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Govindkumar Banjare
Meri Mati Mera Desh _____ लोग _____ इश्क किसी और से, और शादी किसी और से कर रहें हैं लोग। गिरगिट से भी जल्दी, अपना रंग बदल रहें हैं लोग। यादें चाहत स्वभाव कुछ नहीं है, सब छोड़ रहें हैं लोग। विश्वास में अब दुनियां टिका नहीं है, उसे भी तोड़ रहें हैं लोग। पराये को अपना बना रहें हैं, और अपनों से दूरी बना रहें हैं लोग। आसमान में अकेले उड़ना चाहते हैं, इसलिए दूसरे को नीचे गिरा रहें हैं लोग। अपनी खुशी के लिए, दूसरे को रुला रहे हैं लोग। इंसानियत क्या होती है, सब भुला रहे हैं लोग। ©Govindkumar Banjare #MeriMatiMeraDesh #Love
Shashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh इतनी होशियारी ठीक नहीं, बना उल्लू सवारी ठीक नहीं, ख़ैरियत से जो रहे ग़ाफ़िल, ज़मूरे का मदारी ठीक नहीं, जला देगा नशेमन दिलों का, इतनी भी खुमारी ठीक नहीं, भरोसे की बने दीवार ऊँची, फक़त ये पहरेदारी ठीक नहीं, नकद का सौदा होता अलहदा, चुनाँचे ये उधारी ठीक नहीं, टूटकर बिखर जाते हैं रिश्ते, नसीहत की बिमारी ठीक नहीं, इबादत भूलकर 'गुंजन' परेशाँ, जहालत की दिहाड़ी ठीक नहीं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ•प्र• ©Shashi Bhushan Mishra #MeriMatiMeraDesh
Saurav life
Meri Mati Mera Desh अकेला मेघो की गर्जना ये; क्या नूर बन जाऊं? लगती कहाँ चिंगारी अब यहाँ ? रात्रि में कैसे प्रभात बन जाऊं ? चलती है कश्ती यहाँ, जरा धीरे; बेड़िया, कैसे पार कर जाऊं ? कहते वो, अकेले हो तुम ; भला क्या, अब रार कर जाऊं ? फूलों में महकना भी; देख उन्हें क्या मंडराना सीख जाऊं ? जन्नत की इन झूठी लकीरो में- क्या जिंदगी को सहलाना भूल जाऊं ? नजरंदाजियो का यहां खौफ भी लकीरें उनकी, क्या संभालने को मिट जाऊं ? अभी हूँ मैं, यहाँ अकेला ? क्या अब महफ़िल को आनंद लुटाना भी भूल जाऊं ? ©Saurav life #MeriMatiMeraDesh #sauravlife
Dr Deepak Kumar Deep
Meri Mati Mera Desh आँख नम ना कीजिये विश्वास बन ने दीजिये, एक नया सूरज उगेगा सांस चलने दीजिये। रेत हो, पाषाण हो, हो शूल या फिर घाटियां, आस को हर पल मगर अपने साथ चलने दीजिये। कुछ प्रतीक्षा तो करें चाह होगी पूरी भी, बस राह में बिखरे काँटों को चुन ने दीजिये। जिंदगी के इस सफर में मिलेंगे राही बहुत, बस साथ देने वाले को साथ चलने दीजिये। चाहने वाले यहाँ आप से कैसे मिलें, बस नैनों को नैनों से दो चार होने दीजिये। इस अँधेरे रास्ते पे दीप देगा रौशनी, बस हाथ में ले हाथ अपने साथ चलने दीजिये। डॉ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep #MeriMatiMeraDesh
शायरी अच्छी है
Meri Mati Mera Desh 🍃🌷🍃 हमारे सीने पर रखो सर अपना, हमारे सीने पर रखो सर अपना, फिर देखो कितने हसीन ख्वाब आते हैं.! ❣️🙂 ं ©दिल की कहानियां #MeriMatiMeraDesh
sanjay Kumar Mishra
Meri Mati Mera Desh वेदांत अक्सर ब्रह्म को सत्-चित-आनंद के रूप में वर्णित करता है। सत (अस्तित्व, वास्तविकता, अस्तित्व), चित (चेतना, या ज्ञान), और आनंद (आनंद)। अस्तित्व, चेतना और आनंद ब्रह्म के नहीं बल्कि स्वयं ब्रह्म के गुण हैं। बेद तुम्हें ब्रह्म नहीं दिखा सकते, तुम पहले से ही वही हो; वे केवल उस पर्दे को हटाने में मदद कर सकते हैं जो हमारी आंखों से सच्चाई को छुपाता है। जीवित, चेतन मानव शरीर, और इस वेदी पर पूजा करना किसी भी मृत प्रतीकों की पूजा से कहीं अधिक ऊंचा है। जब आत्मा को यह एहसास हो जाता है कि सब कुछ भगवान से, ब्रह्म से भरा हुआ है, तो उसे इसकी परवाह नहीं होगी कि वह स्वर्ग में जाए, या नरक में, या कहीं और; चाहे वह दोबारा इस धरती पर जन्म ले या फिर स्वर्ग में। उस आत्मा के लिए इन बातों का कोई मतलब नहीं रह गया है, क्योंकि हर जगह एक जैसी है 🙏🙏 ©sanjay Kumar Mishra #MeriMatiMeraDesh
इक _अल्फाज़@airs
