Find the Best pranti2021 Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about pran shakti ki mahima, pra upsarg se shabd, pra ke atre, prant samanarthi shabd in marathi, prant meaning in marathi,
Mahima Jain
नव प्रयास करेंगे आने वाले नए साल में, खुश रहने का अभ्यास करेंगे हम हर हाल में। जो बीता गया वो कल था, जो आयेगा वो भी कल है, चुनना तुम्हें हैं जीना है भूत में या वर्तमान में।। Challange done for Nidhi Bansal ❤️ #pranti2021 #prantitask5 #merinavarambhkavita #prantimahima #hindmaahi #newyear2021 #2021
Mahima Jain
•| फिल्मी कविता |• "दिल एक मंदिर" है, क्या मैं इसकी पूजा करूं, "दिल मांगे मोर", अब मैं इसका क्या ही करूं। "दिल धड़कने दो", इसको बेरोक बेटोक बहने दो, "दिल तो पागल है", एक काम करो रहने ही दो। "दिल का रिश्ता" बड़ा ही ख़ास है, "दिलवाले" को मिलती आशिक़ी, "दिलजले" का भी होता नाम है। "दिल देके देखो" बड़ा ही सुकून है, "दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे", ये रिश्ता हमें मंज़ूर हैं।। •| फिल्मी कविता |• "दिल एक मंदिर" है, क्या मैं इसकी पूजा करूं, "दिल मांगे मोर", अब मैं इसका क्या ही करूं। "दिल धड़कने दो", इसको बेरोक बेटोक बहने दो, "दिल तो पागल है", एक काम करो रहने ही दो। "दिल का रिश्ता" बड़ा ही ख़ास है, "दिलवाले" को मिलती आशिक़ी,
Mahima Jain
•| पर्यायवाची कविता |• ' गर्व ' जिसको करना था, ' घमंड ' था उसने कर लिया। ' मान ' सम्मान सब मिट गया, ' अहंकार ' भी चकनाचूर हुआ।। मेरी पहली पर्यायवाची कविता। ❤️ शब्द - अहंकार पर्यायवाची - गर्व, घमंड, मान ____________________________________________ Challange done for - कोरा काग़ज़ and Nidhi Bansal #कोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता
Mahima Jain
•| संख्यात्मक अवरोहनी |• छह दिन पुरानी बात है, पंच दिवसीय प्रतियोगिता में लिया भाग है। चार पंक्तियों से अधिक कम ही लिखती हूं, तीन बहनों में मैं ही सबसे छोटी हूं। दो दिन से सोच रही हूं कैसे ये मुश्किल हल करनी है, एक दिवस में अब सभी चुनौती पूर्ण करनी है।। मेरी छह पंक्ति की संख्यात्मक कविता। Challange done for Nidhi Bansal ❤️ #pranti2021 #prantitask2 #meriavrohikavita #prantimahima
Mahima Jain
•| वर्ण कविता |• चंचल समझ कर लाए थे, निकली वो चंडाल चांद सी थी सुंदर, पर नहीं थी ज़रा भी निर्मल चिल्लाती थी ऐसे, जैसे हो फटे बांस का स्पीकर चुप हो जाए लगता था, मर गया कोई घर के भीतर।। नमस्कार, जैसा की आप सभी जानते है कि हमारी हिन्दी भाषा का मूल है स्वर और व्यजंन। स्वर और व्यजंन के संगम से बनते है वर्ण और वर्णों के मेल से शब्द बनते है और शब्दों का महत्त्व और उपयोग तो आप सभी जानते है। निम्नलिखित रचना में मैंने चार स्वर- "अ, आ, इ और उ" और कोई एक व्यजंन "च" को लेकर चार पंक्तियां लिखी है। रचना की पंक्ति का प्रथम वर्ण दिये गये हर स्वर और क व्यजंन के मेल से क्रमानुसार है। बहुत बहुत आभार Nidhi Nidhi Bansal बहुत ही अद्भुत प्रतियोगिता है। ❤️ #prantitask1 #merivarnkavita
About Nojoto | Team Nojoto | Contact Us
Creator Monetization | Creator Academy | Get Famous & Awards | Leaderboard
Terms & Conditions | Privacy Policy | Purchase & Payment Policy Guidelines | DMCA Policy | Directory | Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited
Follow us on social media:
For Best Experience, Download Nojoto