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Sarita Shreyasi
समेटना क्या? कल की उम्मीद में सहेजना क्या? समय मिला तो जी लिया, न मिल सका तो बासी भी न होने दिया। कल आएगा, नये पल के साथ। जो प्रत्यक्ष होगा, प्रस्तुत होगा उसको उसकी पूर्णता में जीयेंंगे। जीवन समय के साथ बह तो रहा है, मैं क्यों मुट्ठी भर समय सहेजने में लगी हूँ। यह जानते हुए कि इन मुट्ठियों में न कभी रेत ठहरा है न पानी। ये अधूरे अहसासों का पुलिंदा रखा ही रह जाएगा। (Read in caption) पूजा पूरी होते ही जल्दी से उठी, समय ज्यादा हो गया था, अतिथियों को खाना अभी बाकी था। जल्दी- जल्दी में कपड़े बदलते वक़्त हथेलियों से जब नई साड़ी का सही से स्पर्श हुआ तो ध्यान गया, कि ये तो वही मुलायम वाली महंगी साड़ी है जो बड़े शौक से खरीदी और अबतक बचा के रखी थी। आज पहनी भी तो इतनी जल्दी में कि खुद को इस साड़ी में सही से देख भी ना पाई। समेटने के क्रम में साड़ी का स्पर्श, उसे और पहनने का मोह बढ़ा रहा था। इतना क्या सोचना, अभी सामने ही रख देती हूँ, एक दिन फुर्सत में अच्छे से पहन लूँ, फिर धो कर रख दूँ
पूजा पूरी होते ही जल्दी से उठी, समय ज्यादा हो गया था, अतिथियों को खाना अभी बाकी था। जल्दी- जल्दी में कपड़े बदलते वक़्त हथेलियों से जब नई साड़ी का सही से स्पर्श हुआ तो ध्यान गया, कि ये तो वही मुलायम वाली महंगी साड़ी है जो बड़े शौक से खरीदी और अबतक बचा के रखी थी। आज पहनी भी तो इतनी जल्दी में कि खुद को इस साड़ी में सही से देख भी ना पाई। समेटने के क्रम में साड़ी का स्पर्श, उसे और पहनने का मोह बढ़ा रहा था। इतना क्या सोचना, अभी सामने ही रख देती हूँ, एक दिन फुर्सत में अच्छे से पहन लूँ, फिर धो कर रख दूँ #भावांश #कथांश
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सोचा था, जीत का जश्न मनाऊँगा, पर जश्न तो हर पल था, जो भागने में बीत गया, हाँ, जीत तो मैं गया, बस जी नहीं पाया, रास्ते में कुछ रह गया, एक सुकून, एक जश्न था। #जो छूटी,वही जिंदगी थी मैं तो बहुत आगे निकल गया #कथांश
Sarita Shreyasi
जब मंजिल पर पहुँचा तो लगा कि हासिल करने जैसा तो कुछ था ही नहीं, बस एक जिद थी, एक जुनून था, जिसे जिंदगी समझ लिया। #जिंदगी #जुनून #जिद्द #कथांश
Sarita Shreyasi
याचना समय की हो या प्रेम की, जो कमजोर हो वही याचक होता है, और जब संबंध में याचना आ जाए तो स्नेह का सहज प्रवाह थम जाता है। जिसका समय चाहते हो, देखो कि वो क्या चाहता है, जो उसे चाहिए वो तुम्हारे पास हो तो वो स्वयं खींचा आएगा। और नहीं तो तुम जितना मांगोगे वह दूर भागेगा। मांगो मत ,देने योग्य बनो। न बंधो,ना बांधो, स्वयं उन्मुक्त हो, सबको मुक्त करो। #कथांश #भावांश
Sarita Shreyasi
साथ चलने का निर्णय तुम्हारा था, और स्वेच्छा से था। किन्तु साथ चलने भर से हर चीज साझा नहीं हो जाती। न ही कोई अधिकार सुनिश्चित होता है। सबकी अपनी राह,अपनी चाहतें हैं। राह आम भी हो सकती है,और राह में मिलने वाला हर राही, हमराही भी।अपने कर्म और इच्छा से सबने अपने लिए कुछ अरजा है, और जिसको जो मिला , वही उसका अधिकारी है। तुम उसकी समृद्धि देख कर खुश हो लो वही तुम्हारी समृद्धि है, जो तुम पकड़ने लगे तो बंध जाओगे, बांधने का प्रयास करोगे तो खुद उलझने लग जाओगे। राह में संग चलो,समानांतर बहो, संबंध का सौंदर्य इसी में है, क्षितिज की कल्पना में ही आनन्द है। #yqdidi #कथांश #भावांश
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