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Saurav life
White धारण हे नदियों! तू स्वर्णिम से निकल, सागर को पा लेती हो। भला कोई तुंगता से, अवरोहित होता है ? आह! इतने आघात नित बिखरते रोम तेरे। भला अस्तित्व को अपने, विलीन करने कौन आगे बढ़ता है ? क्या यहीं प्रारब्ध तेरा मैलों को समेट बढ़ने का। भला वस्त्र नए धारण कर, उसपे कालिख लगवाने कौन बढ़ता हैं? ©Saurav life #sad_qoute #sauravlife
Saurav life
White हे जिंदगी! तू ना रूठ इतना, तेरी जुबां बंद हो जायं मैं उसे खामोशी समझ बैठूं।। हे आबरू! तू ना रख आसरा इतना, साफ पानी मे नहाने पर, लग जाते है अक्सर कालिख भी यहीं।। हे वक़्त! तू ना चल तेज इतना, अभी पांव जमें भी नहीं, तू मेरी जमीं खिसका जांए।। ©Saurav life #sad_qoute #sauravlife
Saurav life
Unsplash पांव का फिसलना जरूरी है; राह में कुछ भटकना भी जरूरी है। चलकर कुछ दूर थक नहीं जाते; गर आप पुष्प हो, तो पुष्प का महकना जरूरी है। ©Saurav life #library #sauravlife
Saurav life
White न जानें कितनों किरदार का वफादार हो गया हूं मैं; ख्वाहिशों की आग और तेरा किरायेदार हो गया हूं मैं।। ©Saurav life #Thinking #sauravlife
Saurav life
White बनारस अब ये ढल रही सांझ, मैं सुबह का मिजाज बनारस हूं। अनवरत ये बहती गंगधार, मैं गालियों का श्रृंगार बनारस हूं।। ये तंग गलियां, नंदियो की अठखेलियां, तुलसी की वाणियां, मैं कबीरचौरा का प्रकाश बनारस हूं।। ये चौक पुरुषार्थ का, मैं नियति का विधान बनारस हूं।। ये बनारसी अल्हड़पन, मैं यहां का पान बनारस हूं।। ये कचौड़ी-जलेबियां, मैं मलइयो का स्वाद बनारस हूं।। ये मालवीय जी की तपोभूमि, मैं प्रतीची-प्राची का सुंदर मेल बनारस हूं। अब भागदौड़ की ये जिंदगी में, मैं सुकून का शहर बनारस हूं।। ©Saurav life #sad_quotes #sauravlife
Saurav life
White किरण उस अंधेरे कमरे में बैठ - खिड़कियों से आसमां को देखता नन्हा। करवट लेती उम्र में, हाय रे रोटी......... ये तन तेरा कपड़ा, हाथों में तेरी खुशबू।। पैरों में जंजीरें, पर, सामने दूर तक जाती सड़क ©Saurav life #sad_shayari #sauravlife
Saurav life
White रमणीय हे रमणीय! तुम मंद मुस्कान की तीव्र धार, मानों कल-कल करती प्रवाह हो तुम। सजग ये तेरे हाथ कलम पर, मानों बहती नौका की पतवार हो तुम। कल-कल करती तेरी कलरव, गोमुख से निरंतरता की, सागर तक की पहचान हो तुम। ये शीत, ग्रीष्म, हेमंत, शिशिर, पतझड़ से बसंत की आगाज हो तुम। घास, वन, ये शंकुधारी वृक्ष, अनुकूलनशीलता की गहरी थाह हो तुम। फलदार वृक्षों की ऊंचाई पर, मानों विनम्रता की श्रृंगार हो तुम। भला! करु मैं तेरा कैसे बखान ? सीखते रहने की प्रतिमान हो तुम।। ©Saurav life #Sad_Status #sauravlife this poetry is dedicated to a my classmate and she deserve it.
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White उम्र ढल रही है एक एक दिन करके; पर, हम चलना चाह रहे महीनों के तेजी से।। ©Saurav life #Thinking #sauravlife
Saurav life
White यहां यूं ही नहीं कोई बदनाम हैं। किसी ने कुछ तो साजिश रची होगी।। ©Saurav life #sad_quotes #sauravlife
Saurav life
Unsplash मित्र जो तुझे गंग कहूं, तुम धार बन जाना। लहरें तेज हो, तब - तुम पतवार बन जाना।। जो तुझे ज़मी कहूं, तूम आसमान बन जाना। संघर्षों के तले, तुम खुली किताब बन जाना।। जो तुझे गंग कहूं, तुम धार बन जाना।। ©Saurav life #Book #sauravlife