाई में तो खोट बड़ी है, रिश्ते की बात तुम कह रहे हो, निभाने में जिसने की हमेशा कमी है, इश्क़ आशु बन आया है, देख तूने मुझे कितना रुलाया है, एक-एक क़तरा अलग हुआ, छल्ली दिल टूट कर फिर ना जुड़ पाया है, एक ख़्वाब सजाया था मैंने, ये कैसा आशियाना बनाया था मैंने, भ्रम अब कहीं जा कर सच हुआ है, लोगों ने ठीक ही बताया था मुझे मेरे लिए।। बुरे का बुरा सही है, मेरी अच्छाई में तो खोट बड़ी है, रिश्ते की बात तुम कह रहे हो, निभाने में जिसने की हमेशा कमी है, इश्क़ आशु बन आया है, देख तूने मुझे कितना रुलाया है,
alex akash
हर चमकता चीज़ सोना नहीं होता, इश्क़ का फितरत है दोबारा नहीं होता, तुम चाहो हमें जितना भी, प्यार मापने का कोई पैमाना नहीं होता, एक रिश्ते जोड़ने पड़ते हैं दिल के, ये बेतुका खेल है जो रोज़ाना नहीं होता, एक इल्म मुझे भी है साथ तेरे होने का, क्योंकि मैं वो शख़्स हूं जो सबका नहीं होता, ये शुरू-शुरू की बेताबिया कुछ और भी हो सकती हैं, ज़रूरी नहीं हर पसंद आने वाली चीज़ प्यार का ही नज़ाराना होता। हर चमकता चीज़ सोना नहीं होता, इश्क़ का फितरत है दोबारा नहीं होता, तुम चाहो हमें जितना भी, प्यार मापने का कोई पैमाना नहीं होता, एक रिश्ते जोड़ने पड़ते हैं दिल के, ये बेतुका खेल है जो रोज़ाना नहीं होता,
alex akash
याद सब-कुछ रहता है, सब-कुछ भूल भी जाता हूं, मैं रिश्ते निभाने के लिए, मैं कितनी दफा टूट भी जाता हूं, हंस कर बातें करता हूं गैरों से भी, मैं अपनों से बहुत जल्दी रूठ जाता हूं, स्वभाव मेरा मुझे खुद नहीं समझ आता, कभी-कभी बेवजह ही सबसे दूर जाता हूं, रखता हूं फासले कि ऐसे मुकरता हूं, मैं देर तक आईने में ख़ुद को निहारता हूं, अश्क बहता हूं फिर थम जाता हूं, मैं दर्द में भी एक अजीब-सा आराम पाता हूं।— % & याद सब-कुछ रहता है, सब-कुछ भूल भी जाता हूं, मैं रिश्ते निभाने के लिए, मैं कितनी दफा टूट भी जाता हूं, हंस कर बातें करता हूं गैरों से भी, मैं अपनों से बहुत जल्दी रूठ जाता हूं,
alex akash
कई शाम-ऐ गुजार दी एक इंतज़ार के पीछे, मेरी मुकरा अपनी हर बात से नीचे, लम्हा-दर-लम्हा दिल से कहीं कई तहमते, मैं बिखरा भी अपनी ही वजह से।— % & कई शाम-ऐ गुजार दी एक इंतज़ार के पीछे, मेरी मुकरा अपनी हर बात से नीचे, लम्हा-दर-लम्हा दिल से कहीं कई तहमते, मैं बिखरा भी अपनी ही वजह से। #alexcollections #alexcollection #alex