Meri Mati Mera Desh हाँ तु है अपना कोई नहीं है सपना कोई.... अचानक से शांत और बेमतलब सी ज़िन्दगी में.. एक अन्जान शख्स आता है... जो नहीं दोस्त होता है.. और नही कोई रिश्तेदार होता है.. फिर भी दिल के एकदम करीब हो जाता है.... काफी बाते होती हैं उससे उसकी.. बस सुनते रह जाता हूँ उसकी.. जो बातें मैनें राज रखे .. वो भी अब हम उस से करते हैं ... है तो वो बिल्कुल अनजाना सा .. पर मेरे लिए वो है पहचाना सा,.. नहीं है उससे कोई रिश्ता.. पर फिर भी उसकी हर बात.. को मान लेता हूँ अक्सर.. हाँ कोई हक नहीं है उस पर हमारा.. फिर भी हक जता उसको अपना कहना.. हमें अच्छा लगता है .... जब हालात से मन परेशां होता है.. उसको उस पल सुनना अच्छा लगता है.. ये अजीब बात है न.. कोई रिश्ता नहीं है उससे.. लेकिन फिर भी वो इक.. अपनो से भी ज्यादा अपना लगता है .... बस इक यही है हमारी चाहत.. कि हम रिश्ता कोई बनाये उससे.. बेशक बंधन में बंधे नहीं वो.. फिर भी साथ उसका मुझसे कभी छुटे न.... हाँ इक अजीब सा रिश्ता है मेरा उससे.. जिसे कोई नाम देने का जी करता है.. हाँ वो मेरी ज़िन्दगी में एक अहम.. हिस्सा रखता है...... और हर पल ये दिल साथ उसी का चाहता है.. और वो सिर्फ़ तुम हो@I@ @IMYTMI@ कहां हो तुम I MISS YOU TOOOOO MUCH I 🤜🤛😓😓🥺🥺😓😓😔😔🥺🥺 ©इक _अल्फाज़@airs #MeriMatiMeraDesh
Ravikant Dushe
Meri Mati Mera Desh शुक्रिया करता हूँ एहतराम करता हूँ सलाम करता हूँ इतने नाज़ो नजाकत से दिल में तेरा नाम करता हूँ कैसे छुपाऊँ उसे अब अपने खुदा से मैं जिसका नाम अपनी इबादत मे सुबह शाम करता हूँ उसे ही सोचा उसे ही चाहा उसे ही लिखा हमने वही है हा वो वही है जिसे जिन्दगी का अंजाम करता हूँ Good Morning !! Care and Take Care !! ©Ravikant Dushe #MeriMatiMeraDesh Geet Sangeet vineetapanchal Neel Parul (kiran)Yadav Himaani
संगीत कुमार
Meri Mati Mera Desh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा अपने को जनता का बेटा बता रहा घर घर सब से मिल रहा अपने को जनता का हितैषी बता रहा पैदल गाँव गाँव घूम रहा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहा अपना गुणगान गा रहा सबको उल्लू बना रहा चुनाव चुनाव में ही मिल रहा चुनाव जीतने पर जनता को भूल रहा अपना जेब सब भर रहा जनता का खून चूस रहा सब अपने को ईमानदार बता रहा सच्चाई ऐसा न दिख रहा दागी दोषी से है भरा पड़ा कोई जेल का चक्कर काट रहा तो कोई जेल से चुनाव लड़ रहा कुछ तो बीबी,बेटे को चुनाव उतार रहा कर जोड़ विनती कर रहा जाँच परख कर वोट डालना किसी के बहकावे में मत आना जर्जर हाल है शिक्षा व्यवस्था का महाविद्यालय, विश्वविद्यालय सिर्फ चमक रहा ज्ञान न अब उसमे मिल रहा नेतागिरी सिर्फ हो रहा प्रोफेसर साहब कक्षा में न दिख रहे लगता जैसे शिक्षण संस्थान बंद पड़ा अंचल, अनुमण्डल, जिला कार्यालय में लोग भटक रहे समय से न काम हो रहा पर नेता जी कहते खूब तरक्की हो रहा बाढ़ सूखे से ग्रस्त रहा नहर नाले का न व्यवस्था हुआ लोगों का जीवन बदहाल हुआ मच्छर सब जगह भनभना रहा अस्पताल सब गंदगी से भरापरा लोगों को उपचार न मिल रहा उद्योग धंधा कुछ न स्थापित हुआ जनता तो प्रांत छोड़ चला गुंडागर्दी दिख रहा लोग बात -बात पर लड़ रहा हाल बहुत बुरा है भैया जात पात से ऊपर उठना अच्छे प्रत्याशी को मिल चुनना चला दौर चुनाव का भैया ©संगीत कुमार #MeriMatiMeraDesh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा अपने को जनता का बेटा बता रहा घर घर सब से मिल रहा
Banjara
Meri Mati Mera Desh दिल से दिल मिला कर खूब रोए उन को करीब बुला कर खूब रोए खयाल से उन के यूं तड़प जाना हम अखियां छुपा कर खूब रोए देखा जब रकीब के साथ उनको तस्वीर सीने से लगा कर खूब रोए वफाएं कभी जिन के काबिल न थी अपना हम उन्हे बना कर खूब रोए हम अपना लहजा बदले भी तो कैसे उनको सलीका सीखा कर खूब रोए आरजू है रहे सलामत वो सितम गार दुआ में हम हाथ उठा कर खूब रोए तुम चल दिए थे किस रहा पर बंजारा खुद अपने हाथों जख्म खा कर खूब रोए ©Banjara #MeriMatiMeraDesh