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भाग्य श्री बैरागी
सब गुनाहों में हो तुम भी शामिल, शौक से मुॅंह छुपाया करो तुम। मेरी हालत पर जो तुम हो हॅंसते ख़ुद को कातिल बताया करो तुम। मुझे देकर के कैद अपने दिल की, ख़ुद को ज़ालिम बताया करो तुम। प्यार बाकि मेरे हिस्से का जो, मरने पहले जताया करो तुम। गुल खिले हैं, गुलिस्ता में सौ ², मेरी जानिब न आया करो तुम। शायरी में हमारी क्या पाओ, दिल की धक² चुराया करो तुम। नक्शे लेकर के अपनी शक्ल के, मुझको मंज़िल, घुमाया करो तुम। भाग्य देकर मेरे लफ़्ज़ों को तुम, ग़ज़ल-ए-बैराग गाया करो तुम। "गर्दिशो के हैं मारे हुए" की तर्ज़ पर नुसरत फतेह अली खान साहब की आवाज में गाया हुआ, एक बार गाकर तो देखें सब गुनाहों में हो तुम भी शामिल, शौक से मुॅंह छुपाया करो तुम। मेरी हालत पर जो तुम हो हॅंसते ख़ुद को कातिल बताया करो तुम।
भाग्य श्री बैरागी
साकी तेरे दीवानों ने दर्द-ए-सर किया है, तुझे मैंने अपनी दुआओं का असर किया है। तुम तो इश्क के बागीचे के मालिक हो, मैंने तो एक गुलाब को अपना घर किया है। मेरी आँखों को तो दीदार भी न मिला, सुना है, तुमने अप्सरा जैसा शृंगार किया है। बदकिस्मत दिल है मेरा, तेरा हो के रहा, अश्कों से धोऊॅं, जो तुमने इसका हश्र किया है। तुम्हें देखने से पहले खेलता था खुशियों में, आज तुम्हें मिलने को, एक हँसी उधार किया है। 'भाग्य' इतने पर भी तुम्हें पा नहीं सकते, शायद अभी बाकि जो इश्क-ए-बुखार किया है।— % & ♥️ Challenge-828 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
भाग्य श्री बैरागी
हम दौर-ए-जवानी से ये सितम काटे जा रहे हैं, हम यादों के सिलसिलों में, ख़ुद को यूॅं बाॅंटे जा रहें है। वो मुखड़ा किताबों में करके, ऑंसू छुपाते हैं, हम टूटे मील के पत्थरों में, अपना दर्द ढूॅंढें जा रहे हैं। कहानियों में हमने उनसे खुलकर इज़हार किया, उनके सिले-सिले तकिए, उधर का हाल कहे जा रहे हैं। हमने यादों के झरोखों से, उन्हें देखा बहुत बार, और वो तो मेरी यादों में सारी घड़ियाॅं छुपाए जा रहे हैं। तोहफे में मिली थी, उनसे उनकी यादें हमको, हम उनकी यादों को अपनी विरासत किए जा रहे हैं। 'भाग्य' मैं सोचता था दीवाना न होगा हम जैसा, वो तो इश्क करके हमें इश्क में कच्चा बताए जा रहे हैं। ♥️ Challenge-820 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
भाग्य श्री बैरागी
दरस फिर से दिखाओ तरसी और मायूस निगाहें, दुनिया में नज़ारे तो और भी, ये दिल तो तुम्हें ही चाहे। एक झलक से मन न भरा, तुम्हें उम्रभर देखना, चेहरे तो और भी हैं जहां में, ये दिल तो तुम्हें ही चाहे। सहारे तो और भी कई मिल जायेंगे हमको, हाथ थाम कर चलने के लिए, ये दिल तो तुम्हें ही चाहे। पैरों में पहनने के लिए तो मेरे पास बहुत कुछ है, कदम से कदम मिलने के लिए ये दिल तो तुम्हें ही चाहे। अक्षर तो कई उतारें हैं कोरे काग़ज़ पर मैंने, पर मेरे संग नाम जोड़ने को, ये दिल तो तुम्हें ही चाहे। मेरी नज़्मों को पढ़ते तो बहुत से हैं 'भाग्य', पर मेरी ग़ज़ल सुनाने के लिए, ये दिल तो तुम्हें ही चाहे। ♥️ Challenge-816 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
भाग्य श्री बैरागी
संदूक में यादों के महकते गुलाब हैं, वहाॅं बचपन की यादें और ढेरों ख़्वाब हैं। मैं माॅंग लूॅं दुआ में बचपन का प्यार, अम्मा का लाड़ पापा का गुस्सा बेहिसाब है। सारे बच्चों में मैं सबसे खुशनसीब थी, दादा की दुध-रोटी में मेरा ही मेरा रुआब है। काजल-टीका मेरी माॅं के हाथ का, बड़ी माॅं की गोद में चंदा और आफताब है। पापा की गोद में बाज़ार की सैर, पापा उस ज़माने से मेरे पक्के अहबाब हैं। 'भाग्य' कोई लुटाता हो बचपन तो ले लूॅं, बचपन गया जिम्मेदारियाॅं अब अज़ाब है। #kkबैरागीश्री #kkकविसम्मेलन3 #kkकविसम्मेलन #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #मेरी_बै_रा_गी_कलम #एक_और_ग़ज़ल
भाग्य श्री बैरागी
