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Best पाबंदियां Shayari, Status, Quotes, Stories

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Shalini Nigam

*बेवजह* पाबंदियां लगा कर 
कटघरे में 
जा खड़े हुए हैं..जो 
कल तक मेरी बातों को 
*शोर*
कहते थे वो आज मेरी 
*खामोशी* 
से *डरे* हुए हैं..

©Shalini Nigam #पाबंदियां #बेवजह #yqbaba #Love  #YourQuoteAndMine  #yqdidi #Nojoto

Rohitas Sharrma

Alok krishya

वो जानती है एहसास हमारे भीतर के।

और हम उसकी पाबंदियां समझते हैं।।

©Alok krishya #hands#पाबंदियां

Nasamajh


यें वक्त का तकाज़ा था ,
जो हमारे लिए पबादियां बन गईं !!
वर्ना , हम तो खुलें आसमां के परिंदे हैं ,
हमें तो पंख फैलाएं उड़ने की आदत हैं ।।


 #वक्त़ #पाबंदियां #खुले_आकाश_में #परिदें

'मनु' poetry -ek-khayaal

Sonu Sharma

‼️*#कभी आओ किसी रोज़
                , *#हमसे यूँ ही मिलने,
*#पाबंदियां शहर में है..
              *#हमारे ख्वाबों में नहीं‼️

Good night 🌃😴

©Sonu sharma #ujala

Kavita jayesh Panot

लिखतें लिखतें जब पिघलने लगता है वक्त,
और ढलते सूरज की गोद में छिप जाता है ,
कोई जब वक्त का खयाल दिला,
उँगलियो पर  बीते क्षण गिनवाता है।।

सोच में पड़ जाती हूँ ,
कैसा है ये गजब ,
क्या कोई अपनी साँसे रोक कर,
स्वांसों का हिसाब रख पाता है। 
कविता

©Kavita jayesh Panot #लिखावट#वक्त#पाबंदियां#खयाल

❤lucky A.M.143❤

#पाबंदियां तो बाहर लगी है जनाब,
आ जाया करो कभी #ख्वाबों में मिलने !!

Shahrukh Saifi

#poem #OpenPoetry

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#OpenPoetry मेरी रातों पर पाबंदियां लगाये बैठे हो 
________________________________

मेरी रातों पर पाबंदियां लगाये बैठे हो...
खुद को मेरा मसीहा बताये बैठे हो..

तुम से डर लगने लगा हैं अब मुझे बहुत... 
खुद ही बाहर एक शैतान बिठाए बैठे हो...

जो लूट कर ले गये मुझसे खुशियां मेरी...
उन अपनो को तुम घर में छुपाये बैठे हो... 

तुम्हारे सामने ही चीखती हैं बेटियाँ जैसी तुम्हारी...
कानों में रूई डाले, चेहरा घुमाए बैठे हो....

जब चाहा जिसे कर दिया बे आबरू तुमने...
फ़िर उसी की मैय्यत में सर झुकाये बैठे हो... 

अपनी ही घर की लगती हैं शहज़ादिया तुमको...
बाहर तो चेहरों पर तुम तेज़ाब गिराये बैठे हो... 

तुम फरेबियो को मुझसे पहचाना नहीं जाता... 
तुम तो चेहरों पर भी एक नया चेहरा लगाये बैठे हो...

©शाहरुख सैफी

Ankita Sharma

मैं अकेली हूं ,अच्छी हूं सोच मेरी से लगता है अरे ,मैं अभी भी बच्ची हूं #poem

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अकेली हूं ,अच्छी हूं,
 सोच मेरी से लगता है 
अरे ,मैं अभी भी बच्ची हूं

सुनती हूं जब बातें लोगों की
 इन झगडो से ,मैं अकेली अच्छी हूं
 सोच मेरी से लगता है 
अरे ,मैं अभी भी बच्ची हूं

देखती हूं जब इतनी पाबंदियां प्यार पर
फिर सोचती हूं ,मैं अकेली अच्छी हूं
 सोच मेरी से लगता है 
अरे ,मैं अभी भी बच्ची हूं

कमी तो तेरी मुझे महसूस होती है 
पर इतनी पाबंदियां ,मुझे बर्दाश्त नहीं जनाब
फिर सोचती हूं ,मैं अकेली हूं अच्छी हूं 
सोच मेरी से लगता है
 अरे मैं अभी भी बच्ची हूं मैं अकेली हूं ,अच्छी हूं 
सोच मेरी से लगता है 
अरे ,मैं अभी भी बच्ची हूं
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