इश्क में फना हो, मैं बादल हो जाऊॅं, तू करे जो मेरी आस मैं पागल हो जाऊॅं। तुम मुझपर असर की बात करते हो, मैं ठंडी रातों में लहराता आँचल हो जाऊॅं। एक प्रेमी के ख़्वाबों का घर, प्रेमिका की ऑंखों का काजल हो जाऊॅं। प्रेमाश्रय में बिखरी रोशनी सी, या तितली सी रंगीन और चंचल हो जाऊॅं। तुम इश्क की राहों के मुसाफ़िर, मैं तुम्हारे पीछे चुपके से पैदल हो जाऊॅं। 'भाग्य' नज़्मों की शौकीन अगर, मैं नज़्मों में बेहतर सी ग़ज़ल हो जाऊॅं। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️4/5❤️❤️❤️❤️❤️ #kkबैरागीश्री #kkकविसम्मेलन3 #kkकविसम्मेलन #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #मेरी_बै_रा_गी_कलम
भाग्य श्री बैरागी
चेहरों पर मुखौटो के सौ ढंग, देख कर हमें जो बदला करते हैं रंग। मन में अदावतों का डेरा, मुख पर मुस्कान की रखते हैं तरंग। पीठ को छलनी करते हैं, अपनी कामयाबी से जिया में भुजंग। बदहाली की कामना कर, कहते हैं हमें तुम रहो सदा खुशरंग। रिश्तों के मायने बदल देते, और नाचते शान में जैसे हो सारंग। झूठों का सहारा लेकर वो, घूमे इस जग में होकर दबंग। हमारी नाकामयाबी का दुःख जता, ले राग हमारा पीटते ढिंढोरा और मृदंग। ☘️☘️☘️☘️☘️3/5☘️☘️☘️☘️ #kkबैरागीश्री #collabwithकोराकाग़ज़ #kkकविसम्मेलन3 #kkकविसम्मेलन #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #मेरी_बै_रा_गी_कलम
भाग्य श्री बैरागी
वो आकर बैठे थे पहलू में पर मुझसे तो बात न हुई, मैं एकटक निहारती रही उन्हें पर मुलाकात न हुई। उन्होंने तो लुटाया इश्क ही इश्क शाम-ए-फिज़ा में, सबने लूटा बस मेरे लिए उस शाम की रात न हुई। थी शादियाॅं उस रोज़ उन्होंने भी निकाह कुबूला था, घर सबके दमके थे बस मेरे घर कोई बारात न हुई। इश्क के जनाज़े में शबभर हम फूट-फूट के रोते रहे, इकतरफा इश्क अधर में ही रहा उसकी जात न हुई। मुकम्मल हुई सबकी दुआऍं, मेहबूब सबके साथ थे, हर सफ़र में अकेली रही मेरे हिस्से ये सौगात न हुई। ज़िंदगी तो मैंने उसके सदके में कब की वार दी थी, मुझे गम है कि मौत की मेरे हिस्से तहकीकात न हुई। मुझको गिले-शिकवे तो उसे जताना है बहुत 'भाग्य', पर उससे मिलूॅं दुबारा ऐसी किस्मत की खैरात न हुई। #kkबैरागीश्री ✨✨✨✨✨✨*2*✨✨✨✨✨✨ वो आकर बैठे थे पहलू में पर मुझसे तो बात न हुई, मैं एकटक निहारती रही उन्हें पर मुलाकात न हुई। उन्होंने तो लुटाया इश्क ही इश्क शाम-ए-फिज़ा में,
भाग्य श्री बैरागी
मौसम बदलते जा रहे, ये कैसे कहर हैं, तालाब सिमटे ख़ुद में नदियाॅं जैसे नहर हैं। इंसां का प्रकृति दोहन ही कुछ इस कदर है, तूफ़ान के आगोश में रोते रहें जैसे शजर हैं। भूमि की कोख काट, तत्त्व भी पाना दूभर है, जिसने पाला अमृत उसकी गोद में ज़हर है। पहाड़ों पर जमी बर्फ की, टूटती कमर है, जंगल की आग से जलते हज़ारों जानवर हैं। फसलें गल जाती हैं, बेमौसम बरसे बदर हैं, क्रोध बरपाया माॅं ने क्यों सवाल हर अधर है। ओजोन क्षरण, अम्ल वर्षा में प्रेम किधर है? किया छलनी सीना और पूछे प्रेम किधर है। वक्त और प्रकृति का न्याय एक ही जैसा है, जो बोया वही काटो सिद्धांत सदा अमर है। 'भाग्य' सब भूलते क्यों हैं प्रकृति एक माॅं है, हमने सताया उसे, हम भोगें अपना कहर हैं। #kkबैरागीश्री ☘️☘️☘️🏞️🏞️*1*🏕️🏕️☘️☘️☘️ मौसम बदलते जा रहे, ये कैसे कहर हैं, तालाब सिमटे ख़ुद में नदियाॅं जैसे नहर हैं। इंसां का प्रकृति दोहन ही कुछ इस कदर है,
भाग्य श्री बैरागी
हमनशीं यादें तेरी, दिल टूटा सौ बार तेरे शहर में, अधूरे साथ हाथ चूमते मेरा, दिन के दूजे पहर में। आके बैठते तुम तो हम अपनी ही अपनी कहते, तुम मुस्काते, और मैं हॅंसती रहती तेरे ही असर में। हर महफ़िल अब से तन्हाई की राह दिखाती है, गिरकर फिर उठती अकेली, कहाॅं हो इस सफ़र में। कई किरदार सहारा देने आए मुझे अकेला पा, मैंने तुम्हें ही चाहा तो, क्यों छोड़ा मुझे यूॅं अधर में। हर काग़ज़ मुझे चिढ़ाकर बेअदबी दिखाता रहा, कलम छीनी अधबीच में न लिख पाई एक अक्षर मैं। इश्क है आख़िर मेरा कितना कोसूॅं तुझे ए 'भाग्य', तेरे शहर के नाम से भी प्यार है हूॅं पागल इस कदर मैं। ♥️ Challenge-805 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।